“बीजेपी के साथ चुनाव लड़ेंगे नीतीश कुमार, लेकिन बाद में बदल सकते हैं पाला” – प्रशांत किशोर का बड़ा दावा

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,5 मार्च।
बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने एक बड़ा दावा किया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आगामी लोकसभा चुनाव तो बीजेपी के साथ लड़ेंगे, लेकिन चुनाव के बाद वे फिर से पाला बदल सकते हैं। प्रशांत किशोर के इस बयान ने बिहार की राजनीति में नए कयासों को जन्म दे दिया है।

नीतीश कुमार की ‘पलटीमार’ राजनीति

नीतीश कुमार भारतीय राजनीति के उन नेताओं में गिने जाते हैं, जो समय और परिस्थिति के अनुसार गठबंधन बदलने में माहिर हैं। पिछले एक दशक में उन्होंने कई बार अपने राजनीतिक रुख में बदलाव किया है—कभी बीजेपी के साथ, कभी कांग्रेस और आरजेडी के साथ। उनकी इस राजनीति को लेकर विपक्षी दलों ने उन्हें अक्सर “पलटीमार” कहा है।

  1. 2013 – नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध करते हुए बीजेपी से नाता तोड़ लिया।
  2. 2017 – लालू यादव और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा, लेकिन बाद में फिर से बीजेपी के साथ चले गए।
  3. 2022 – एनडीए से नाता तोड़कर फिर से आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के साथ महागठबंधन बना लिया।
  4. 2024 – अब एक बार फिर उन्होंने आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन को छोड़कर बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया है।

प्रशांत किशोर का दावा क्यों अहम है?

प्रशांत किशोर का दावा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वे नीतीश कुमार के बेहद करीबी रह चुके हैं। उन्हें 2015 में जेडीयू के चुनावी रणनीतिकार के रूप में लाया गया था, और उनके नेतृत्व में महागठबंधन ने बिहार में शानदार जीत दर्ज की थी। हालांकि बाद में दोनों के बीच मतभेद हो गए, और प्रशांत किशोर ने जेडीयू छोड़ दी।

प्रशांत किशोर का कहना है कि नीतीश कुमार का इतिहास यह बताता है कि वे चुनावी लाभ के लिए गठबंधन बदलते रहते हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद यदि बीजेपी की सीटें कम आती हैं या कोई और समीकरण बनता है, तो नीतीश कुमार फिर से गठबंधन बदल सकते हैं।

बीजेपी के लिए कितना भरोसेमंद है जेडीयू का साथ?

बीजेपी के लिए नीतीश कुमार का साथ लाभदायक तो हो सकता है, लेकिन उनके राजनीतिक इतिहास को देखते हुए पूरी तरह से भरोसा करना मुश्किल है। बीजेपी के कई नेता भी खुले तौर पर इस पर सवाल उठा चुके हैं कि नीतीश कुमार कितने दिनों तक एनडीए में टिके रहेंगे।

क्या फिर से होगी राजनीति में हलचल?

अगर प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी सही साबित होती है, तो बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा उलटफेर हो सकता है। हालांकि, यह पूरी तरह से चुनावी नतीजों पर निर्भर करेगा। अगर एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलता है, तो नीतीश कुमार के लिए पाला बदलना आसान नहीं होगा, लेकिन अगर कोई राजनीतिक अस्थिरता बनती है, तो वे एक बार फिर नई रणनीति अपना सकते हैं।

निष्कर्ष

नीतीश कुमार की राजनीति हमेशा से चौंकाने वाली रही है। प्रशांत किशोर का दावा बिहार की राजनीति के भविष्य को लेकर एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है। अब देखना होगा कि 2024 के चुनावों के बाद बिहार की राजनीति किस दिशा में जाती है और क्या नीतीश कुमार एक बार फिर अपने रुख में बदलाव करते हैं या नहीं।

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