कोई भी लोकतंत्र तब तक जीवित, विकसित और सफल नहीं हो सकता, जब तक कि कानून के समक्ष समानता न हो: उपराष्ट्रपति
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,26 फरवरी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि कोई भी लोकतंत्र तब तक जीवित, विकसित और सफल नहीं हो सकता, जब तक कि कानून के समक्ष समानता न हो। मिजोरम विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि अब कानून के समक्ष समानता जमीनी वास्तविकता है और जो लोग स्वयं को कानून से ऊपर मानते थे, वे अब इसके दायरे में हैं।
उपराष्ट्रपति ने युवाओं से पारंपरिक रास्तों को छोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने बल देकर कहा कि युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं और सरकारी नौकरी को हासिल करने की अंधाधुंध दौड़ से बाहर आने की जरूरत है। उन्होंने उन्हें अलग ढंग से सोचने, विचारों को अपने दिमाग में कार्यान्वित करने और असफलता से न डरने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि असफलता सफलता की ओर जाने वाला एक कदम होता है।
देश में सक्षम इकोसिस्टम का जिक्र करते हुए, उपराष्ट्रपति ने इस बात पर बल दिया कि अब युवा आकांक्षा कर सकते हैं, अपने सपनों को साकार कर सकते हैं और अपनी क्षमता का पूरा दोहन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अब सत्ता के गलियारे, सत्ता के दलालों से मुक्त हो गए हैं और अब भर्तियां पारदर्शी तरीके से की जाती हैं।
देश में निवेश के माहौल पर ध्यान खींचते हुए, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने आगे कहा कि वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों और चुनौतियों के बावजूद, भारत निवेश के लिए एक बहुत ही अनुकूल जगह है और यह अवसर की भूमि है। भारत की विकास यात्रा का वर्णन करते हुए, उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को पांच कमजोर अर्थव्यवस्था से पांच बड़ी अर्थव्यवस्था और क्रय शक्ति समानता के मामले में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में बदलने को रेखांकित किया।
एक्ट-ईस्ट नीति और रेल, सड़क और डिजिटल संपर्क में अभूतपूर्व निवेश की सराहना करते हुए, उपराष्ट्रपति महोदय ने इस नीति को उत्तर-पूर्व के लिए सामाजिक-आर्थिक विकासात्मक लाभ प्रदान करने वाली परिवर्तनकारी नीति बताया।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में अपने देश के द्वारा उठाए गए अग्रणी कदमों पर रोशनी डालते हुए, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने युवाओं से इन डिसरप्टिव प्रौद्योगिकियों द्वारा पेश किए गए अवसरों का पूरा दोहन करने और स्टार्ट अप और उद्यमिता के काम में लगने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति महोदय ने युवाओं को शासन में सबसे महत्वपूर्ण हितधारक की संज्ञा दी। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने युवाओं को विकसित भारत@2047 की एक बहुत लंबी दौड़ में पूरी तरह से भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने उनसे हमेशा अपने माता-पिता, अपने बड़ों का सम्मान करने और अपनी दोस्ती को और मजबूत करने का भी आग्रह किया।
इस अवसर पर मिजोरम के राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कंभमपति, मिजोरम के मुख्यमंत्री पी.यू. लालडुहोमा, बीबीएयू लखनऊ के पूर्व कुलाधिपति प्रो. प्रकाश बरतुनिया, मिजोरम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिबाकर चंद्र डेका, मिजोरम विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. लालनुंदंगा, संकाय सदस्य, छात्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
You are the rich human resource of this country.
You have to come out of silos.
Do not be in reckless pursuit of government jobs.
Young boys and girls, I appeal to you: look at the enormous areas you now have where you can contribute your talent! #MizoramUniversity pic.twitter.com/YmsMgrbXfi
— Vice President of India (@VPIndia) February 26, 2024
Comments are closed.