*कुमार राकेश
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ज़रा सोचिए –
श्रद्धा कौन थी?
क्यों मारी गयी?
कौन ज़िम्मेदार ?
मेरा मानना है ,
श्रद्धा की मौत के लिए ,
हम सब है ज़िम्मेदार ,
हम हिंदू ,
हमारा लचर ,
मुस्लिम परस्त क़ानून
व हमारा ढुल-मूल संविधान-
देखिए सब लोग ,
शान से देखिए ,
आपकी
बेटी,बहन,मान-सम्मान
श्रद्धा को काट दिया गया है .
जी हाँ ,एक खंड नहीं –
बस पैंतीस खंडो में
और वह जानवरों को
भोजन के लिए
बाँट दी गयी है!
आप सब
आराम कीजिए ,
सोते रहिए ,
क्योंकि ये तो
सामान्य सी बात है!
क्योंकि श्रद्धा तो हिंदू हैं,
देश के लिए महज़ बिंदु है ,
और वो हत्यारा
आफ़ताब मियाँ
तो सूरज है!
उन सब मुसलमान परस्त
वामपंथियों का ,
कांग्रेसियों का ,
राष्ट्र विरोधियों
का गौरव है .
पर बेचारी वो श्रद्धा,
तो आपकी न बेटी है,
न सम्बन्धी है!
वो तो गंदी थी .
बेवक़ूफ़ थी ,
मूर्ख थी ,
आफ़ताब मियाँ के
पास क्यों गयी ?
इसलिए उस मूर्ख के लिए
क्यों नींद ख़राब की जाए!
क्योंकि यह मसला
एक बहुत बड़ा सवाल है ,
बहुत बड़ा बवाल भी,
जिसके लिए सबको
बनना होगा महाकाल ,
हिंदू के लिए ,
हिंदुत्व के लिए ,
स्व धर्म के लिए ,
राष्ट्र धर्म के लिए ,
क्योंकि इस
सिकुइलर देश में
आफ़ताब मियाँ ने
अपनी प्रियतमा श्रद्धा को,
श्रद्धा से काटा है.
प्यार से काटा है ,
शान से काटा है ,
बेरहमी से काटा है .
एक सजीव आदमी ,
को
निर्जीव सब्ज़ी ,
की तरीक़े से ,
काटा है ,
मुसलमान आफ़ताब मियाँ ने
हिंदू श्रद्धा को
अपने क़ौम के
गौरव के लिए काटा है.
क्योंकि उसे जन्नत में
72 नयी हूरों वाली
श्रद्धा का वादा है,
जो उसके
मौलनाओ का वादा हैं
ज़रा सोचिए ,
देश में कितना सन्नाटा है,
न कोई अवार्ड वापसी!
न ही उन प्रगतिशील समाज
का कोई मोमबत्ती जुलूस!
बेचारी श्रद्धा थी ही मनहूस!
तभी तो
कोई सेक्युलरस्टि या कम्युनिस्ट!
नहीं दे रहा संविधान की दुहाई!
सड़क पर नहीं दिया दिखाई!
इस नए भारत का नजारा है,
कितना अजीबोग़रीब ,
शायद अफीम खाकर,
बेहोश पड़ी है,
वो फ़रेबी गंगाजमुनी तहज़ीब!
बेचारी हिंदू श्रद्धा के कत्ल में असहिष्णुता
भी कहीं ,
किसी ,
प्रगतिशील बुद्धिजीवी ,
को नजर ,
क्यों नहीं आई!
वो मेरे भाई?
वो मेरे भारतवासियों .
ज़रा सोचिए ,
दिल से , दिमाग़ से ,
आग लग चुकी है ,
पूरे देश में ,
चेत जाए
व आ जाए होश में ,
अब और देर नहीं
वो धड़कती,
भड़कती,
उफनती,
मचलती ,
बेलगाम आग ,
आ रही है ,
आपके द्वार !
अब आपको,
इसे बुझाना है
ऐसे अपराध व अपराधी,
को मिटाना है ,
करना है उसका
मर्दन ,
नहीं तो कटेगे
आपके गर्दन.
ज़रा सोचिए ,
वैसे तो सरकार है ,
पर वो कितना कारगर है?
क्या छोड़ेंगे सरकार पर?
या अपने से ,
अपनो से रखेंगे दरकार?
तो हो जाए तैयार ,
जीने के लिए ,
अपने लिए ,
अपनो के लिए ,
नहीं तो अगली बारी में है
आपके परिवार.
आपको पता है
अग्निशमन
हमारा ,
आपका,
सबका काम है,
सिर्फ़ शासन का नहीं.
आपसे अपील ,
सभी हिंदुओं से मनुहार –
एक ही दलील ,
जाग जाए ,
उठ जाए .
हो जाए तैयार.
एक हो जाए
सजग हो जाए ,
प्रण ले लें,
जबतक लक्ष्य पूरा नहीं ,
तब तक न भोजन पूरा ,
न भजन भी,
सिर्फ़ मर्दन,
वो भी ,
कालिया मर्दन की तरह ,
जड़ से साफ़ ,
न हो कोई माफ़ ..
अब और नहीं ,
सच में ,
अब और नहीं ……
सच में श्रद्धा ,
हम सब हिंदू शर्मिंदा है,
क्यों आफ़ताब अभी तक
ज़िंदा है ?
इसलिए
अब और नहीं
बहन श्रद्धा ,
अब उनका श्राद्ध होगा …
ज़रूर होगा …
ज़रूर होगा ..
ज़रूर होगा …….
@कुमार राकेश ,
नई दिल्ली ,भारत
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