समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,19 नवम्बर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से मुलाकात के दौरान आर्थिक अपराधियों और भगोड़ों के प्रत्यर्पण का मुद्दा मजबूती से उठाया। यह बैठक जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और आपसी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
इस बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने विशेष रूप से विजय माल्या, नीरव मोदी, और मेहुल चोकसी जैसे आर्थिक अपराधियों का जिक्र किया, जो भारत में करोड़ों रुपये के घोटालों में वांछित हैं और फिलहाल विदेशों में शरण लिए हुए हैं। उन्होंने इन भगोड़ों के जल्द से जल्द प्रत्यर्पण की आवश्यकता पर जोर दिया।
क्यों अहम है यह मुद्दा?
भारत में आर्थिक अपराधियों द्वारा किए गए घोटालों ने देश की वित्तीय प्रणाली को नुकसान पहुंचाया है।
- विजय माल्या: किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व प्रमुख पर बैंकों से करीब 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। वह 2016 से लंदन में रह रहे हैं।
- नीरव मोदी: हीरा व्यापारी नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में लगभग 13,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है।
- मेहुल चोकसी: नीरव मोदी के सहयोगी चोकसी भी इसी घोटाले में वांछित हैं और फिलहाल एंटीगुआ में हैं।
इन भगोड़ों के फरार होने से जनता के विश्वास को ठेस पहुंची है और भारत सरकार पर इन्हें वापस लाने का दबाव बढ़ा है।
ब्रिटेन का रुख
ब्रिटेन में प्रत्यर्पण प्रक्रियाएं कानूनी और प्रशासनिक स्तर पर जटिल हैं। हालांकि, ब्रिटिश सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में प्रत्यर्पण के मामलों पर सहयोग का भरोसा दिया है।
- नीरव मोदी के मामले में ब्रिटेन की अदालत ने उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी, लेकिन प्रक्रिया अभी भी कानूनी अड़चनों में उलझी हुई है।
- विजय माल्या का मामला भी कानूनी लड़ाई में फंसा हुआ है, हालांकि ब्रिटेन की अदालत ने उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी।
मोदी-सुनक की मुलाकात में क्या हुआ?
प्रधानमंत्री मोदी ने ऋषि सुनक को इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि ब्रिटेन ने इन भगोड़ों के प्रत्यर्पण को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया है। मोदी ने उम्मीद जताई कि कानूनी प्रक्रियाओं को तेजी से पूरा कर इन्हें जल्द से जल्द भारत वापस लाया जाएगा।
इस मुलाकात में अन्य मुद्दों के अलावा, दोनों देशों के बीच आपराधिक न्याय सहयोग बढ़ाने और सूचना साझा करने पर भी सहमति बनी।
भारत के लिए क्या होगा फायदा?
- जनता का विश्वास: इन भगोड़ों की वापसी से जनता का न्याय व्यवस्था और सरकार पर विश्वास बढ़ेगा।
- आर्थिक नुकसान की भरपाई: इन व्यक्तियों की संपत्तियों को जब्त कर बैंकों और सरकारी खजाने को राहत दी जा सकती है।
- दूसरों के लिए उदाहरण: यह कार्रवाई अन्य आर्थिक अपराधियों के लिए चेतावनी साबित होगी।
चुनौतियां और आगे की राह
- कानूनी प्रक्रियाएं: ब्रिटेन और अन्य देशों में प्रत्यर्पण कानून जटिल और समय लेने वाले हैं।
- राजनीतिक हस्तक्षेप: कभी-कभी इन मामलों में राजनीतिक दबाव और मानवाधिकार से जुड़ी दलीलें आड़े आती हैं।
भारत सरकार को न केवल ब्रिटेन बल्कि अन्य देशों के साथ भी प्रत्यर्पण प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए समझौते करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
पीएम मोदी द्वारा ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक के साथ भगोड़ों का मुद्दा उठाना इस बात का प्रमाण है कि सरकार इन आर्थिक अपराधियों को वापस लाने के लिए गंभीर है। अगर यह प्रयास सफल होता है, तो यह भारत के लिए एक बड़ी जीत होगी और दुनिया के सामने यह संदेश जाएगा कि भारत अपने आर्थिक अपराधियों को बख्शने के मूड में नहीं है।
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