सिंधिया: पूर्वोत्तर में खेल प्रतिभा और खाद्य उत्पादन को बढ़ावा

खेलों के लिए 60-40 मॉडल अपनाया जाएगा; दूध, अंडे, मछली और मांस उत्पादन बढ़ाने को क्षेत्रीय रणनीति तैयार

  • सिंधिया ने कहा, खेल विकास में 60% फोकस मानव संसाधन, कोचिंग व तकनीक पर होगा
  • “एक खेल, एक राज्य” मॉडल के तहत राज्यों को विशेष खेलों पर सूक्ष्म प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश
  • दूध, अंडे, मछली और मांस उत्पादन बढ़ाने के लिए आठों राज्यों का विस्तृत माँग-आपूर्ति विश्लेषण
  • दो राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट्स शुरू होंगे, पूरे पूर्वोत्तर को एकीकृत खाद्य बाज़ार के रूप में विकसित करने पर जोर

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 20 नवंबर: केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री (DoNER) श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने बुधवार को पूर्वोत्तर में उच्च प्रदर्शन वाले खेल पारिस्थितिकी तंत्र और खाद्य आत्मनिर्भरता को मज़बूत करने के लिए दो महत्वपूर्ण हाई-लेवल टास्क फोर्स (HLTF) बैठकों में भाग लिया। ये बैठकें पूर्वोत्तर क्षेत्र में समन्वित, सहभागी और तेज़ विकास सुनिश्चित करने वाली सरकार की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा हैं।

खेलों के लिए 60-40 मॉडल: मानव संसाधन पर अधिक जोर

मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला की अध्यक्षता में हुई खेल टास्क फोर्स की बैठक में, सिंधिया ने स्पष्ट किया कि खेल विकास में 60% फोकस मानव संसाधन विकास, उन्नत कोचिंग, प्रतिभा खोज और तकनीक-सक्षम प्रशिक्षण पर होना चाहिए, जबकि 40% संसाधन भौतिक अवसंरचना पर खर्च किए जाएँगे।
उन्होंने कहा कि देश में पर्याप्त खेल सुविधाएँ मौजूद हैं, लेकिन उत्कृष्टता तब हासिल होगी जब कोचिंग, विज्ञान और तकनीक को बराबर प्राथमिकता दी जाए।

उन्होंने राज्यों से अपने चयनित खेलों

मिजोरम: फुटबॉल

मणिपुर: बॉक्सिंग व वेटलिफ्टिंग

त्रिपुरा: जूडो

मेघालय: तीरंदाज़ी

नागालैंड: तीरंदाज़ी व ताइक्वांडो

सिक्किम: ताइक्वांडो

के आधार पर सूक्ष्म और केंद्रित प्रस्ताव तैयार करने को कहा।
सिंधिया ने कहा कि आने वाले वर्षों में पूर्वोत्तर से कम से कम एक खेल को राष्ट्रीय केस स्टडी के रूप में स्थापित किया जाएगा।

उन्होंने राज्यों से स्कूल स्तर से लेकर विश्वविद्यालय व ब्लॉक स्तर तक समग्र खेल कैलेंडर बनाने पर भी जोर दिया।

दूध, अंडे, मछली और मांस उत्पादन पर एकीकृत रणनीति

दूसरी बैठक की अध्यक्षता अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू ने की। बैठक में आठों पूर्वोत्तर राज्यों के लिए दूध, अंडे, मांस और मत्स्य क्षेत्र में विस्तृत माँग-आपूर्ति विश्लेषण प्रस्तुत किया गया।

चर्चा में निम्न प्रमुख मुद्दे उभरे:

  • क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स
  • मूल्य श्रृंखला व आधारभूत संरचना
  • मानव संसाधन व उत्पादकता वृद्धि
  • ऋण पहुँच व निजी निवेश

फैसला किया गया कि प्रत्येक उत्पाद, दूध, अंडा/मुर्गी, मांस और मत्स्य, के लिए दो राज्यों में पायलट हस्तक्षेप शुरू होंगे।
इनसे प्राप्त अनुभव पूरे क्षेत्र के लिए प्रमाण-आधारित, व्यावहारिक मॉडल तैयार करने में सहायक होंगे।

सिंधिया ने कहा कि पूर्वोत्तर को एक एकीकृत खाद्य बाज़ार के रूप में देखने की आवश्यकता है, जहाँ अधिशेष क्षेत्रों से कमी वाले क्षेत्रों तक निर्बाध आपूर्ति हो सके।
उन्होंने जोर दिया कि यह मॉडल आजीविका बढ़ाने, बाज़ार पहुँच का विस्तार करने और क्षेत्र के पोषण स्तर सुधारने में मदद करेगा।

सत्र का समापन करते हुए मंत्री ने कहा,
“हम पूर्वोत्तर के लिए एक कुशल, लचीला और बाज़ार-तैयार खाद्य पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहे हैं, जो क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाएगा और साझा समृद्धि को बढ़ावा देगा।”

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