अब चीनी सैनिकों को मिलेगा मुंह तोड़ जवाब, पारंपरिक हथियार से चीन को हराएंगे भारतीय सेनिक

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 19अक्टूबर। गलवान घाटी में हुए संघर्ष के दौरान चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर नुकीले तार वाली छड़ों व बिजली के झटके देने वाली बंदूक का प्रयोग किया था। लेकिन अब हिंसक झड़प होने की स्थिति में चीन की सेना के इन हथियारों से भारतीय सुरक्षा बल त्रिशूल, व्रज जैसे पारंपरिक हथियारों का इस्तेमाल कर इनको मुंह तोड़ जवाब दे सकेंगे।

गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत व चीन सैनिकों के बीच हुए संघर्ष के बाद नोएडा की एक स्टार्टअप फर्म अपेस्टरॉन प्राइवेट लिमिटेड ने यह गैर घातक तैयार किए हैं। सुरक्षा बलों की तरफ से उन्हें चीनी सेना के हथियारों से निपटने में सक्षम उपकरण प्रदान करने का काम सौंपा गया था। फर्म के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी मोहित कुमार ने कहा कि जब चीनी सैनिकों ने गलवान में तार की छड़ें और टेसर इस्तेमाल किया था। इसके बाद भारत ने गैर-घातक उपकरण के लिए कहा था।

नोएडा की एपेस्टेरॉन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को सुरक्षाबलों ने इन हथियारों का ऑर्डर दिया था। इसके बाद उन्होंने भगवान शिव के त्रिशूल की तरह ही एक हथियार बनाया है। कंपनी के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर मोहित कुमार ने बताया कि गलवान स्टैंड ऑफ के बाद हल्के और कम जानलेवा हथियार बनाने के लिए कह गया था।

एक हथियार का नाम ‘वज्र’ रखा गया है। इस डंडेनुमा हथियार में लोहे के कांटे लगाए गए हैं। इससे बुलेट प्रूफ गाड़ियों को पंचर भी किया जा सकता है। यह मुठभेड़ के समय सेना के काम आएगा। ‘वज्र’ से दुश्मन को बिजली का झटका भी दिया जा सकता है। एक बटन दबाने पर इसके कांटों में करंट दौड़ने लगता है। इससे दुश्मन सैनिक कुछ ही सेकेंड में बेहोश हो जाएंगे।
वज्र के अलावा कंपनी ने जवानों के लिए एक खास दस्ताना भी बनाया गया है। इसे ‘सैपर’ नाम दिया गया है। इसमें एक पंच है, जिसे किसी को मारने पर करंट पैदा होता है, जो विरोधी को बेहोश करने में सक्षम है। ठंड में इसे दस्ताने की तरह भी उपयोग किया जा सकता है।

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