अब समय है कि महिलाओं की प्रगति को रोकने वाली हर बाधा को दूर किया जाए – उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु
उप राष्ट्रपति ने विजयवाड़ा में मारिस स्टेला कॉलेज की हीरक जयंती समारोह को संबोधित किया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,16 जुलाई। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने आज भारत की औपचारिक श्रम शक्ति में महिलाओं की कम भागीदारी पर चिंता व्यक्त की और सभी हितधारकों द्वारा इस समस्या का युद्ध स्तर पर समाधान निकालने का आह्वान किया। उन्होंने सभी उद्योगों में महिलाओं के लिए वेतन समानता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
आज विजयवाड़ा में मारिस स्टेला कॉलेज के हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि औपचारिक श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना जीडीपी में उनके योगदान को बढ़ाने के साथ-साथ समावेशी विकास के लिए भी आवश्यक है। यह कहते हुए कि कोई भी राष्ट्र महिलाओं के शैक्षिक सशक्तिकरण के बिना प्रगति नहीं कर सकता, वह चाहते थे कि शैक्षणिक संस्थान महिलाओं की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कौशल आधारित पाठ्यक्रम शुरू करें। उन्होंने शिक्षण संस्थानों को उद्योगों के साथ जुड़ने और उनकी आवश्यकताओं के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए भी कहा।
लैंगिक भेदभाव के प्रति कोई समझौता न करने का आह्वान करते हुए, श्री नायडु ने लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “यह बदलाव घर से शुरू होना चाहिए जहां लड़के और लड़कियों के साथ समान व्यवहार किया जाता है।”
भारत जैसे विकासशील देश में महिला सशक्तिकरण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, श्री नायडु ने कहा कि यह आवश्यक है कि लिंग आधारित मौजूदा सोच को बदला जाए और विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़त को सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने इस दिशा में ठोस प्रयास करने का आह्वान करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि महिलाओं की प्रगति को रोकने वाली हर बाधा को दूर किया जाए।
स्वतंत्रता के बाद से लड़कियों की शिक्षा में हुई प्रगति को स्वीकार करते हुए, उप राष्ट्रपति ने कहा कि प्रत्येक समर्थ महिला बदले में अन्य महिलाओं को सशक्त बनाती है और इसे शक्ति और समर्थन के एक व्यापक दायरे में विकसित होना चाहिए। यह उल्लेख करते हुए कि ‘देखभाल करना और बांटना’ भारतीय दर्शन के मूल में है, उन्होंने कहा, “छात्रों के बीच सहानुभूति और संवेदनशीलता के मूल्यों को विकसित करना बेहद महत्वपूर्ण है।”
यह देखते हुए कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने 2035 तक स्कूलों में लड़कियों के 100 प्रतिशत नामांकन और उच्च शिक्षा संस्थानों में 50 प्रतिशत नामांकन हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, श्री नायडु ने समान शिक्षा सुनिश्चित करने और शैक्षिक परिदृश्य को बदलने के लिए एनईपी के देश में प्रभावी कार्यान्वयन का आह्वान किया ।
यह दोहराते हुए कि शिक्षा न केवल रोजगार के लिए है, बल्कि ज्ञान और सशक्तिकरण के लिए भी है, उप राष्ट्रपति ने मूल्य आधारित शिक्षा के माध्यम से चरित्र निर्माण और अखंडता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा “शिक्षा को राष्ट्र के प्रति दृष्टिकोण के साथ जिम्मेदार और सामाजिक रूप से कर्तव्यनिष्ठ नागरिकों का निर्माण करना चाहिए,” ।
युवा महिलाओं को उनकी अपनी सहज रचनात्मकता, चुनौतियों का सामना करने का सामर्थ्य और परिवर्तन को उत्प्रेरित करने की क्षमता पर विश्वास करने के लिए प्रेरित करते हुए, श्री नायडु ने उनसे कहा, “आपके भाग्य में परिवर्तनों का नेतृत्व करना लिखा है।”
उपराष्ट्रपति ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाकर और लगातार उच्च शैक्षणिक मानकों को बनाए रखने के लिए मारिस स्टेला कॉलेज के प्रबंधन की प्रशंसा की। सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के छात्रों को विशेष पहुंच प्रदान करने के लिए कॉलेज की सराहना करते हुए, श्री नायडु ने छात्रों को पर्यावरण के मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाने और पर्यावरण अनुकूल कार्य पद्धितियों को बढ़ावा देने के लिए कॉलेज की सराहना की।
इस अवसर पर श्री केसिनेनी श्रीनिवास, संसद सदस्य, श्री गड्दे राममोहन, विधायक, आंध्र प्रदेश, श्री कामिनेनी श्रीनिवास, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री, आंध्र प्रदेश, श्री एस. दिल्लि राव, आईएएस, रेव. सीनियर थेरेसा थॉमस कैम्पियिल, एफएमएम, प्रांतीय सुपीरियर, मुंबई प्रांत, श्रीमती वाणी श्रीराम, आईएएंडएएस, अतिरिक्त उप नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सेवानिवृत्त) और सलाहकार आईएनटीओएसएआई डेवलपमेंट इनीशिएटिव (आईडीआई), नॉर्वे, श्रीमती ए आर अनुराधा आईपीएस, डीजी, प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल कल्याण, आंध्र प्रदेश सरकार, डॉ. सीनियर जसिंथा क्वाड्रास, प्रिंसिपल, मैरिस स्टेला कॉलेज और अन्य उपस्थित थे।
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