*कुमार राकेश
10 फ़रवरी से शुरू होने जा रहे पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव को लेकर सभी दल खुलकर चुनाव मैदान में आ गए हैं.सभी दल अपने अपने उम्मीदवारों की सूची भी धडल्ले से जारी करने में जुट गए हैं .उत्तर प्रदेश में ज्यादातर चतुष्कोणीय चुनाव है तो कही कही पर बहुकोणीय भी हैं.पंजाब में भी चतुष्कोणीय चुनाव होने जा रहा हैं.जबकि उत्तराखंड में त्रिकोणीय चुनाव होगा.गोवा में भी त्रिकोणीय चुनावी लडाई के आसार हैं.मणिपुर में भाजपा और कांग्रेस आमने सामने हैं.कुछ सीटों पर तृणमूल कांग्रेस भी हाथ-पाँव मारने की जुगत में हैं .
इस चुनावी रण के तहत उत्तर प्रदेश में अब प्रियंका बनाम प्रियंका का एक नया युद्ध छिड़ गया है.अब इस प्रदेश का विधान सभा चुनाव रोचक और रोमांचक होने वाला है.कांग्रेस के मूल प्रचार अभियान “लड़की हूँ ,लड़ सकती हूँ “ की पोस्टर गर्ल डॉ प्रियंका मौर्य ने कांग्रेस छोड़ दी और आज भाजपा में शामिल हो गयी.इसी तर्ज़ पर समाजवादी पार्टी को भी एक झटका लगा है.सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के साढू प्रमोद गुप्ता भी भाजपा में शामिल हो गए.
इसकी मूल वजह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा बतायी गयी हैं .डॉ प्रियंका से अपनी नेता प्रियंका गाँधी वाड्रा से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी.डॉ प्रियंका का कहना है कि कांग्रेस में उन्होंने पिछले एक साल में काफी काम किया.अपना अमूल्य समय और साधन पार्टी के लिए निष्काम भाव से समर्पित किया.प्रदेश की राजनीति को सामने रखकर कई नीतियां बनायीं,जिसे निचले स्तर से उपरी स्तर तक सराहा गया.लेकिन ऐन मौके पर उन्हें धोखा दिया गया.उनके साथ वादाखिलाफी की गयी.सुश्री मौर्य नें कांग्रेस पर आरोप लगाया कि प्रियंका गाँधी वाड्रा के सचिव ने टिकट के लिए उनसे पैसे मांगे.तो ये है कांग्रेस का असली चेहरा और चरित्र.
प्रियंका मौर्य ने कांग्रेस पर तंज़ कसते हुए कहा- मैं लड़की हूँ और लड़ सकती हूँ .लडूंगी .लेकिन कांग्रेस जैसी मृतप्राय पार्टी के साथ बिलकुल नहीं .डॉ प्रियंका ने प्रियंका गाँधी वाड्रा के खिलाफ व्यंग्यात्मक लहजे में कहा -वो तो चांदी की चम्मच लिए पैदा हुयी है.इसलिए उन्हें ज़मीनी हकीकत नहीं दिखती.उन्हें तो अपने कार्यकर्ताओ से भी मिलने परहेज़ हैं.तो कोई भी इस पार्टी की वास्तविक स्थिति को समझ सकता है.जहाँ आज भी अपने सदस्यों को गुलाम समझा जाता है.उनसे पैसे मांगे जाते हैं.उन्हें पता नहीं अब समय बदल चुका है.डॉ प्रियंका मौर्य ने कहा कि उन्हें कनिष्ठ बताकर दबाने की कोशिश की गयी,लेकिन उनका क्या जो 30-30 वर्षो से पार्टी के लिए लडाई लड़ रहे हैं ?
भाजपा से उम्मीदवारी को लेकर किसी आश्वासन के बारे में डॉ प्रियंका मौर्य ने कहा-भाजपा एक राष्ट्रवादी पार्टी है.इनके नेता श्री नरेन्द्र मोदी,योगी जी ,नड्डा जी सब देश सेवा में समर्पित हैं ,मैं भी इन बड़े नेताओ के नेतृत्व में देश और समाज के लिए कुछ नया करना चाहती हूँ .उन्हें विश्वास है ,उन्हें जरुर अवसर मिलेगा.ये सर्वविदित हैं कि भाजपा में युवाओ को ज्यादा अवसर दिया जाता है.दिया जा रहा है.
इस तरह से देखा जाये तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा का नया नारा ठीक से लांच ही नहीं हुआ ,उसका मुख्य चेहरा ही पार्टी छोड़ गया? इससे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की जमीनी स्थिति समझी जा सकती हैं.क्या होगा कांग्रेस का ?ये एक बड़ा सवाल है.
मृतप्राय हो रही कांग्रेस के एक अन्य युवा नेता व पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी को भी 2019 लोक सभा चुनाव में हार के डर से उत्तर प्रदेश छोड़कर केरल भागना पड़ा था.जरा सोचिये,कांग्रेस की इस दुर्दशा को.यानी पहले भाई को प्रदेश छोड़ना पड़ा था,लगता है अब बहन की बारी है.मेरठ से कांग्रेस की एक उम्मीदवार अर्चना गौतम के कारनामो से भी आम जनता सकते में हैं .इससे यह भी लगता है कांग्रेस के “लड़की और लडाई” वाला अभियान भी अब टांय टांय फिस्स हो गया है.
ताज़ा घटना क्रम में कांग्रेस को अब महाराष्ट्र में भी मुंह की खानी पड़ी है.19 जनवरी को आये नगर पंचायत चुनाव परिणाम में कांग्रेस को तीसरा स्थान मिला है,जबकि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है .नगर पंचायत चुनाव के 1649 सीटों में से 384 भाजपा को मिली हैं जबकि राकापा को 344 और कांग्रेस को 316 सीटें मिली है.अभी महा-शासन की मुखिया पार्टी शिव सेना को चौथे स्थान के साथ 284 सीटें ही मिल सकी है.इससे भाजपा के रसूख और आम जनता पर उस दल के प्रति विश्वास को दर्शाता है.
यदि पांचो राज्यों की चुनावी स्थिति को देखा जाये तो सभी राज्यों में भाजपा केंद्र बिंदु में हैं.पंजाब छोड़कर शेष चार राज्यों में भाजपा की सरकारें है .इसलिए उनके लिए चुनौतियाँ भी है.लेकिन देखना होगा कि भाजपा उन सभी चुनौतियों को स्वीकार कर स्वयं को कैसे सिद्ध कर पाती हैं या भाजपा में आये कुछ दंभ व अहंकार के प्रतिफल से कुछ नुकसान से गुजरती है.
आने वाले विधान सभा चुनाव में गोवा व मणिपुर के साथ पंजाब में भाजपा को लाभ मिल सकता है ,जबकि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है .जो भी सभी तस्वीर 10 मार्च को ही साफ़ होगी और परिणाम सबके सामने होगा .
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