समग्र समाचार सेवा
जयपुर, 22दिसंबर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के एक तबके से जुड़े एक अहम प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जिसके तहत अब उन कैदियों की रिहाई समय से पूर्व संभव हो सकेगी जिन्होंने सदाचार पूर्वक अपनी अधिकांश सजा काट ली है। इसके अलावा उन कैदियों की भी रिहाई हो सकेगी जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं या फिर बूढ़े हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक ऐसे कैदियों की रिहाई हो सकती है कि जो कैंसर, एड्स, कुष्ठ रोग और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं और अपनी दैनिक गतिविधियों के लिए दूसरों पर निर्भर हैं। रिहा होने वाले कैदियों की लिस्ट में वो कैदी भी शामिल हैं जो अंधे, विकलांग हैं या फिर लंबे समय से कैद में हैं। इसी तरह उन बुजुर्ग महिला कैदियों को भी रिहा किया जा सकेगा जिनकी उम्र 65 वर्ष या इससे ज्यादा और उन्होंने इतनी ही सजा की अवधि पूरी कर ली है।
हालांकि जिन कैदियों को इस प्रस्ताव से कोई राहत नहीं मिलेगी उनमें दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेबलिमेंट एक्ट 1946 और कोड और क्रिमिनल प्रोसीजर एक्ट, 1973 से भिन्न किसी केंद्रीय एक्ट के तहत सजायाफ्ता बंदी, आदतन अपराधी, बलात्कारी, ऑनर किलिंग, मॉब लिचिंग, पॉक्सो एक्ट, तेजाब हमले से संबंधि कैदी, जमानत देने या फिर जुर्मान का भुगतान नहीं करने के कारण सजा काट रहे कैदी, आर्म्स एक्ट, एनएसए, एनडीपीएस एक्ट सहित 28 अलग-अलग कैटेगरी के कैदियों को इससे कोई छूट नहीं मिलेगी।
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