समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 15 मार्च। उत्तर प्रदेश में बनने जा रही बीजेपी की नई सरकार में पिछड़े और दलित मंत्रियों की संख्या पहले से ज्यादा रहने की संभावना है। पिछली सरकार में तो कैबिनेट मंत्रियों की फेहरिस्त में सिर्फ एक ही मंत्री दलित कोटे से थे, लेकिन इस बार अनुमान लगाया जा रहा है कि किसी दलित को डिप्टी सीएम तक बनाया जा सकता है। इसके अलावा भरपूर संख्या में दलित कोटे से मंत्री भी बनेंगे।
पिछड़ों को लेकर योगी सरकार सतर्क
कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि पिछड़ी जाति के मंत्रियों की संख्या पिछले मंत्रिमंडल से ज्यादा रहेगी। ऐसा करके बीजेपी दो साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के समीकरण को साधने की कोशिश करेगी। अब सवाल उठता है कि लोकसभा के चुनाव से इसका क्या ताल्लुक है। चुनाव से ऐन पहले ये थ्योरी चलायी गई थी कि बीजेपी ने 2017 के चुनाव में वोट तो पिछड़ी जाति के नाम पर लिया, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी सामान्य वर्ग को दे दी। यहां तक कि मंत्रिमण्डल में भागीदारी को लेकर भी विपक्षी पिछड़ी जाति के नेताओं द्वारा सवाल खड़े किए जाते रहे हैं।
मौजूदा सरकार में एक दलित और पांच ओबीसी मंत्री
नई बीजेपी सरकार में इस बार पिछड़ी और दलित जातियों से ज्यादा मंत्री क्यों बनाए जा सकते हैं? इस सवाल का जवाब जानेंगे लेकिन आइये सबसे पहले जानते हैं कि इन समुदायों की पिछली योगी मंत्रिमण्डल में कितनी संख्या थी। निवर्तमान योगी सरकार के 22 कैबिनेट मंत्रियों की लिस्ट में एक दलित और पांच ओबीसी मंत्री थे। स्वतंत्र प्रभार के 8 राज्यमंत्रियों में से 1 दलित और 2 पिछड़ी जाति थे। राज्यमंत्रियों की सूची थोड़ी अलग थी। 27 राज्यमंत्रियों में से 7 दलित और 13 पिछड़ी जाति से थे। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार के मंत्रिमंडल की सूरत बदली होगी, यानी पहले से ज्यादा ओबीसी और दलित मंत्री बनाए जा सकते हैं।
प्रदेश में पिछड़ी जाति की संख्या 40 फीसदी के करीब
प्रदेश में पिछड़ी जाति की संख्या 40 फीसदी के करीब मानी जाती है। इतनी बड़ी संख्या को समेटने के लिए खेल चलता रहता है। पिछड़ी जाति को लुभाने के लिए ही सूबे की सभी बड़ी पार्टियों ने अपना प्रदेश अध्यक्ष एक पिछड़े को ही बना रखा है। यहां तक की मायावती ने भी। जाहिर है इनके वोटबैंक की गोलबन्दी के लिए इन्हें सत्ता में हिस्सेदारी देनी होगी। इस चुनाव में तो कई बड़े पिछड़े नेता बीजेपी से दूर हुए हैं। ऐसे में पार्टी के सामने और भी बड़ी चुनौती खड़ी है।
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