समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23फरवरी। राज्य सरकार की पुरानी पेंशन योजना को लेकर सरकार दिक्कत में पड़ सकती है. केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा है कि नई पेंशन स्कीम का जमा 45 हजार करोड़ रुपया राज्यों को नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि एनपीएस का फंड ओपीएस में ट्रांसफर करना नियम के विरुद्ध है. मुफ्त घोषणाओं की स्कीमों को लेकर केन्द्रीय वित्त मंत्री ने राज्यों को नसीहत दी है कि राज्य कर्ज के पैसे से नहीं, बल्कि खुद से कमाकर ऐसी योजनाएं चलाएं.
राज्य बजट घोषणा में पुरानी पेंशन योजना को शुरू कर देशभर में कर्मचारियों के बीच सुर्खी बटोरने वाली राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को बड़ा झटका लग सकता है. केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पुरानी पेंशन योजना के केन्द्र के पास जमा 45,000 करोड़ रुपए को जारी करने से साफ मना कर दिया है.
केन्द्रीय वित्त मंत्री ने जयपुर प्रवास के दौरान कहा कि पेंशन नियमों और शर्तों के अनुसार कर्मचारियों का पैसा वापस नहीं दिया जाएगा. केन्द्रीय वित्त मंत्री के इस बयान के बाद राजस्थान सरकार को न्यू पेंशन स्कीम्स का केंद्र के ट्रस्ट में जमा 45 हजार करोड़ रुपए नहीं मिलेगा.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने एनपीएस का पैसा राज्य सरकारों को देने से साफ इनकार कर दिया है. निर्मला सीतारमन ने कहा कि कोई राज्य अगर किसी कारण से यह फैसला लेता है कि एनपीएस का फंड है वो इकट्ठा दे देना चाहिए तो वह नहीं मिलेगा. वह कर्मचारी का पैसा है और कर्मचारी जमा पैसे पर ब्याज कमा रहा है. वह पैसा रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के हाथ में ही आएगा. इकट्ठा पैसा राज्य सरकार के हाथ नहीं आएगा. यह असंभव है. जब सही समय आएगा तभी यह पैसा कर्मचारी को दिया जाएगा. राज्य सरकारों द्वारा कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना लागू करने के सवाल पर जवाब देते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री ने यह बात कही है.
केंद्रीय आर्थिक मामलों के सचिव विवेक जोशी ने कहा कि ओपीएस अनफंडेड स्कीम है. सरकार अपनी देनदारियों के भार को आगे के लिए टाल रही है. यह दूसरी सरकारों पर भार टालने की प्रक्रिया है. आज जो कर्मचारी काम कर रहे हैं, उनकी पेंशन का भार अगली पीढ़ी पर पड़ेगा. इस भार को भविष्य के लिए शिफ्ट किया जा रहा है. केंद्रीय वित्त सचिव टीवी सोमनाथ ने कहा कि ओपीएस लागू करने के बाद राज्य एनपीएस फंड का पैसार वापस मांग रहे हैं. वह पैसा राज्य सरकारों को वापस नहीं दिया जा सकता. राज्य सरकारों को वो पैसा वापस नहीं मिलेगा. एनपीएस का पैसा कर्मचारी और ट्रस्ट के बीच समझौता है.
‘राज्य कर्ज के पैसे से न चलाएं फ्री स्कीम्स’-
राज्यों में फ्री बिजली, फ्री पानी जैसी सरकारी ऑफर वाली स्कीम्स पर निर्मला सीतारमन ने कहा कि सरकार वित्तीय हालात ठीक होने पर ही ऐसी स्कीम चलाएं. सरकारों के पास खुद का पैसा पास होने पर ही मुफ्त योजनाओं का प्रावधान बजट में करें. वित्त मंत्री ने साफ कहा है कि यदि राज्य के वित्तीय हालात ठीक नहीं है तो फिर बजट में भी फ्री स्कीम्स के ऑफर का प्रावधान नहीं करना चाहिए.
फ्री स्कीम्स का ऑफर जारी कर उसे पूरा करने के लिए राज्यों द्वारा कर्ज लिया जा रहा है जो कि ठीक नहीं है. सीतारमन ने आगे कहा कि ऐसी स्कीम्स लाने के लिए राज्य अपने संसाधनों से ही फंड जुटाएं. टैक्स से राजस्व जुटाएं. फ्री स्कीम्स के लिए राज्य उसका भार किसी और पर डाल रहे है यह गलत है.
बिजली सेक्टर की रिस्ट्रक्चरिंग-
वित्त मंत्री ने बताया कि बिजली सेक्टर को हम पिछले 5 साल से रिस्ट्रक्चर कर रहे हैं. जनता से वादा आपने किया और उन वादों से सरकार बनाई. बिजली कंपनियां कर्ज से दब गईं. बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों ने डिस्कॉम से बकाया मांगा, डिस्कॉम के पास पैसा नहीं था. मांगने के समय डिस्कॉम के वक्त पैसा नहीं है, जिन्होंने वादा किया वे डिस्कॉम को पैसा नहीं देते. फिर बिजली उत्पादन का खर्च कौन देगा. अगर बिजली में एक घंटे की भी देरी होती है तो मोदी सरकार पर आरोप लगता है कि देखिए मोदीजी गरीबों को बिजली नहीं दे रहे. जनता से वादा किसने किया, जिसने वादा नहीं किया वो पैसा क्यों दे?
कांग्रेस को लिया आड़े हाथ-
बाड़मेर पेट्रो केमिकल्स हब के काम को राजनीकि आधार पर रोकने के सवाल पर सीमारमन ने कहा, पत्थर जैसा दिल रखने वाले कांग्रेस नेताओं को दूसरों को कोसने का कोई अधिकार नहीं है. गुजरात के लोगों का नर्मदा का पानी रोकने वाली कांग्रेस का मोदी सरकार पर आरोप लगाना निराधार है. केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कांग्रेस से सवाल करते हुए पूछा है की, क्या गुजरात का पानी रोकना राजनीतिक नहीं थी?
कांग्रेस की जन्मकुंडली में हर चीज का राजनीतिकरण करना लिखा है. केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कांग्रेस द्वारा लगातार ईडी, इनकम टैक्स के छापों के सवालों का जवाब देदे हुए कहा कि, कांग्रेस जांच एजेन्सियों द्वारा किए जा रहे सरकारी काम भी राजनैतिक चश्मे से देख रही है. आजादी के बाद से ही देश में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुए है. भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद कांग्रेस का सवाल करना खुद कांग्रेस पर ही सवाल खड़े कर रहा है.
केन्द्रीय वित्त मंत्री ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तंज कसते हुए कहा है कि, सीएम ने विधानसभा में पिछले साल का बजट ही पढ़ दिया. कांग्रेस के सीएम की डिक्शनरी एक ही है और वह हर चीज का राजनीतिकरण कर देते है. उन्होंने कहा कि हालांकि मैं सीएम की इज्जत करती हूं. राजस्थान के बजट के दिन भी मैंने बोला कि गलती हो जाती है, सीएम ने पिछले साल का बजट पढ़ दिया. भगवान की कृपा रहे कि ऐसी गलती किसी वित्त मंत्री से नहीं हो.
पीएम भी बोले थे कि पिछले साल का बजट डिब्बे में रखकर भूल गए, उस पर कोई काम हुआ नहीं. उसी डिब्बे को खोलकर बजट पढ़ लिया. किसी वित्त मंत्री को ऐसा नहीं होना चाहिए. सीतारमन ने ईआरसीपी का जिक्र करते हुए यूपीए सरकार पर निशाना साधा. नर्मदा का पानी गुजरात तक नहीं चहुंचे, इसके लिए यूपीए सरकार ने अड़ंगे लगाए. हमारी सरकार ऐसा नहीं करती. ईस्टर्न कैनाल और चंबल पवर्त का प्रोजेक्ट जोड़कर केंद्र सरकार काम कर रह है और पीएम ने पिछले दिनों इसका दौसा में जिक्र भी किया.
पेट्रोल-डीजल पर टैक्स-
सीतारमन ने कहा कि डीजल पेट्रोल पर कई राज्य सरकारों ने एक बार भी ड्यूटी नहीं घटाया है. वे ही राज्य खड़े होकर केंद्र सरकार से पूछ रहे हैं कि गैस पर पैसा कम नहीं किया. हिमाचल में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ा दिया है. अब वो छत्तीसगढ़ में बैठकर चिंतन करें, लेकिन हमसे सवाल किस मुंह से पूछ रहे है. पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लेने के सवाल पर निर्मला सीतारमन ने कहा, यह जीएसटी काउंसिल तय करती है और काउंसिल ही तय करेगी. अकेले केंद्र सरकार ही नहीं जीएसटी काउंसिल में सभी राज्य है. यदि कांग्रेस सरकारें चाहती हैं कि यह जीएसटी में शामिल हो तो वह रेट बताएं, जीएसटी काउंसिल में चर्चा करें. जीएसटी काउंसिल तय करेगी.
Comments are closed.