असम में हथियार लाइसेंस पर सियासी विवाद तेज, कांग्रेस अध्यक्ष गौरव गोगोई ने सरकार के फैसले पर जताई आपत्ति
समग्र समाचार सेवा,
गुवाहाटी, 30 मई: असम प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के उप नेता गौरव गोगोई ने असम सरकार के हालिया फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने राज्य के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले मूल निवासियों को हथियारों का लाइसेंस देने का निर्णय लिया है, जिसे गोगोई ने सोशल मीडिया के माध्यम से निंदात्मक बताया है।
गोगोई ने कहा कि असम की जनता को बंदूक नहीं, बल्कि रोजगार, सस्ता और बेहतर स्वास्थ्य सेवा तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जरूरत है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पुलिस और सीमावर्ती सुरक्षा बलों को मजबूत करने के बजाय भाजपा-आरएसएस के समर्थकों और स्थानीय अपराधियों को हथियार देने की योजना बना रही है। उनके अनुसार यह निर्णय असम में गैंगवार और व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण बढ़ते अपराध की स्थिति को जन्म देगा और व्यापारियों व आम जनता को भारी नुकसान पहुंचेगा।
उन्होंने मुख्यमंत्री से तत्काल इस फैसले को वापस लेने और जनता में भरोसा बनाए रखने वाले नेतृत्व का परिचय देने की अपील की है। गोगोई ने इसे एक चुनावी रणनीति भी बताया जो असम की वास्तविक समस्याओं को दरकिनार कर राजनीतिक लाभ के लिए लिया गया है।
असम सरकार का पक्ष
असम सरकार का कहना है कि इस फैसले के पीछे राज्य के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले अल्पसंख्यक मूल निवासियों की सुरक्षा की चिंता है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कि धुबरी, मोरीगांव, बारपेटा, नागांव, दक्षिण सालमारा-मनकाचर और गोआलपारा जिलों में रहने वाले मूल निवासी पड़ोसी बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा और असुरक्षा के कारण जोखिम में हैं। इसलिए उनकी रक्षा के लिए यह फैसला जरूरी था।
सरमा ने कहा कि यह मांग असम आंदोलन के समय से चली आ रही है, लेकिन अब तक कोई सरकार इसे लागू करने का साहस नहीं जुटा पाई थी। उनका कहना है कि अगर पहले के दौर में यह कदम उठाया गया होता तो लोग अपनी जमीन बेचकर पलायन नहीं करते। साथ ही, जिलाधिकारी हथियार लाइसेंस जारी करते समय अपराधियों को लाइसेंस नहीं मिलने देंगे।
असम के सीमावर्ती राज्यों मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैंड के साथ सीमा विवाद अभी भी सुलझे नहीं हैं और यहां हाल ही में हिंसक घटनाएं भी हुई हैं, जिनमें 2021 में असम-मिजोरम सीमा पर गोलीबारी में सात लोग मारे गए थे। सरकार का मानना है कि इस संदर्भ में सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा के लिए हथियार लाइसेंस देना आवश्यक हो गया है।
असम की राजनीति में यह फैसला एक बड़ी सियासी मुद्दा बन गया है, जहां कांग्रेस की नकारात्मक प्रतिक्रिया और भाजपा सरकार के सुरक्षा तर्क आमने-सामने हैं। आगामी समय में इस विवाद के और राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
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