गायक जुबिन गर्ग की मौत पर सियासी तूफान: कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई का आरोप – SIT सच्चाई नहीं, मुख्यमंत्री को बचाने के लिए बनी
समग्र समाचार सेवा
गुवाहाटी, 20 अक्टूबर: असम के लोकप्रिय गायक जुबिन गर्ग की रहस्यमयी मौत को लेकर अब सियासत गरमा गई है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने शनिवार को राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस मामले में सच्चाई उजागर करने के बजाय अपने करीबी लोगों को बचाने के लिए SIT गठित की।
गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कला क्षेत्र में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान गोगोई ने कहा, “यह विशेष जांच दल (SIT) सच्चाई सामने लाने के लिए नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और उनके करीबी आरोपियों के रिश्तों को छिपाने के लिए बनाई गई है।”
जुबिन गर्ग की मौत और विवाद की शुरुआत
51 वर्षीय जुबिन गर्ग की 19 सितंबर को सिंगापुर के तट पर तैरते समय डूबने से मौत हो गई थी। वह नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल (NEIF) में प्रदर्शन के लिए सिंगापुर गए थे, जिसे असम एसोसिएशन ऑफ सिंगापुर द्वारा आयोजित किया गया था।
शुरुआत में इस मौत को दुर्घटना बताया गया था, लेकिन अब कई संदेह और सवाल उठने लगे हैं। असम और पूर्वोत्तर के लोग लगातार पारदर्शी जांच की मांग कर रहे हैं, जबकि कई रिपोर्टों में संभावित साजिश की ओर भी इशारा किया गया है।
‘मुख्यमंत्री के करीबी लोगों पर सवाल’
गोगोई ने आरोप लगाया कि NEIF आयोजक श्यामकानु महंता, जो मुख्यमंत्री सरमा के नजदीकी बताए जाते हैं, और गायक के मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा दोनों ही अब सिंगापुर में न्यायिक हिरासत में हैं।
उन्होंने कहा, “SIT का गठन इसलिए नहीं हुआ कि जुबिन गर्ग की मौत कैसे हुई, बल्कि इसलिए कि मुख्यमंत्री और बीजेपी के करीबी लोगों की भूमिका पर पर्दा डाला जा सके।”
गोगोई ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं इस जांच की निगरानी कर रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार न्याय के बजाय छवि प्रबंधन पर ज्यादा ध्यान दे रही है।
राज्य पुलिस की भूमिका और जनता की नाराज़गी
असम पुलिस और सिंगापुर पुलिस मिलकर मामले की जांच कर रही हैं। फोरेंसिक रिपोर्ट और गवाहों के बयान जुटाए जा रहे हैं, लेकिन गोगोई सहित कई विपक्षी नेताओं का आरोप है कि सीमा पार जांच और राजनीतिक दबाव के कारण जांच की गति और पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
इस बीच, गुवाहाटी में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में हजारों लोग शामिल हुए। वहां उपस्थित लोगों ने फूलों से श्रद्धांजलि दी, प्रार्थनाएं कीं और जुबिन गर्ग की याद में एक स्मारक पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
असम जातीय परिषद (AJP) के अध्यक्ष लुरिनज्योति गोगोई ने भी कार्यक्रम में कहा, “जुबिन ने हमेशा समाज में अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। हमें उनके सपनों का समाज बनाना होगा, राजनीति नहीं करनी चाहिए।”
राजनीतिक तनाव और आने वाले चुनाव
जुबिन गर्ग की मौत अब असम की राजनीति का केंद्रबिंदु बन चुकी है। कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर पारदर्शिता की कमी और राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप लगाया है, जबकि सरकार ने अभी तक इन आरोपों पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
गोगोई की टिप्पणियों ने राज्य में शासन और जवाबदेही पर बहस को और गहरा कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर SIT रिपोर्ट में ठोस तथ्य नहीं आए, तो यह मामला भाजपा सरकार के लिए चुनावी नुकसान का कारण बन सकता है।
जुबिन गर्ग असम की आत्मा माने जाते थे — उनके गीत “ओ मुर अपुनार देश” ने हर असमी हृदय को छुआ था। अब उनकी मौत ने न केवल भावनात्मक बल्कि राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है।
क्या SIT सच्चाई सामने ला पाएगी या यह विवाद सरकार की साख को और कमजोर करेगा — यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
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