समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,17 दिसंबर। एक देश-एक चुनाव’ के मुद्दे पर संभावित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अध्यक्षता भाजपा को मिलने की संभावना है। एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि भाजपा, जो संसद में सबसे बड़ी पार्टी है, को इस समिति की अध्यक्षता मिलेगी और समिति में अन्य दलों के सदस्य भी शामिल होंगे। इस समिति का गठन जल्द ही किया जा सकता है ताकि ‘एक देश-एक चुनाव’ को लेकर विस्तृत अध्ययन और चर्चा की जा सके।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के प्रस्ताव पर सहमति जताई थी। सरकार का मानना है कि इस फैसले से चुनावी खर्च में कमी आएगी और प्रशासनिक कामकाज में स्थिरता आएगी। हालांकि, स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है।
भाजपा इस मुद्दे पर तेजी से आगे बढ़ना चाहती है और संसदीय समिति के जरिए विपक्ष को भी शामिल कर व्यापक सहमति बनाने की कोशिश करेगी। वहीं, विपक्षी दलों ने पहले ही इस मुद्दे पर अपनी आपत्तियां जाहिर की हैं। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि ‘एक देश-एक चुनाव’ संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ है और यह राज्यों की स्वायत्तता को कमजोर कर सकता है।
सरकार का तर्क है कि लगातार हो रहे चुनावों से विकास कार्य प्रभावित होते हैं और चुनावी आचार संहिता के चलते नीतिगत फैसलों में देरी होती है। भाजपा का दावा है कि ‘एक देश-एक चुनाव’ से देश के संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा और प्रशासनिक कार्यक्षमता में सुधार आएगा।
इस बीच, संभावित समिति के गठन को लेकर संसदीय हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर सरकार अगले कदम उठाएगी। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है, जबकि भाजपा इसे लोकतंत्र को मजबूत करने वाला कदम बता रही है।
सरकार का कहना है कि संसदीय समिति के जरिए सभी पक्षों की राय ली जाएगी और जो भी निर्णय होगा, वह देशहित में होगा। आने वाले दिनों में ‘एक देश-एक चुनाव’ को लेकर संसद में गहमागहमी बढ़ने की संभावना है।
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