अनुसंधान, शिक्षा, उद्योग और स्टार्टअप के बीच सक्रिय भागीदारी ही भारत को सही मायने में आत्मनिर्भरता प्रदान करेगी:डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नागरिकों को बेहतर शासन प्रदान करने के लिए आईटी और आधुनिक तकनीकों के क्षेत्र में बड़े कदम उठाए जा रहे हैं

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27 नवंबर। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत में ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ के मंत्र के आधार पर एक नए शासन मॉडल को लागू करने की परिकल्पना की गई है जिससे प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित ‘इज ऑफ गवर्नेंस’ की प्राप्ति की जा सके।

जम्मू और कश्मीर के कटरा में एनसीईजी की रजत जयंती, 25वें ई-गवर्नेंस राष्ट्रीय सम्मेलन (एनसीईजी) का उद्घाटन करते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि सुशासन का अंतिम लक्ष्य आम लोगों के लिए ‘ईज ऑफ लिविंग’ है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी की की आवश्यकताओं को पूरा किया है और शासन के प्रत्येक माध्यम में इसे शामिल किया है और सरकार सभी क्षेत्रों में समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी), भारत सरकार और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई), केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की सरकार के सहयोग से 26-27 नवंबर, 2022 को जम्मू और कश्मीर के कटरा में ई-गवर्नेंस (एनसीईजी) पर 25वें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। इस सम्मेलन का विषयवस्तु “नागरिक, उद्योग और सरकार के बीच घनिष्ठ संबंध” है।

सम्मेलन की विषयवस्तु “नागरिक, उद्योग और सरकार के बीच घनिष्ठ संबंध” पर चर्चा करते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि कोठरी में काम करने के दिन अब समाप्त हो चुके हैं और इसके साथ ही यह हमारे जीवन के लिए एक बहुत आवश्यकता बातें बन चुकी है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान, शिक्षा जगत, उद्योग जगत और स्टार्टअप के बीच घनिष्ठ स्थापित करने से ही भारत को सही मायने में आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रदान किया जा सकता है। मंत्री ने कहा कि वेब 3.0, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और नियमित तकनीकी हस्तक्षेपों के साथ विकसित हो रहे डिजिटल युग में, श्री मोदी के भारत में तकनीकी दशक वाले दृष्टिकोण को सशक्त और व्यापक रूप से डिजिटलीकरण को बढ़ावा देकर साकार किया जा सकता है।

मंत्री ने कहा कि अगले दशक में भारत को डिजिटल रूप से सशक्त और ज्ञानवर्धक समाज वाली अर्थव्यवस्था में रूपांतरित करने के लिए डिजिटल नवाचार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन विषयों और प्रौद्योगिकियों के बारे में बातचीत करने की आवश्यकता है जो देश के नागरिकों को सरकारी सेवाओं की आपूर्ति का विस्तार करने लिए भविष्य में डिजिटल शासन को एक स्वरूप प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि विजन इंडिया@2047 का स्वरुप ई-विजन इंडिया@2047 होगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस प्रकार के सभी बड़े सार्वजनिक डिजिटल समाधान को एक स्पष्ट वास्तुकला का साथ तैयार किया गया हैं और ये ‘प्लग एंड प्ले’ वाले मॉड्यूलर हैं, जो प्रौद्योगिकी के उपयोग का अनिवार्य रूप से लोकतांत्रिक और विकेंद्रीकृत करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक ‘खुले डिजिटल मंच’ का निर्माण कर रहा है, जिसमें प्रबल बल गुणांक हैं और कहा कि यह सस्ती, अंतर-संचालित, एपीआई-संचालित (और इसलिए मापनीय), स्थानीय भाषाओं में मोबाइल-फर्स्ट बनने में बहुत ही महत्वपूर्ण और अद्वितीय है और भारतीय उद्यमियों को उनकी समस्याओं का नया समाधान देने और उसका निपटारा करने के लिए बड़े पैमाने पर और विश्वास के साथ इन प्लेटफार्मों का निर्माण करने की अनुमति प्रदान करता है। मंत्री ने कहा कि यह केवल एक डिजिटल रूपांतरण नहीं हैं बल्कि नागरिक-केंद्रित समाधानों के डिजाइन दर्शन में एक नवाचार भी हैं, जिनका वृह्द सामाजिक-आर्थिक प्रभाव भी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दो दिवसीय गहन विचार-विमर्श में शामिल हो रहे सभी प्रतिभागियों और दिग्गजों से उन प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा जो भारत को अगले दशक में तीव्र विकास दर की ओर अग्रसर करेंगे। संपूर्ण सरकार में डिजिटल शासन के महत्व पर चर्चा करते हुए, उन्होंने कहा कि इस बात पर विचार करें कि सरकार को भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए ज्यादा सुलभ बनाने के लिए क्या-क्या करना होगा, हम अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ एक ज्यादा पारदर्शी और समयबद्ध शिकायत प्रबंधन प्रणाली कैसे विकसित कर सकते हैं, दुनिया और हमारे कुछ अपने उद्योगों में शिकायत निवारण की सर्वोत्तम प्रथाएं से कैसे सीख सकते हैं, हम स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ कैसे उठा सकते हैं, ज्यादा रोजगार उत्पन्न और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा कैसे दे सकते हैं आदि।

मंत्री ने कहा कि बहुत कम समय में “संपूर्ण सरकार, संपूर्ण राष्ट्र और संपूर्ण समाज” वाला दृष्टिकोण आकांक्षी परिणामों की प्राप्ति के लिए एक नया मानदंड बन चुका है। उन्होंने 05 जुलाई से 17 सितंबर, 2022 तक 75 दिनों तक चलने वाले “स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर” अभियान और कार्मिक मंत्रालय के पेंशन विभाग द्वारा चल रहे राष्ट्रव्यापी अभियान ‘डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र का निर्माण करने के लिए पीजी और पेंशन’ की सफलता का उदाहरण दिया। मंत्री ने कहा कि इस संपूर्ण और एकीकृत दृष्टिकोण के कारण, 01 से 19 नवंबर, 2022 तक केवल 20 दिनों में, केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों के लिए 25 लाख से ज्यादा डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) बनाए गए। उन्होंने कहा कि डीओपीपीडब्ल्यू के साथ-साथ प्रत्येक शहर में एसबीआई, पंजाब नेशनल बैंक, केंद्र सरकार के पंजीकृत पेंशनर संघ, भारतीय डाक और भुगतान बैंक (आईपीपीबी), भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई), राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) रक्षा लेखा महानियंत्रक (सीजीडीए) के प्रतिनिधि इस अभियान में शामिल हुए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि दक्षता में वृद्धि, पारदर्शिता में वृद्धि, नागरिक-केंद्रीकरण पर दृढ़ता से ध्यान केंद्रित करना और अंत्योदय की वास्तविक भावना के साथ जनसेवा प्रदान करने के लिए, अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच ही समस्त शासन सुधारों का अंतिम लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि अमृत काल के अगले 25 वर्षों में 20 से 40 वर्ष तक के अधिकारियों को 2047 में भारत के शासन का एक अनूठा और सर्वश्रेष्ठ मॉडल स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगा, जब हमारा देश आजादी की 100वीं वर्षगांठ मना रहा होगा।

डॉ. सिंह ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि संविधान दिवस समारोह के साथ एनसीईजी मेल खा रहा है, उन्होंने उद्घाटन सत्र में सभी प्रतिभागियों के साथ संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया, क्योंकि 26 नवंबर को 1949 को भारत का संविधान अपनाने के अवसर पर आज ‘संविधान दिवस’ मनाया जाता है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने ई-गवर्नेंस राष्ट्रीय पुरस्कार (एनएईजी) के लिए एनएईजी योजना-2022 की 5 श्रेणियों के अंतर्गत 9 स्वर्ण और 9 रजत राष्ट्रीय पुरस्कार केंद्रीय, राज्य और जिला स्तर पर, अकादमिक और अनुसंधान संस्थानों और सार्वजनिक क्षेत्र को प्रदान किया। जिसमें ई-गवर्नेंस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार के अंतर्गत “एक्सीलेंस इन गवर्नमेंट प्रोसेस री-इंजीनियरिंग फॉर डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन” श्रेणी में पंचायती राज मंत्रालय के ई-पंचायत मिशन मोड परियोजना (ई-ग्रामस्वराज और ऑडिट ऑनलाइन) को स्वर्ण पुरस्कार प्राप्त हुआ। केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने श्री आलोक प्रेम नागर, संयुक्त सचिव, पंचायती राज मंत्रालय को यह प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया।

श्री वी श्रीनिवास, सचिव, डीएआरपीजी ने अपने संबोधन में कहा कि ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ की नीति का प्रतिनिधित्व ‘डिजिटल रूप से सशक्त राष्ट्र, डिजिटल रूप से सशक्त नागरिक और डिजिटल रूप से रूपांतरित संस्थान’ द्वारा किया जाता है। सचिव ने कहा कि 2014 से 2022 के दौरान, केंद्र सरकार ने डिजिटल रूपांतरण किया है जिसे जनधन, आधार, भीम यूपीआई, कोविन, आरोग्य सेतु ऐप इत्यादि के माध्यम से भारत की ग्रामीण आबादी ने भी स्वीकार किया है।

श्री अरुण मेहता, मुख्य सचिव, जम्मू-कश्मीर ने अपने संबोधन में कहा कि कटरा में ई-गवर्नेंस पर 25वें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन होना केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के लिए एक गर्व का समय है जो जम्मू-कश्मीर में हो रहे बदलावों को परिलक्षित करता है। श्री मेहता ने कहा कि जम्मू और कश्मीर में पारदर्शिता, सामूहिक कार्य और प्रौद्योगिकी के माध्यम से अमृत सरोवर, एकेएएम, पीएमजीएसवाई, कृषि आय, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, पारदर्शिता और भूमि पासबुक प्रदान करना संभव हुआ है और इसने ई-गवर्नेंस में ‘मील का पत्थर’ प्राप्त किया है।

श्री अल्केश कुमार, सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने कहा कि यह केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, स्टार्टअप, अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा किए गए अनुकरणीय डिजिटल परिवर्तनों की पहचान करने और प्रदर्शित करने का एक सुनहरा अवसर है।

इस कार्यक्रम में श्री अमर नाथ, अपर सचिव, डीएआरपीजी, एनबीएस राजपूत, संयुक्त सचिव, डीएआरपीजी और अन्य विभागों के कई वरिष्ठ अधिकारियों और सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हुए।

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