खुला ख़त, कड़े आरोप: ममता ने हिंसा के लिए बीजेपी और आरएसएस को घेरा”

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में वक़्फ़ क़ानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान फैली हिंसा और उसमें हुई तीन मौतों के बाद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार देर रात जनता को संबोधित करते हुए एक भावुक और राजनीतिक रूप से तीखा खुला पत्र जारी किया। अपने पत्र में ममता बनर्जी ने इस पूरे घटनाक्रम की ज़िम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर डालते हुए कहा कि ये संगठन राज्य में “फूट डालो और राज करो” की नीति अपना रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश की जा रही है और इसकी पटकथा दिल्ली में लिखी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने पहली बार सार्वजनिक रूप से आरएसएस का नाम लेते हुए कहा, “मैंने पहले कभी इस संगठन का ज़िक्र नहीं किया था, लेकिन अब चुप नहीं रहा जा सकता। जो झूठा और दुर्भावनापूर्ण प्रचार चलाया जा रहा है, उसके पीछे इन्हीं ताक़तों का हाथ है।” उन्होंने यह भी कहा कि मुर्शिदाबाद की हिंसा एक उकसावे की घटना थी जिसका इस्तेमाल समाज में विभाजन पैदा करने के लिए किया जा रहा है।
ममता बनर्जी ने अपने पत्र में राज्य की जनता से अपील करते हुए कहा, “हमें हर कीमत पर शांति बनाए रखनी है। बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों को मिलकर एक-दूसरे की सुरक्षा और भावनाओं का सम्मान करना होगा। हम दंगों की निंदा करते हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई कर रहे हैं।”
हालांकि ममता के इस पत्र पर राजनीतिक विरोधियों ने जमकर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और सीपीएम के वरिष्ठ नेता सुजन चक्रवर्ती दोनों ने मुख्यमंत्री पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि बंगाल में जिस राजनीति का आज विरोध हो रहा है, उसी की नींव खुद ममता बनर्जी ने रखी थी। इन्होने आड़े हाथ लेते हुए ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि बंगाल में बीजेपी और आरएसएस को जगह देने वाली शुरुआत खुद ममता ने की थी, और अब जब मामला हाथ से निकल रहा है, तब वह दूसरों पर इल्ज़ाम लगा रही हैं। उनका आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस ने ही बीते वर्षों में ऐसे तत्वों को बढ़ावा दिया जिन्होंने आज माहौल को अस्थिर कर दिया है।
बीजेपी की ओर से नेता जगन्नाथ चटर्जी ने ममता के पत्र को “विभाजनकारी राजनीति का उदाहरण” बताया और कहा, “जिस मुख्यमंत्री की पार्टी ने समाज के एक वर्ग को भड़काने की छूट दी, वही अब शांति की बात कर रही हैं।” उन्होंने दावा किया कि मुर्शिदाबाद के कई हिंदू परिवार असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और राज्य प्रशासन उन्हें सुरक्षा देने में असफल रहा है, इसलिए वहां केंद्रीय बलों को तैनात करना पड़ा। आरएसएस की ओर से इस मामले में अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
फिलहाल, बंगाल का राजनीतिक माहौल गर्म है और यह साफ़ दिख रहा है कि आने वाले चुनावों में इस घटना की गूंज लंबे समय तक सुनाई दे सकती है। राज्य में कानून-व्यवस्था और सांप्रदायिक सौहार्द एक बार फिर चुनावी मुद्दा बनता दिख रहा है। अब देखना यह होगा कि ममता बनर्जी का यह पत्र जनता के बीच कैसा असर डालता है और राजनीतिक दल इस मुद्दे को किस तरह भुनाने की कोशिश करते हैं।

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