ऑपरेशन सिंदूर: सेना प्रमुख ने बताया, आतंकवाद पर लड़ाई अभी जारी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6 सितंबर: सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद 7 मई को शुरू किया गया ऑपरेशन सिंदूर केवल तीन दिनों का अभियान नहीं था, बल्कि यह एक विस्तारित और जटिल प्रक्रिया थी।

नई दिल्ली में आयोजित एक पुस्तक विमोचन समारोह में उन्होंने कहा,
“लोग सोचते हैं कि 10 मई को युद्ध खत्म हो गया था, लेकिन सच्चाई यह है कि यह सिर्फ एक शुरुआत थी। कई महत्वपूर्ण फैसले और लगातार ऑपरेशन इसके बाद भी चलते रहे।”

आतंकवाद और घुसपैठ पर रोक अभी चुनौतीपूर्ण

जनरल द्विवेदी ने कहा कि नियंत्रण रेखा (LoC) पर आतंकवाद और घुसपैठ की कोशिशें लगातार जारी हैं। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।
उन्होंने स्वीकार किया कि इस समय यह कहना जल्दबाजी होगी कि ऑपरेशन सिंदूर ने कितनी स्थायी सफलता हासिल की है, क्योंकि आतंकवादी नेटवर्क अभी भी सक्रिय है और घुसपैठ की घटनाएं सामने आ रही हैं

सशस्त्र बलों की एकजुटता और तालमेल

सेना प्रमुख ने इस अभियान के दौरान सशस्त्र बलों के बीच तालमेल की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने भारतीय सेना की गतिविधियों की तुलना एक लयबद्ध लहर से की, जहाँ हर इकाई ने मिलकर काम किया और आदेशों का पालन करते हुए बेहतर तालमेल दिखाया।
उनके अनुसार, इस तरह का सामंजस्य ही भविष्य के अभियानों की सफलता की कुंजी है।

थिएटरीकरण की अनिवार्यता

तीनों सेनाओं – थलसेना, वायुसेना और नौसेना – के एकीकरण पर बोलते हुए जनरल द्विवेदी ने कहा कि थिएटरीकरण (Theaterisation) अब समय की मांग है।
उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्धों में कई एजेंसियाँ और संसाधन शामिल होते हैं। ऐसे में, एकीकृत कमान संरचना ही बेहतर विकल्प है।
उनका कहना था कि जब इतनी सारी एजेंसियों को एक साथ मिलकर काम करना हो, तो थिएटरीकरण ही इसका प्रभावी समाधान है।

पाकिस्तान सीमा पर चुनौतियाँ बनी रहेंगी

जनरल द्विवेदी ने यह भी स्वीकार किया कि भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थितियां आसान नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पनाह देता रहेगा, भारत को सतर्क रहना होगा। सेना की प्राथमिकता सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना और किसी भी घुसपैठ के प्रयास को नाकाम करना है।

सेना प्रमुख के बयान से साफ है कि ऑपरेशन सिंदूर महज तीन दिन का सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि यह भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति का एक लंबा अध्याय है।
भारत ने जिस मजबूती और एकजुटता से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, वह सशस्त्र बलों की दक्षता और भविष्य की दिशा दोनों को दर्शाता है। हालांकि चुनौतियाँ अभी भी बाकी हैं, लेकिन भारतीय सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी लड़ाई किसी भी कीमत पर रुकने वाली नहीं है।

 

Comments are closed.