ऑपरेशन सिंदूर’ पर बंगाल सरकार का रुख बना विवाद का कारण, बीजेपी ने बताया सशस्त्र बलों का अपमान

समग्र समाचार सेवा,

कोलकाता, 9 जून: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता का देशभर में जिक्र हो रहा है। केंद्र सरकार इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक कार्रवाई मान रही है। लेकिन इस अभियान पर पश्चिम बंगाल सरकार के रुख ने नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ शब्द हटाया गया प्रस्ताव से

पश्चिम बंगाल विधानसभा में जो प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, उसमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है। हालांकि प्रस्ताव में भारतीय सशस्त्र बलों की आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की सराहना की जाएगी और 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले में मारे गए 26 लोगों को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस प्रस्ताव का नाम ‘Success of Armed Forces in Combating Terrorism’ रखा गया है। इसमें किसी विशिष्ट ऑपरेशन का नाम न देने का निर्णय लिया गया है, ताकि मामला राजनीतिक न बने।

बीजेपी का ममता सरकार पर तीखा हमला

भारतीय जनता पार्टी ने ममता बनर्जी सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की है।
बीजेपी विधायक दल के एक सदस्य ने कहा:

“भारतीय सशस्त्र बल देश का गौरव हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ हमारे सैनिकों की वीरता और साहस का प्रतीक है। इसका नाम न लेना उनका अपमान है।”

विधानसभा में बीजेपी के मुख्य सचेतक शंकर घोष ने कहा:

“ऐसा लगता है कि प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने वाले लोगों को यह भी नहीं पता कि सैन्य अभियानों को नाम कैसे और क्यों दिया जाता है। यह सैन्य परंपराओं और राष्ट्रीय गर्व के खिलाफ है।”

क्या है ‘ऑपरेशन सिंदूर’?

‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सशस्त्र बलों की उस जवाबी कार्रवाई का कोडनेम है, जो 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकी ठिकानों के खिलाफ की गई थी। इसमें सुरक्षा बलों ने समन्वित रणनीति से आतंकवादियों को निशाना बनाया और कई ठिकानों को ध्वस्त किया।

केंद्र सरकार का अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जोर

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इस ऑपरेशन का जिक्र अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी कर रही है ताकि दुनिया को यह बताया जा सके कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ा और निर्णायक रुख अपनाए हुए है। यह भी स्पष्ट किया जा रहा है कि पाकिस्तान की भूमिका एक प्रायोजक राष्ट्र के रूप में उजागर होनी चाहिए।

राजनीतिक विवाद की आहट

ममता सरकार के इस कदम को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। एक ओर केंद्र सरकार सशस्त्र बलों की तारीफ करते हुए ऑपरेशन का प्रचार कर रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार इस नाम का उल्लेख करने से परहेज कर रही है।

बीजेपी का कहना है कि यह रुख केवल राजनीतिक विरोध के लिए राष्ट्रीय हितों की अनदेखी जैसा है, जबकि तृणमूल कांग्रेस का तर्क है कि सैन्य कार्रवाई को राजनीति से अलग रखना चाहिए।

कल प्रस्ताव पर दो घंटे की चर्चा

पश्चिम बंगाल विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो चुका है और मंगलवार को दो घंटे की चर्चा के लिए यह प्रस्ताव सदन में रखा जाएगा। माना जा रहा है कि चर्चा के दौरान बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच जोरदार बहस हो सकती है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच विचारों का टकराव एक बार फिर साफ हो गया है। जहां एक ओर यह ऑपरेशन राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मरक्षा का प्रतीक है, वहीं राजनीतिक दृष्टिकोण से इसका इस्तेमाल या अनदेखी आने वाले समय में और गंभीर सियासी बहस को जन्म दे सकती है।

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