विपक्ष का बॉयकॉट, सरकार का अनुरोध, दोनों तरफ से दी जा रही लोकतंत्र की दुहाई

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26जून।नई पार्लियामेंट बिल्डिंग को लेकर हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा. एक तरफ केंद्र सरकार और भाजपा लोकतंत्र की दुहाई देकर सभी को उद्घाटन में आने का निमंत्रण दे रहे हैं. इसी तरह विपक्ष भी लोकतंत्र की दुहाई देकर नई संसद बिल्डिंग के उद्घाटन का बायकॉट कर रहा है. विपक्ष की 21 पार्टियां 28 मई को होने वाले उद्घाटन समारोह का बायकॉट कर रही हैं. हालांकि, ऐसी पार्टियों की भी कोई कमी नहीं है, जो इस उद्घाटन में शामिल होंगी.

लोकतंत्र की दुहाई देकर समर्थन और विरोध का खेल अब भी जारी है. अब उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने इस बारे में बयान दिया है. उनका कहना है कि राष्ट्रपति और संविधान की रिस्पेक्ट का मामला है. राष्ट्रपति को कोई निमंत्रण नहीं दिया गया. यहां तक कि पूर्व राष्ट्रपति को भी पार्लियामेंट बिल्डिंग के उद्घाटन के लिए इनविटेशन नहीं दिया, ऐसा क्यों? यह एक पार्टी का कार्यक्रम नहीं हैं.

इधर सरकार की तरफ से रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मोर्चा संभाला है. रक्षामंत्री का कहना है कि इस मामले का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. संसद की यह नई बिल्डिंग लोकतंत्र की निशानी है और समस्त देशवासियों की आकांक्षाओं को पूरा करती है. उद्घाटन का विरोध कर रही पार्टियों से मेरा अनुरोध है कि वह अपने इस निर्णय पर एक बार फिर से विचार करें.

नई पार्लियामेंट के उद्घाटन का बहिष्कार करने पर जेडीएस नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा, अब आज कांग्रेस राष्ट्रपति के प्रति बड़ा सम्मान दिखा रही है. अगर उनके प्रति कांग्रेसियों में इतना ही सम्मान है तो उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार ही क्यों उतारा था. और अब वे कह रहे हैं कि भाजपा आदिवासियों का अपमान कर रही है. यह सिर्फ इसलिए किया जा रहा है, ताकि लोगों का ध्यान भटकाया जाए और आदिवासी समाज के वोट हासिल किए जाएं.

विपक्ष ने नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपना हमला तेज कर दिया है. कांग्रेस ने कहा कि ‘एक आदमी के अहंकार और आत्म-प्रचार की इच्छा’ ने पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को परिसर के उद्घाटन के संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है.

रविवार को होने वाले नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं. विपक्षी दलों के आरोपों पर पलटवार करते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कहा कि इन दलों ने उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला केवल इसलिए किया है, क्योंकि इसका निर्माण प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर किया गया है.

भाजपा ने विपक्षी दलों से यह अपील भी की कि ‘बड़ा दिल’ दिखाकर संसद के उद्घाटन के ऐतिहासिक दिवस का हिस्सा बनें. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रविवार को नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में करीब 25 राजनीतिक दलों के शामिल होने की संभावना है, वहीं करीब 21 दलों ने समारोह के बहिष्कार का फैसला किया है. BJP समेत सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के 18 घटक दलों के साथ ही सात गैर-NDA दल समारोह में शामिल होंगे.

बहुजन समाज पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, जनता दल (सेक्युलर), लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास), वाईएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल और तेलुगू देशम पार्टी समारोह में शामिल होने वाले सात गैर-NDA दल हैं. इन दलों के लोकसभा में 50 सांसद हैं. इनकी मौजूदगी से सरकार को विपक्ष के उन आरोपों को खारिज करने में मदद मिलेगी कि यह पूरी तरह सरकारी कार्यक्रम है.

भाजपा के अलावा शिवसेना, नेशनल पीपुल्स पार्टी, नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, जननायक जनता पार्टी, अन्नाद्रमुक, आईएमकेएमके, आजसू, आरपीआई, मिजो नेशनल फ्रंट, तमिल मनीला कांग्रेस, आईटीएफटी (त्रिपुरा), बोडो पीपुल्स पार्टी, पीएमके, एमजीपी, अपना दल और एजीपी के नेता समारोह में शामिल होंगे.

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्‍यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि विपक्षी दलों की ओर से नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करना अनुचित है. उन्होंने नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर गुरुवार को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं और स्पष्ट कर दिया कि उनका रुख इस मामले में अन्य विपक्षी दलों से अलग है हालांकि, मायावती ने यह भी कहा कि पूर्व निर्धारित व्यस्तता के कारण वह उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं हो सकेंगी.

बसपा प्रमुख ने कहा कि ‘इसे जनजातीय महिला के सम्मान से जोड़ना भी अनुचित है. यह उन्हें (द्रौपदी मुर्मू को) निर्विरोध ना चुनकर उनके विरुद्ध उम्मीदवार खड़ा करते वक्त सोचना चाहिए था.’ कांग्रेस, वाम दल, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी समेत 21 विपक्षी दलों ने संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की और आरोप लगाया कि केंद्र की मौजूदा सरकार के तहत संसद से लोकतंत्र की आत्मा को ही निकाल दिया गया है.

ऑल इंडिया आदिवासी कांग्रेस ने मोदी सरकार पर नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए देश की राष्ट्रपति को निमंत्रित नहीं कर आदिवासियों का ‘अपमान करने’ का आरोप लगाया और इस कदम के खिलाफ 26 मई को देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘कल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रांची में झारखंड हाईकोर्ट में देश के सबसे बड़े न्यायिक परिसर का उद्घाटन किया. एक व्यक्ति के अहंकार और स्व-प्रचार की इच्छा ने प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति को 28 मई को नई दिल्ली में संसद के नए भवन के उद्घाटन के उनके संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है.’ उन्होंने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा, ‘अशोक द ग्रेट, अकबर द ग्रेट, मोदी द इनॉग्युरेट.’

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने नए संसद भवन को भारत के गौरव का प्रतीक करार देते हुए विपक्षी दलों से 28 मई को इसके उद्घाटन के ‘ऐतिहासिक दिन’, ‘बड़ा दिल’ दिखाकर शामिल होने की अपील की. उन्होंने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम सभी राष्ट्रपति का सम्मान करते हैं. मैं कांग्रेस द्वारा उनके बारे में कही गई बातों को याद कर आज राष्ट्रपति पद को किसी विवाद में नहीं घसीटना चाहता. लेकिन भारत के प्रधानमंत्री भी संसद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. प्रधानमंत्री के पास संवैधानिक जिम्मेदारी भी है.’

प्रसाद ने विपक्षी नेताओं से आग्रह किया कि वे कार्यक्रम के बहिष्कार को विपक्षी एकता बनाने के मंच के रूप में इस्तेमाल न करें. उन्होंने कहा कि इसके लिए और कई और अवसर आएंगे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने के विपक्षी दलों के ऐलान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि विपक्ष का रवैया गैर जिम्मेदाराना और लोकतंत्र को कमजोर करने वाला है.

मुख्‍यमंत्री आदित्यनाथ ने अपने बयान का एक वीडियो ट्विटर पर साझा करते हुए कहा कि ‘स्वतंत्र भारत के इतिहास में 28 मई की तारीख एक गौरवशाली तिथि के रूप में दर्ज होने जा रही है, जब देश के यशस्वी प्रधानमंत्री (नरेन्‍द्र मोदी) द्वारा भारत के लोकतंत्र की प्रतीक नई संसद भारतवासियों को भेंट की जाएगी.’ कुछ विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया.

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन ने कहा, ‘भारत की विविधता और बहुलता का प्रतिनिधित्व कर रहे 20 दलों द्वारा संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार एक तानाशाही सरकार द्वारा संसदीय परंपराओं के बहिष्कार का जवाब है.’ माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने राष्ट्रपति द्वारा ही संसद भवन का उद्घाटन कराए जाने पर जोर देते हुए कहा, ‘राष्ट्रपति न केवल गणराज्य प्रमुख हैं, बल्कि संसद की भी प्रमुख हैं. प्रधानमंत्री कार्यपालिका के प्रमुख हैं, विधायिका के नहीं.’

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता साकेत गोखले ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रत्येक वंदे भारत ट्रेन का उद्घाटन करने और कोविड टीका प्रमाणपत्रों पर प्रधानमंत्री की तस्वीर छपी होने का जिक्र करते हुए कहा कि यह ‘तानाशाहों की निशानी’ है. भाकपा सांसद बिनय विस्वम ने कहा कि विपक्ष ने जो मुद्दे उठाए हैं, उन पर जवाब नहीं मिले हैं. उन्होंने पूछा कि सरकार ने विपक्ष से यह कैसे कह दिया कि वह उद्घाटन समारोह के बहिष्कार के फैसले पर पुनर्विचार करे.

विपक्षी दलों का तर्क है कि राष्ट्रपति मुर्मू को संसद भवन के उद्घाटन का सम्मान मिलना चाहिए, क्योंकि वह न केवल राष्ट्राध्यक्ष हैं, बल्कि संसद का अभिन्न हिस्सा भी हैं, क्योंकि वह संसद सत्र बुलाती हैं, सत्रावसान करती हैं और संसद में अभिभाषण देती हैं.

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