जस्टिस यशवंत वर्मा के कॉल-इंटरनेट रिकॉर्ड खंगालने का आदेश, जांच में क्या होगा अगला कदम?

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,25 मार्च।
जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े मामले की जांच में बड़ा कदम उठाते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट को उनके कॉल और इंटरनेट रिकॉर्ड की जानकारी इकट्ठा करने के निर्देश दिए हैं। इस निर्देश के बाद दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीके उपाध्याय ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के 1 सितंबर 2024 से 22 मार्च 2025 तक के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) और इंटरनेट प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड (IPDR) मांगे हैं।

21 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को रिपोर्ट सौंपी गई थी। इसके बाद, CJI संजीव खन्ना ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि जस्टिस वर्मा के आधिकारिक और अन्य मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल्स टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स से ली जाएं। साथ ही, उनके आवास पर तैनात रजिस्ट्री स्टाफ, निजी सुरक्षा अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों की जानकारी भी जुटाने के निर्देश दिए गए हैं।

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जैसे ही यह डेटा प्राप्त होगा, उसे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के साथ साझा किया जाएगा। जांच को पारदर्शी और व्यापक बनाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है।

किसी व्यक्ति की डिजिटल गतिविधियों की निगरानी और विश्लेषण में कॉल रिकॉर्ड और IPDR अहम भूमिका निभाते हैं।

  • कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR): इससे पता चलता है कि किसी व्यक्ति ने कब, किससे और कितनी देर तक बातचीत की।

  • इंटरनेट प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड (IPDR): इससे यह जानकारी मिलती है कि मोबाइल फोन से किन वेबसाइट्स और एप्लिकेशन का उपयोग किया गया, इंटरनेट का कितना और कब इस्तेमाल हुआ और क्या किसी VPN का प्रयोग किया गया।

हालांकि, IPDR में केवल वेबसाइट्स या ऐप्स के उपयोग की जानकारी होती है, लेकिन यह डेटा एन्क्रिप्टेड होने के कारण यह नहीं बताया जा सकता कि किसी ने गूगल पर क्या सर्च किया या व्हाट्सएप पर किससे क्या बातचीत हुई।

जांच एजेंसियां IPDR रिकॉर्ड के आधार पर यह पता लगा सकती हैं कि जस्टिस वर्मा ने बीते छह महीनों में किन वेबसाइट्स और ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग किया। इसके अलावा, यह भी जांचा जाएगा कि क्या किसी संदिग्ध नंबर से उनका संपर्क हुआ था।

इस मामले में आगे की कार्रवाई कॉल और इंटरनेट डेटा की समीक्षा के बाद तय होगी। यदि कोई असामान्य गतिविधि पाई जाती है, तो मामले की जांच का दायरा और बढ़ सकता है। फिलहाल, सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या इस डिजिटल विश्लेषण से कोई महत्वपूर्ण जानकारी सामने आती है

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