“कीटनाशक के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देना होगा और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए”:डॉ. मनसुख मांडविया
केंद्रीय रसायन और उर्वरक एवं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. मनसुख मांडविया ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि मंत्रियों के साथ किसानों के लिए विशेष पैकेज की घोषणा पर की वर्चुअली बातचीत
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 01जुलाई। “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 3,68,676.7 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ किसानों के लिए नवीन योजनाओं के एक विशेष पैकेज को मंजूरी दी है। यह पैकेज टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देकर किसानों के समग्र कल्याण और उनकी आर्थिक बेहतरी पर केंद्रित है। ये पहल किसानों की आय को बढ़ायेंगी, प्राकृतिक एवं जैविक खेती को मजबूती देंगी, मिट्टी की उत्पादकता को पुनर्जीवित करेंगी और साथ ही खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित करेंगी” यह बात केंद्रीय रसायन और उर्वरक एवं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. मनसुख मांडविया ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि मंत्रियों को वर्चुअली संबोधित करते हुए कही।
इस वर्चुअल बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एवं 20 से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि मंत्री शामिल हुए बैठक में मौजूद राज्यों के कृषि मंत्रियों ने केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री एवं केंद्र सरकार से समय समय पर मिलने वाले सहयोग के लिए एवं इस पैकेज के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया ।
डॉ. मांडविया ने कहा कि सीसीईए ने किसानों को करों और नीम कोटिंग शुल्कों को छोड़कर 266.70 रुपये प्रति 45 किलोग्राम की बोरी की समान कीमत पर यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यूरिया सब्सिडी योजना को जारी रखने की मंजूरी दे दी है। पैकेज में तीन वर्षों के लिए (2022-23 से 2024-25) यूरिया सब्सिडी को लेकर 3,68,676.7 करोड़ रुपये आवंटित करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है। यह पैकेज हाल ही में अनुमोदित 2023-24 के खरीफ मौसम के लिए 38,000 करोड़ रुपये की पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) के अतिरिक्त है। किसानों को यूरिया की खरीद के लिए अतिरिक्त खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी और इससे उनकी इनपुट लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
वर्तमान में, यूरिया की एमआरपी 266.70 रुपये प्रति 45 किलोग्राम यूरिया की बोरी है (नीम कोटिंग शुल्क और लागू करों को छोड़कर) जबकि बैग की वास्तविक कीमत लगभग 2200 रुपये है। यह योजना पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा बजटीय सहायता के माध्यम से वित्तपोषित है। यूरिया सब्सिडी योजना के जारी रहने से जारी रहने से यूरिया का स्वदेशी उत्पादन भी अधिकतम होगा।
माननीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री ने कहा कि धरती माता ने हमेशा मानव जाति को भरपूर मात्रा में जीविका के स्रोत प्रदान किए हैं। यह समय की मांग है कि खेती के अधिक प्राकृतिक तरीकों और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित/सतत उपयोग को बढ़ावा दिया जाए। प्राकृतिक/जैविक खेती, वैकल्पिक उर्वरकों, नैनो उर्वरकों और जैव उर्वरकों को बढ़ावा देने से हमारी धरती माता की उर्वरता को बहाल करने में मदद मिल सकती है।
वैकल्पिक उर्वरक और रासायनिक उर्वरक के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘धरती माता की उर्वरता की बहाली, जागरूकता, पोषण और सुधार हेतु प्रधानमंत्री कार्यक्रम (पीएम-प्रणाम)’ शुरू किया गया है।
डॉ. मांड़विया ने सभी राज्यों से आह्वान किया कि सभी को संयुक्त रूप से जैविक खेती बढ़ावा देना चाहिए और मिटटी की उर्वरता और मानव जीवन पर कीटनाशक से होने वाले दुष्प्रभाव को काम किया जा सके ।
उन्होंने बताया कि गोबरधन संयंत्रों से जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए बाजार विकास सहायता (एमडीए) के लिए 1451.84 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। गोबरधन पहल के तहत स्थापित बायोगैस संयंत्र/संपीड़ित बायो गैस (सीबीजी) संयंत्रों से उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित जैविक उर्वरक अर्थात किण्वित जैविक खाद (एफओएम)/तरल एफओएम /फास्फेट युक्त जैविक खाद (पीआरओएम) के विपणन का समर्थन करने के लिए 1500 रुपये प्रति मीट्रिक टन के रूप में एमडीए योजना शामिल है।
ऐसे जैविक उर्वरकों को भारतीय ब्रांड एफओएम, एलएफओएम और पीआरओएम के नाम से ब्रांड किया जाएगा। यह एक तरफ फसल के बाद बचे अवशेषों का प्रबंध करने और पराली जलाने की समस्याओं का समाधान करने में सुविधा प्रदान करेगा, पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने में भी मदद करेगा। साथ ही किसानों को आय का एक अतिरिक्ता स्रोत प्रदान करेगा। ये जैविक उर्वरक किसानों को किफायती कीमतों पर मिलेंगे।
मृदा में सल्फर की कमी को दूर करने और किसानों की इनपुट लागत को कम करने के लिए सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड) की शुरुआत की गई। देश में पहली बार सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड) की शुरुआत की गई है। यह वर्तमान में उपयोग होने वाले नीम कोटेड यूरिया से अधिक किफायती और बेहतर है। यह देश में मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करेगा। यह किसानों की इनपुट लागत भी बचाएगा और उत्पादन एवं उत्पाददकता में वृद्धि के साथ किसानों की आय भी बढ़ाएगा।
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