पहलगाम आतंकी हमला: बैसरन घाटी में दहशत, 26 की मौत, आतंकियों ने धर्म पूछ कर हिंदू पर्यटकों को बनाया निशाना
23 अप्रैल, जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियों में मंगलवार 22 अप्रैल को तबाही का मंजर देखा गया जब पहलगाम के पास बैसरन घाटी में आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी। यह हमला आर्टिकल 370 हटने के बाद अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है। हमले में 25 सैलानियों समेत एक स्थानीय नागरिक की दर्दनाक मौत हो गई, जिनमें दो NRI पर्यटक भी शामिल थे।
आतंकियों की इस बर्बरता की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है। चश्मदीदों के मुताबिक, हमलावरों की संख्या दो से तीन थी जिन्होंने 50 राउंड से भी ज्यादा गोलियां चलाईं। आतंकियों ने बाकायदा धर्म पूछकर हिन्दू पर्यटकों को निशाना बनाया, जिससे माहौल और भी भयावह हो गया।
हमले के बाद घाटी में मातम पसरा हुआ है। दिल्ली समेत पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। राष्ट्रीय राजधानी में पर्यटक स्थलों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर अतिरिक्त बल तैनात कर दिए गए हैं। वहीं, पहलगाम और आसपास के क्षेत्रों में सेना और पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन शुरू कर दिए हैं। हर वाहन की सख्ती से तलाशी ली जा रही है और सड़कों पर भारी बैरिकेडिंग कर दी गई है।
घटना के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना सऊदी अरब दौरा बीच में ही छोड़कर देश वापसी की और दिल्ली पहुंचते ही आपातकालीन सुरक्षा बैठक बुलाई। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हुए। अमित शाह हमले के बाद सीधे श्रीनगर पहुंच गए जहां उन्होंने स्थिति का जायज़ा लिया।
वहीं, विपक्ष की ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गृह मंत्री और जम्मू-कश्मीर के नेताओं से बात कर चिंता व्यक्त की और पीड़ितों को न्याय दिलाने की बात कही। इस आतंकी हमले के खिलाफ कश्मीर में भारी रोष है। चैंबर एंड बार एसोसिएशन जम्मू द्वारा बुलाए गए ‘कश्मीर बंद’ को नेशनल कॉन्फ़्रेंस और पीडीपी का समर्थन मिला है। महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला दोनों ने जनता से अपील की है कि वे इस बंद को सफल बनाएं और निर्दोषों की हत्या के खिलाफ एकजुट होकर आवाज़ उठाएं।
पहलगाम की बैसरन घाटी में हुआ यह आतंकी हमला न सिर्फ कश्मीर की वादियों को खून से लाल कर गया, बल्कि पूरे देश को झकझोर देने वाला साबित हुआ। यह घटना दर्शाती है कि जम्मू-कश्मीर में भले ही राजनीतिक बदलाव आए हों और आतंकी गतिविधियों पर नियंत्रण के प्रयास किए जा रहे हों, लेकिन कट्टरपंथ और नफरत की जड़ें अब भी गहरी हैं। धर्म पूछकर निर्दोषों को निशाना बनाना न केवल अमानवीय है, बल्कि भारत की साझा संस्कृति और एकता पर सीधा हमला है।
सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया, प्रधानमंत्री की यात्रा का बीच में रुकना, और विपक्ष द्वारा एकजुट स्वर में हमले की निंदा – यह सब दर्शाता है कि देश इस दुःखद क्षण में एक साथ खड़ा है। TRF जैसे संगठनों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई और कश्मीर में आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना अब समय की मांग है। यह हमला हमें एक बार फिर यह याद दिलाता है कि आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई सिर्फ सुरक्षा बलों की नहीं, बल्कि हर नागरिक की है, जो देश की शांति और अखंडता में विश्वास रखता है। अब आवश्यकता है एकजुट होकर आतंक को करारा जवाब देने की।
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