पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संघर्षविराम समझौता, कतर और तुर्की की मध्यस्थता से खत्म हुआ सीमा तनाव
समग्र समाचार सेवा
दोहा/इस्लामाबाद/काबुल, 20 अक्टूबर: लगातार दो हफ्तों से जारी सीमा तनाव के बीच पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने आखिरकार संघर्षविराम समझौते (Ceasefire Agreement) पर हस्ताक्षर कर लिए हैं। यह समझौता कतर की राजधानी दोहा में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच हुई उच्च-स्तरीय वार्ता के बाद हुआ, जिसकी मध्यस्थता कतर और तुर्की ने की।
कतर के विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस समझौते के तहत दोनों देशों ने तत्काल संघर्षविराम लागू करने और दीर्घकालिक शांति तंत्र स्थापित करने पर सहमति जताई है। यह समझौता पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच हुए सबसे गंभीर सीमा संकट को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
क्या हुआ समझौते में?
समझौते के अनुसार, पाकिस्तान ने आश्वासन दिया है कि वह अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन नहीं करेगा और न ही उसके नागरिक या सार्वजनिक ढांचों को निशाना बनाएगा।
वहीं अफगान तालिबान सरकार ने वादा किया है कि वह तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) समेत किसी भी आतंकी संगठन को शरण या समर्थन नहीं देगी जो पाकिस्तान के भीतर हमले करता हो।
तालिबान नेता मोहम्मद सुहैल शहीन के अनुसार, दोनों देशों के वार्ताकार अगली बैठक के लिए तुर्की में दोबारा मिलेंगे ताकि समझौते के कार्यान्वयन की निगरानी व्यवस्था तय की जा सके।
तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने बयान जारी कर कहा, “दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ शत्रुतापूर्ण कार्रवाई रोकने और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त निगरानी तंत्र बनाने पर सहमति जताई है। यह तंत्र तुर्की और कतर की मदद से स्थापित किया जाएगा।”
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार, जो उपप्रधानमंत्री भी हैं, ने इस समझौते का स्वागत किया और कहा कि यह “सही दिशा में पहला कदम” है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “हम कतर और तुर्की की रचनात्मक भूमिका की सराहना करते हैं। अब हमें तुर्की में होने वाली अगली बैठक में एक ठोस और सत्यापन योग्य निगरानी व्यवस्था पर काम करना होगा ताकि अफगान भूमि से होने वाले आतंकवादी खतरों को रोका जा सके।”
इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से बातचीत के दौरान अफगानिस्तान को सीमा पर हालिया हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान ने अफगान सरकार के अनुरोध पर संघर्षविराम स्वीकार किया है लेकिन आतंकवादी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।
तालिबान मंत्री की चेतावनी
संघर्षविराम वार्ता के बीच अफगानिस्तान के गृह मंत्री मोहम्मद नबी उमरी ने पाकिस्तान सेना को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “यदि अफगान राष्ट्र आपको आक्रमणकारी घोषित कर दे, तो अल्लाह की कसम, आप भारतीय सीमा तक भी सुरक्षित नहीं रह पाएंगे।”
उनकी इस टिप्पणी को पाकिस्तान के प्रति सख्त चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है, जो वार्ता की संवेदनशीलता को भी दर्शाता है।
दुरंड रेखा पर चर्चा नहीं हुई
अफगान रक्षा मंत्री मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि दुरंड रेखा (Durand Line) विवाद वार्ता का हिस्सा नहीं था। उन्होंने कहा, “यह विषय समझौते का हिस्सा नहीं है। यह दोनों देशों के बीच का ऐतिहासिक मुद्दा है, जिसे इस वार्ता में नहीं छेड़ा गया।”
मुजाहिद ने यह भी बताया कि संघर्षविराम के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार सामान्य रूप से बहाल किया जाएगा और संबंधों को राष्ट्रीय हितों के आधार पर आगे बढ़ाया जाएगा।
यह समझौता तब हुआ है जब पिछले दिनों पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के पकतीका प्रांत में हवाई हमले किए थे, जिसमें 10 अफगान नागरिकों की मौत हो गई थी। इस घटना ने दोनों देशों के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया था।
पाकिस्तान लंबे समय से आरोप लगाता रहा है कि अफगान तालिबान TTP आतंकियों को शरण देता है, जबकि काबुल इस आरोप को सख्ती से खारिज करता आया है।
कतर और तुर्की की मध्यस्थता में हुआ यह संघर्षविराम समझौता दक्षिण एशिया में शांति की दिशा में एक नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि विश्वास बहाली और आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई के बिना यह शांति टिकाऊ नहीं हो पाएगी।
Comments are closed.