समग्र समाचार सेवा
इस्लामाबाद, 5 मार्च। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को अपनी ‘ग्रे लिस्ट’ में बनाए रखा है। एफएटीएफ ने उसे आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए संयुक्त राष्ट्र से नामित आतंकवादी समूहों के वरिष्ठ नेताओं और कमांडरों की जांच व मुकदमा चलाने में तेजी लाने को कहा है। पाकिस्तान ने एक्शन प्लान में 27 में से 26 बिंदुओं को पूरा कर लिया है, जिसे देश को ग्रे लिस्ट में शामिल होने पर लागू किया गया था।
एफएटीएफ आतंकी वित्तपोषण की निगरानी करने वाली वैश्विक संस्था
पेरिस स्थित एफएटीएफ धनशोधन और आतंकी वित्तपोषण की निगरानी करने वाली वैश्विक संस्था है। पाकिस्तान धनशोधन और आतंकी वित्तपोषण पर लगाम लगाने में नाकाम रहने के कारण जून 2018 से एफएटीएफ की ग्रे सूची में है। निर्धारित लक्ष्यों को अक्टूबर 2019 तक पूरा करने के लिए उसे एक कार्य योजना दी गई थी। पाकिस्तान अब जनवरी 2023 के अंत तक धनशोधन और आतंकी वित्तपोषण से निपटने से जुड़ी 2021 की कार्य योजना को पूरा करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है।
27 सूत्री कार्य योजना के 26 बिंदुओं पर पाकिस्तान की प्रगति
अक्टूबर 2021 में एफएटीएफ ने अपनी 27 सूत्री कार्य योजना के 26 बिंदुओं पर पाकिस्तान के प्रगति करने की बात स्वीकार की थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा प्रतिबंधित आतंकी समूहों के शीर्ष कैडर के खिलाफ आतंकी फंडिंग की जांच और अभियोजन को लेकर उसने इस्लामाबाद को अपनी ग्रे सूची (अधिक निगरानी वाली सूची) में बरकरार रखा था। उस समय एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने कहा था कि पाकिस्तान को कुल 34 सूत्रों वाली दो समवर्ती कार्य योजनाओं को पूरा करना है।
पाक सरकार के एक्शन में पाई गईं खामियां
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने 30 सूत्रों पर या तो काम पूरा कर लिया है या फिर उन पर प्रगति की है। इसमें कहा गया है कि एफएटीएफ के क्षेत्रीय सहयोगी-एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) से मिली 2021 की हालिया कार्य योजना मुख्य रूप से धनशोधन पर केंद्रित थी और उसने इसके क्रियान्वयन में गंभीर कमियां पाई थीं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नई कार्य योजना के सात सूत्रों में से चार को या तो पूरा कर लिया गया है या फिर उनमें प्रगति हुई है।
ग्रे लिस्ट में होने का पाकिस्तान को क्या है नुकसान
पाकिस्तान अब तक चीन, तुर्की और मलेशिया जैसे करीबी सहयोगियों की मदद से एफएटीएफ की काली सूची में शामिल होने से बचता आया है। हालांकि, ग्रे सूची में बने रहने के कारण इस्लामाबाद के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ से वित्तीय मदद हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है, जिससे मुल्क के लिए आर्थिक समस्याएं और बढ़ रही हैं।
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