पलानीस्वामी और अमित शाह की मुलाकात: एआईएडीएमके-बीजेपी गठबंधन और तमिलनाडु में आगामी चुनाव के बदलते समीकरण और संभावनाएँ

पूनम शर्मा

तमिलनाडु की राजनीति में हाल के दिनों में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के नेता एडप्पादी के पलानीस्वामी (ईपीएस) और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात ने सियासी हलकों में नई चर्चा पैदा कर दी है। यह मुलाकात उस समय हुई जब दोनों पार्टियां आगामी तमिलनाडु विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार करने में जुटी हुई हैं। एआईएडीएमके और बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह मुलाकात इस बात का संकेत देती है कि दोनों पार्टियों के बीच संभावित सहयोग की चर्चा फिर से शुरू हो चुकी है।

2023 तक , एआईएडीएमके और बीजेपी एक साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा थे। हालांकि, 2023 में एआईएडीएमके ने बीजेपी से अलग होने का फैसला लिया था। इस फैसले ने राज्य की राजनीति में भूचल मचा दिया था, क्योंकि एआईएडीएमके और बीजेपी के बीच लंबे समय तक गठबंधन रहा था। इसके बाद से दोनों पार्टियों के बीच संबंधों में खटास आई और एआईएडीएमके ने अकेले चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया।

हालांकि, अब स्थिति बदल रही है। पलानीस्वामी की अमित शाह से मुलाकात ने यह संकेत दिया है कि एआईएडीएमके और बीजेपी एक बार फिर एकजुट हो सकते हैं। पलानीस्वामी ने स्पष्ट किया कि पार्टी का गठबंधन बीजेपी के साथ चुनाव के करीब तय होगा। उन्होंने कहा, “हमारा सिद्धांत बरकरार है, लेकिन गठबंधन समय और स्थिति के अनुसार तय किया जाएगा।” उनका यह बयान यह दर्शाता है कि पार्टी आने वाली राजनीतिक परिस्थितियों के हिसाब से गठबंधन पर विचार करेगी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि चुनावी गठबंधन की दिशा में कोई भी निर्णय बाद में लिया जाएगा।

बीजेपी के साथ गठबंधन करना एआईएडीएमके के लिए एक रणनीतिक कदम हो सकता है। पिछले कई चुनावों में, एआईएडीएमके ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और पार्टी में अंतर्निहित प्रतिस्पर्धा भी देखी जाने लगी। 2021 में विधानसभा चुनावों में एआईएडीएमके को करारी हार झेलनी पड़ी थी, जबकि बीजेपी ने तमिलनाडु में भी उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं किया था। 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने तमिलनाडु में एक भी सीट नहीं जीती थी, जो यह साबित करता है कि दक्षिण भारत में बीजेपी को काफी मेहनत करनी पड़ेगी ।

बीजेपी के लिए एआईएडीएमके के साथ मिलकर काम करना तमिलनाडु में अपनी स्थिति मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हो सकता है। बीजेपी को दक्षिण भारत में अपनी योजनाओं को सफल बनाने में एआईएडीएमके की आवश्यकता हो सकती है। यही कारण है कि बीजेपी को एआईएडीएमके के साथ फिर से गठबंधन करने की दिशा में कदम उठा रही है ।

एआईएडीएमके के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन करने का एक अन्य कारण भी है। पार्टी के भीतर लगातार आंतरिक विवाद और नेतृत्व संकट के कारण यह पार्टी एक स्थिर राजनीतिक गठबंधन की तलाश में है। पार्टी के सामने अब यह चुनौती है कि वह राज्य में अपने पुराने ताकतवर गठबंधन को फिर से स्थापित करे, जिससे वह आगामी चुनावों में मजबूती से खड़ी हो सके।

हालांकि, पार्टी का यह निर्णय पूरी तरह से परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। जैसे पलानीस्वामी ने कहा कि अगले चुनाव के लिए एक साल का समय है, ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच वार्ता और राजनीतिक समीकरणों में बदलाव हो सकता है।

इस बीच तमिलनाडु, द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) और बीजेपी के बीच हर समय तनाव बढ़ता जा रहा है। डीएमके ने 2021 विधानसभा चुनाव में अच्छा जीत हासिल की और अपनी पकड़ राज्य में मजबूत बनाई। जबकि दूसरी ओर बीजेपी ने अक्सर राज्य के मुद्दों पर डीएमके की आलोचना की है। बीजेपी नेताओं ने दावा किया है कि डीएमके भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए “भाषा के मुद्दे” का उपयोग कर रही है।

यहाँ पर अमित शाह और पलानीस्वामी की मुलाकात बहुत महत्वपूर्ण है। यदि एआईएडीएमके और बीजेपी का गठबंधन बनता है, तो यह डीएमके के खिलाफ एक प्रभावी गठबंधन हो सकता है। बीजेपी और एआईएडीएमके का एकजुट होना राज्य में राजनीतिक माहौल को पूरी तरह बदल सकता है, क्योंकि दोनों पार्टियां डीएमके के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बना सकती हैं।

पलानीस्वामी और अमित शाह की मुलाकात राजनीतिक विश्लेषकों को यह सोचने पर मजबूर कर गई है कि तमिलनाडु में अगला विधानसभा चुनाव कैसे होगा। यदि एआईएडीएमके और बीजेपी फिर से गठबंधन करते हैं, तो यह राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ हो सकता है। वहीं, डीएमके अपनी स्थिति को और मजबूत करने की कोशिश कर रही है। तमिलनाडु में अगले कुछ महीने सियासी हलचल से भरपूर हो सकते हैं, और राजनीतिक दलों को अपनी रणनीतियां तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़नी होगी।

यह कहना योग्य होगा कि बीजेपी और एआईएडीएमके का संभवत: गठबंधन तमिलनाडु की आने वाली विधानसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा । यह गठबंधन तमिलनाडु राज्य की राजनीति ही नहीं , बल्कि भारतीय राजनीति के दिशानिर्देश को भी आकार देने की दिशा के संबंध में अपनी एक भूमिका निभा सकता है ।

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