समग्र समाचार सेवा
बलिया, 13 जुलाई: बलिया के छोटे से गांव पुरूषोत्तम पट्टी में एक नई उम्मीद जन्म लेने जा रही है। IPS अधिकारी पंकज चौधरी ने अपने पिता स्वर्गीय श्री सदाशिव चौधरी की स्मृति में एक भव्य पुस्तकालय बनाने की घोषणा की है। यह पुस्तकालय गांव के बच्चों के लिए न सिर्फ किताबों का घर होगा बल्कि उनके सपनों को पंख देने वाली जगह भी बनेगा।
अपने पिता को याद करते हुए पंकज चौधरी की आवाज भर आई। उन्होंने कहा, “यह वही है जो बाबूजी चाहते थे। उनके लिए शिक्षा ही असली विरासत थी जो आने वाली पीढ़ियों को दी जा सकती है।”
किताबों के साथ छात्रवृत्ति भी
यह पुस्तकालय गांव और आसपास के इलाकों के छात्रों के लिए खुला रहेगा। यहां पढ़ाई के माहौल को और मजबूत करने के लिए हर साल कक्षा 10वीं और 12वीं के मेधावी बच्चों को छात्रवृत्ति भी दी जाएगी। आर्थिक तंगी के कारण किसी होनहार का सपना अधूरा न रहे, इसी सोच के साथ इस योजना को आकार दिया गया है।
सेवा की परंपरा का प्रतीक
स्वर्गीय श्री सदाशिव चौधरी एक सिद्धांतवादी जूनियर इंजीनियर थे, जिनका जीवन सादगी और ईमानदारी से भरा था। यूपी से लेकर उत्तराखंड तक, उन्होंने पहाड़ी इलाकों से लेकर बनारस के घाटों तक अपनी सेवा दी। 20 जून 2025 को भोपाल में उनका निधन हुआ। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार काशी के हरिश्चंद्र घाट पर किया गया। उनकी तेरहवीं में केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत समेत कई वरिष्ठ अधिकारी और नेता शामिल हुए।
चौधरी परिवार की सेवा परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है। पंकज चौधरी के दादा स्वर्गीय रामलोचन पहलवान भी गांव के गौरव रहे हैं। 1898 में जन्मे पहलवान रामलोचन ने चंदगी राम जैसे दिग्गजों से मुकाबला किया और लगभग 100 वर्ष तक जीवित रहे। महाशिवरात्रि 2020 पर उनकी याद में गांव में एक मंदिर भी बना, जिसमें पंकज चौधरी की पत्नी और नेता मुकुल चौधरी ने स्वयं जयपुर से लाए शिव परिवार की मूर्ति स्थापित की
स्मृति से मिशन तक
गांव का यह पुस्तकालय भी उसी मंदिर की तरह सिर्फ ईंट-पत्थर की इमारत नहीं होगा, बल्कि अनुशासन, सादगी और सेवा की पीढ़ियों पुरानी परंपरा का प्रतीक बनेगा। एक साधारण गांव अब एक मिशन का केंद्र बन रहा है, जहां यादें कर्म में बदल रही हैं।
IPS पंकज चौधरी इस पहल से अपने पिता की विरासत को श्रद्धांजलि देते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए सीखने और आगे बढ़ने की नई राह बना रहे हैं।
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