शर्मिष्ठा पनौली की गिरफ्तारी पर गरमाई राजनीति, दोहरे मापदंडों पर उठे सवाल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1 जून: 
 22 वर्षीय लॉ की छात्रा और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनौली की कोलकाता पुलिस द्वारा गिरफ्तारी ने देशभर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सांप्रदायिकता और सेक्युलरिज़्म की परिभाषा पर एक नई बहस छेड़ दी है।

ऑपरेशन सिंदूर — जिसमें पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए 26 नागरिकों के जवाब में भारत ने आतंक के खिलाफ अभियान चलाया — के दौरान पनौली ने एक वीडियो पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने बॉलीवुड हस्तियों पर आतंक पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए तीखी भाषा और कुछ सांप्रदायिक टिप्पणियां की थीं।

वीडियो वायरल होते ही कोलकाता में FIR दर्ज की गई। भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत धार्मिक वैमनस्य फैलाने और जनउपद्रव भड़काने की धाराओं में केस दर्ज किया गया। वीडियो हटाने और सार्वजनिक माफी के बावजूद, पनौली को गुरुग्राम से गिरफ्तार कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।

हालांकि गिरफ्तारी के बाद मामला केवल कानूनी नहीं रहा — यह राजनीतिक और वैचारिक टकराव का केंद्र बन गया।

आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जन सेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने सोशल मीडिया पर गिरफ्तारी की आलोचना की और धार्मिक सहिष्णुता को लेकर दोहरे मापदंड पर सवाल उठाए।

“हां, उनके शब्द अनुचित थे, पर उन्होंने माफी मांगी। लेकिन जब चुने हुए जनप्रतिनिधि सनातन धर्म को ‘गंदा धर्म’ कहते हैं, तब जवाबदेही कहां है?” – पवन कल्याण

https://twitter.com/PawanKalyan/status/1928829383734866375

उन्होंने आगे कहा, “ब्लास्फ़ेमी की निंदा होनी ही चाहिए, लेकिन सेक्युलरिज़्म कुछ के लिए ढाल और दूसरों के लिए तलवार नहीं बन सकता। यह दोतरफा रास्ता होना चाहिए।

कल्याण ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस वीडियो को भी टैग किया जिसमें उन्होंने बीजेपी की विचारधारा को “गंदा धर्म” करार दिया था। बीजेपी ने इसे हिंदू आस्थाओं के अपमान के तौर पर लिया और बनर्जी पर पाखंड और चयनात्मक चुप्पी का आरोप लगाया।

कोलकाता पुलिस, जो लगातार सवालों के घेरे में रही, ने आधिकारिक स्पष्टीकरण में कहा, “कानूनी प्रक्रिया का पूरा पालन किया गया। बार-बार नोटिस भेजे गए, लेकिन पनौली अनुपलब्ध रहीं। कोर्ट द्वारा जारी वारंट के बाद गिरफ्तारी की गई।”

इस बीच, बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी पनौली के पक्ष में आवाज उठाई और कानून के चयनात्मक प्रयोग पर नाराज़गी जताई।

“जब मूर्तियों को खंडित किया जाता है या राम नवमी की शोभायात्राओं पर पत्थरबाज़ी होती है, तब कोलकाता पुलिस की यही तत्परता कहां होती है?”
— शुभेंदु अधिकारी

https://twitter.com/SuvenduWB/status/1929013643129270587

फिलहाल शर्मिष्ठा पनौली जेल में हैं — एक छात्रा जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक भावनाओं और राजनीतिक एजेंडा के बीच खींचतान का चेहरा बन गई है।

उनकी गिरफ्तारी अब महज़ एक कानून का मामला नहीं रह गया, बल्कि इसने राष्ट्रीय स्तर पर वह प्रश्न फिर खड़ा कर दिया है:
किसे बोलने का अधिकार है, कौन उसकी कीमत चुकाता है और कौन बेखौफ निकल जाता है?

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