2001 संसद हमला: शहीदों को पीएम मोदी और राहुल गांधी ने दी श्रद्धांजलि
13 दिसंबर 2001 को हुए हमले में पांच पुलिसकर्मी, सीआरपीएफ जवान और अन्य कर्मी शहीद हुए, देश ने उनके बलिदान को नमन किया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13 दिसंबर: साल 2001, तारीख 13 दिसंबर। कड़ाके की ठंड के बीच संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा था। लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक को लेकर हंगामा जारी था। इसी दौरान भारत के लोकतंत्र के केंद्र पर ऐसा आतंकी हमला हुआ, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
शनिवार को संसद हमले की 24वीं बरसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सोनिया गांधी समेत कई नेताओं ने शहीद सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शहीदों को नमन करते हुए कहा कि उनका बलिदान राष्ट्र सदैव याद रखेगा।
हमला कैसे हुआ
सुबह करीब 11:30 बजे एक सफेद एंबेसडर कार संसद भवन के गेट नंबर 12 से भीतर दाखिल हुई। सुरक्षाकर्मियों ने कार को रोकने की कोशिश की। इसी दौरान कार उपराष्ट्रपति की गाड़ी से टकरा गई और आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। आतंकियों के पास एके-47 जैसे अत्याधुनिक हथियार थे। गोलियों की आवाज़ से पूरा संसद परिसर दहल उठा।
संसद पूरी तरह सील
हमले के समय संसद भवन में गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित कई मंत्री, सांसद और पत्रकार मौजूद थे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सभी को सुरक्षित स्थानों पर रहने को कहा गया और संसद को पूरी तरह सील कर दिया गया।
आतंकियों का सफाया
एक आतंकी गेट नंबर 1 से संसद में घुसने की कोशिश कर रहा था, लेकिन सुरक्षा बलों ने उसे मौके पर ही ढेर कर दिया। इसके बाद चार आतंकियों ने गेट नंबर 4 और 5 की ओर बढ़ा। मुठभेड़ में सभी आतंकियों को मार गिराया गया। यह ऑपरेशन सुबह 11:30 बजे शुरू होकर शाम 4 बजे तक चला। सुरक्षाबलों की बहादुरी और त्वरित कार्रवाई से एक बड़ा हादसा टल गया।
शहादत और बलिदान
इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की एक महिला जवान, राज्यसभा सचिवालय के दो कर्मचारी और एक माली शहीद हुए। इन सभी ने संसद और देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
जांच और सजा
हमले के दो दिन बाद अफजल गुरु, एसएआर गिलानी, अफशान गुरु और शौकत हुसैन को गिरफ्तार किया गया। न्यायिक प्रक्रिया के बाद अफजल गुरु को दोषी ठहराया गया और 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में उसे फांसी दी गई। अन्य आरोपियों में कुछ को बरी किया गया और कुछ की सजा कम की गई।
संसद पर हुआ यह हमला भारत के इतिहास की सबसे गंभीर आतंकी घटनाओं में से एक माना जाता है। इस घटना ने देश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की दिशा में नए बदलाव किए।
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