संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर गर्म बहस, सरकार ने पहली बार रखा अपना पक्ष

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 जुलाई: संसद सत्र के दौरान राज्यसभा में गुरुवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बहस हुई। समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने सरकार से सवाल पूछा कि क्या यह सैन्य कार्रवाई 7 मई को किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव में की गई थी? इस पर विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने पहली बार संसद में सरकार का पक्ष स्पष्ट करते हुए बयान दिया।

विपक्ष का सवाल: क्या कोई बाहरी दबाव था?

समाजवादी पार्टी के सांसद सनजीव विश्वास ने सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या ऑपरेशन का निर्णय किसी बाहरी दबाव के कारण लिया गया? इसकी प्रतिक्रिया में कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर को आतंकी हमले के जवाब में अस्थायी रूप से शुरू किया था।

सरकार का जवाब: पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के अड्डों पर कार्रवाई

विदेश राज्य मंत्री ने बताया कि कांग्रेस मुक्त और निर्णायक कार्रवाई की गई, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के आतंकी ढांचे को नष्ट करना उद्देश्य था। उन्होंने कहा कि भारत ने निपुणता और संयम के साथ जवाबी आतंकवाद निवारक कार्रवाई की, जबकि पाकिस्तान ने भारतीय नागरिक इलाकों और सैन्य संस्थानों को निशाना बनाने की कोशिश की थी। उस पर दर्दनाक जवाबी कार्रवाई हुई, जिसने पाकिस्तान को बड़े नुकसान से दो‑चार किया

अचानक सीजफायर क्यों हुआ?

रामजी लाल सुमन ने पूछा, “यदि ऑपरेशन इतना सफल था तो अचानक सीजफायर कैसे लागू हो गया?” इस पर कीर्ति वर्धन सिंह ने स्पष्ट किया कि 10 मई को पाकिस्तान के Director General of Military Operations (DGMO) ने भारतीय सैन्य अधिकारियों से संपर्क कर कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया था। दोनों पक्षों की सहमति से उसी दिन सीजफायर लागू कर दिया गया।

ऑपरेशन की पृष्ठभूमि

इस सैन्य अभियान की पृष्ठभूमि 22 अप्रैल को जम्मू‑कश्मीर के पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या है। इसके बाद भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की थी, जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया गया था। यह पहली बार है जब संसद में इस ऑपरेशन पर सरकार ने अपना औपचारिक दृष्टिकोण रखा है।

बहस ने दर्शाए गहरी राजनीतिक टकराव की लकीरें

यह बहस सरकार और विपक्ष के बीच सीधे तौर पर ऑपरेशन की आवश्यकता और उसकी रणनीति को लेकर मौजूद मतभेदों को उजागर करती है। विपक्षी नेता यह मांग कर रहे हैं कि कार्रवाई की वास्तविकता, समय और असर की समीक्षा की जाए, जबकि सरकार इसे देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक औपचारिक नियंत्रण और संयम की नीति के तहत पेश कर रही है।

 

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