आलोक लाहड
अंग्रेजी में एक कहावत है A stitch in time, saves nine. यानी समय पर किया गया उपचार भविष्य की बड़ी बीमारीयों से बचाता है। भाजपा के संग कुछ ऐसा ही हुआ। बंगाल में कार्यकर्ताओं के काम और जोश के कारण पार्टी तीन विधायकों से सत्ततर पर आ पहुंची। सीपीएम द्वारा विरासत में मिले, और टीएमसी द्वारा पाले गए गुंडों ने इस के बाद भाजपा ने कार्यकर्ताओं को पीटा, बलात्कार हुए यहां तक की जान से मार डाला, किंतु केंद्र सरकार ने कुछ नहीं किया। कार्यकर्ताओं का आक्रोश आसमान पर था। वह करते भी तो क्या करते? निर्णय तो नेताओं को लेना था। कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया द्वारा अपना आक्रोश सोशल मीडिया पर व्यक्त कर दिया था। वह गांधी जी की तरह दूसरा गाल आगे करने के पक्ष में नहीं थे। किंतु कार्यकर्ताओं के शोर के उपरांत नेतृत्व की मनमोहन चुप्पी और भी हतोत्साहित करने वाली थी। उसके बाद केरल में, सीपीआई के गुंडों द्वारा, कार्यकर्ताओं के उनके परिवार वालों के सामने हाथ पैर कटे गए। उन्हे भी इक्का दुक्का घटना करार कर, कूड़े को कालीन ने नीचे दबा कर मामला शांत कर दिया गया। इस से एक ही संदेश विपक्षी पार्टियों को मिला की शेर अब बूढ़ा हो चला है। इस से साधारंतह शांत रहने वाली पार्टियों को भी बल मिला। तेलंगाना में, मात्र इस कारण की भाजपा राज्य अध्यक्ष ने एक जनसंबोधन में, मास्क उतार कर भाषण दिया उन्हे ग्रिफ्तार कर लिया गया। जब की स्वयं मुख्य मंत्री बीना मास्क के टीवी पर दिखाई देते रहे हैं। इस पर नड्डा जी का व्यक्तव्य आया। अच्छा लगा। किंतु कोई कठोर संदेश नही भेजा गया। उसी दिन उत्तरप्रदेश के पूर्व प्रधान मंत्री ने एक व्यक्तवी में यह कहा की हम जब सत्ता में आएंगे तो इस बात का अध्यन करेंगे की किस प्रकार महाराष्ट्र तथा बंगाल ने केंद्रीय एजेंसियों को अपने राज्य में कार्य करने से रोका और उन्हे अपने राज्य में कार्य नहीं करने दिया। इसी प्रकार हम जब सत्ता में आएंगे इन केंद्र एजेंसियों को यूपी में कार्य नहीं करने देंगे। केंद्र और राज्य के संबंधों पर भारत के संविधान मैं एक पूरा और विस्तृत अध्याय है, नेता जी को यह पता है। किंतु यही होता है जब निष्कर्मता का धतूरा बो दिया जाए। अब धतूरे के फसल हर विपक्षी राज्य में पनप रही है, अब उसे काटो या जलाओ। अब तो कुछ करना ही होगा। अब तो आंच प्रधानमंत्री जी और भाजपा के सबसे लोकप्रिय नेता के दामन तक पहुंच गई है। भारत के प्रधान मंत्री का काफिला पंजाब में रुकवा दिया गया और उनकी सुरक्षा पर सीधा आघात हुआ इस से कोई भी अनभिज्ञ नही है। कुछ भी हो सकता था। भगवान की कृपा रही की कुछ नही हुआ। जिस राम का मंदिर प्रधान मंत्री जी बनवाने में निर्णायक रहे उनकी कृपा रही, जिस महादेव के काशी विश्वनाथ कोरेडर का उद्घाटन माननीय प्रधान मंत्री जी ने किया उनकी भी कृपा रही। किंतु आप महादेव नही। आप विष अकेले नहीं पी सकते। आप योगी है, एक कर्मठ योगी। आप अर्जुन है, कृष्ण नही। तो पार्थ अब गांडीव उठा लो। सामने खड़ी कौरव सेना को पता है की अर्जुन ही युद्ध की स्थिति बदल सकता है। और निष्कर्मता के चलते उन्हें आत्मबल मिला है जो अब आसमान पर है। किसानों के सामने कदम पीछे हटना भी इसी क्रम में देखा जा रहा है। हे अर्जुन, कब तक और कितने अभिमंयुओं को विपक्षी दलों के चक्रवियूह में अकेला भेजोगे? पार्थ अब तो गांडीव उठाना ही होगा।
आलोक लाहड,वरिष्ठ पत्रकार .बार्सिलोना (स्पेन)
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