पीयूष गोयल बोले, युवा भारत के अमृतकाल के वाहक, विश्वविद्यालय प्रतिभाओं को राष्ट्र निर्माण हेतु तैयार करें

एमिटी विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री का संबोधन; पाँच प्रणों के पालन और सार्वजनिक जीवन में युवाओं की भागीदारी पर ज़ोर

समग्र समाचार सेवा
नोएडा, 06 दिसम्बर: नोएडा स्थित एमिटी विश्वविद्यालय के वार्षिक दीक्षांत समारोह में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने विश्वविद्यालयों की भूमिका को “प्रतिभाओं के विकास का सबसे बड़ा मंच” बताते हुए कहा कि कोई भी संस्था इससे बड़ा योगदान नहीं दे सकती कि वह विद्यार्थियों को उनकी क्षमता के सम्मान के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार करे। लगभग 29,000 स्नातकों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि छात्रों की उपलब्धियाँ ही समारोह का वास्तविक आकर्षण हैं।

मंत्री महोदय ने विश्वविद्यालय की योग्यता आधारित छात्रवृत्ति प्रणाली, नवाचार संस्कृति, और छात्रों द्वारा हासिल किए गए 450 से अधिक पेटेंट का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि विश्वविद्यालय की आधी छात्र संख्या युवा महिलाओं की है। साथ ही उन्होंने बताया कि 50 संकाय सदस्य रामलिंगम स्वामी फेलो हैं जो देश की सेवा के लिए लौटे हैं।

डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस को याद करते हुए श्री गोयल ने समानता, सामाजिक सद्भाव और अवसरों की समानता जैसे संवैधानिक मूल्यों पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा वंचित वर्गों के उत्थान का सबसे प्रभावी माध्यम है।

● युवाओं को सार्वजनिक जीवन अपनाने का आह्वान

श्री गोयल ने प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले की प्राचीर से की गई उस अपील का उल्लेख किया जिसमें एक लाख युवा राजनीति और सार्वजनिक जीवन को अपनाने का संकल्प लें—क्योंकि राष्ट्र को ऐसे समर्पित लोगों की आवश्यकता है जो ईमानदारी और कर्तव्यबोध के साथ भारत को नई दिशा दें।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे छात्रों को राजनीति और शासन व्यवस्था को समझने के लिए जनप्रतिनिधियों के साथ इंटर्नशिप का अवसर दें ताकि युवा निकट से लोक सेवा और नीति निर्माण की प्रक्रिया को समझ सकें।

● पाँच प्रण : युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत

श्री गोयल ने प्रधानमंत्री द्वारा 2022 में बताए गए पाँच प्रण दोहराए और छात्रों से इन्हें जीवन में अपनाने की अपील की,

1. विकसित भारत का संकल्प-भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं की निर्णायक भूमिका।

2. औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति-पुरानी मान्यताओं को छोड़कर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना; दीक्षांत परिधान तक में भारतीय पहचान को अपनाने का सुझाव।

3. भारत की विरासत पर गर्व, विविधता, प्राचीन ज्ञान और नैतिक मूल्यों को जीवन का आधार बनाना।

4. विविधता में एकता, समुदायों के बीच सेतु निर्माण और व्यापक सहयोग की भावना।

5. कर्तव्य का भाव,  शिक्षा केवल स्वयं के लिए नहीं, बल्कि परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए।

● “भारतीय राजनीति को और अधिक अच्छे लोगों की जरूरत”

उन्होंने कहा कि जैसे कंप्यूटर विज्ञान में कहा जाता है “अंदर कचरा तो बाहर कचरा”, वैसे ही राजनीति में अच्छे लोगों की भागीदारी ही राष्ट्र को तेज़ी से आगे बढ़ा सकती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अच्छा चरित्र, ईमानदारी और सेवा की भावना रखने वाली युवा पीढ़ी भारत को कल्पना से अधिक तेज़ी से महाशक्ति बना सकती है।

● छात्रों, गुरुओं और अभिभावकों के योगदान की सराहना

श्री गोयल ने कहा कि एमिटी विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों को जिस मजबूती से तैयार किया है, वह उन्हें चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाएगी। उन्होंने छात्रों से अपने गुरुओं के प्रति आभार बनाए रखने और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय योगदान देने की अपील की।

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