भारत 2047 का लक्ष्य: विनिर्माण, कौशल, निवेश और प्रौद्योगिकी
एफडीआई-एफआईआई प्रक्रिया सरल बनाने, अनुपालन बोझ घटाने और नवाचार आधारित विकास मॉडल पर सरकार का जोर
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पीयूष गोयल ने भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए 4 मुख्य आयाम बताए—विनिर्माण, कौशल, निवेश और प्रौद्योगिकी।
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सरकार व्यापार सुगमता बढ़ाने, पुराने कानूनों को खत्म करने और एफडीआई/एफआईआई प्रक्रियाओं को सरल करने पर काम कर रही है।
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प्रौद्योगिकी, एआई, क्वांटम, एमएल और STEM प्रतिभा के जरिये नवाचार-प्रधान विकास मॉडल का लक्ष्य।
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फिक्की के साथ साझेदारी के लिए सरकार का पांच सूत्री एजेंडा—राजकोषीय अनुशासन, नवाचार, कनेक्टिविटी, वाणिज्य और समावेशी विकास।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 18 Nagar नवंबर: नई दिल्ली में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) की 98वीं वार्षिक आम बैठक और वार्षिक सम्मेलन के पूर्वावलोकन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत के “विकसित भारत 2047” के विज़न को चार मजबूत स्तंभ आगे बढ़ाएंगे—विनिर्माण, कौशल, निवेश और प्रौद्योगिकी। उन्होंने स्पष्ट किया कि आने वाले दो दशकों में भारत की आर्थिक दिशा तय करने में यही चार कारक निर्णायक भूमिका निभाएंगे और सरकार इन्हें तेजी से मज़बूत करने पर काम कर रही है।
गोयल ने पहले स्तंभ विनिर्माण पर बोलते हुए कहा कि भारत को एक वैश्विक विनिर्माण हब के रूप में विकसित करना राष्ट्रीय प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि देश को उन उत्पादों में आत्मनिर्भर बनना होगा जिनका उत्पादन देश में कुशल, सस्ता और बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि तकनीकी क्षमता या पैमाने की कमी के कारण कुछ वस्तुओं का आयात फिलहाल जरूरी है, लेकिन यह भी सुनिश्चित किया जाए कि आपूर्ति-श्रृंखला कमजोर न पड़े। उन्होंने उद्योग जगत को आगाह किया कि किसी एक देश या एक सप्लायर पर अत्यधिक निर्भर रहना जोखिमपूर्ण है, विशेषकर उस समय में जब वैश्विक व्यापार को राजनीतिक और रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।
इसके बाद उन्होंने दूसरे प्रमुख क्षेत्र कौशल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 2000 के बाद जन्मी युवाओं की “अमृत पीढ़ी” को एक कुशल, परिणाम-उन्मुख और उद्योग-संगत कार्यबल में बदलना अनिवार्य है। भारत की वास्तविक चुनौती बेरोजगारी से ज़्यादा अल्प-रोजगार है, क्योंकि बड़ी संख्या में युवा ठीक से प्रशिक्षित नहीं होने के कारण अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि देश को केवल दफ्तरों में बैठकर की जाने वाली नौकरियों की चाहत से आगे बढ़कर उच्च-गुणवत्ता वाले तकनीकी कार्यबल—वेल्डर, इलेक्ट्रीशियन, तकनीशियन, मशीन ऑपरेटर तैयार करने होंगे। उन्होंने मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता बताते हुए कहा कि डिग्री के बजाय कौशल, व्यावहारिक दक्षता और प्रशिक्षण को ज्यादा महत्व देना होगा।
तीसरे स्तंभ निवेश पर बात करते हुए गोयल ने कहा कि सरकार एक ऐसा निवेश-अनुकूल वातावरण बना रही है जो व्यापार को सुगम बनाए और उद्योग के लिए बाधा बनने वाले नियमों को कम करे। उन्होंने बताया कि सरकार अनुपालन बोझ को कम करने, पुराने प्रावधानों को अपराधमुक्त करने और अप्रचलित कानूनों को हटाने पर लगातार काम कर रही है। एफडीआई और एफआईआई प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए भी विस्तृत परामर्श चल रहा है ताकि भारत में घरेलू और विदेशी दोनों तरह के निवेश तेजी से जुट सकें।
उन्होंने कहा कि एक स्थिर और अनुमान योग्य नीति ढांचा, पारदर्शी व्यवस्था और आसान निवेश प्रक्रिया नए रोजगार, उन्नत तकनीक और अनुसंधान-नवाचार को बढ़ावा देगी। इसके साथ ही रक्षा, सुरक्षा और अन्य अग्रिम क्षेत्रों में भी नए अवसर खुलेंगे।
परिचर्चा के चौथे और अंतिम स्तंभ प्रौद्योगिकी पर उन्होंने कहा कि भारत तेज़ी से उन उभरती तकनीकों कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग और उच्चस्तरीय डिजिटल तकनीकों में वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि देश में हर साल लगभग 23 लाख STEM ग्रेजुएट तैयार होते हैं, जो दुनिया में सबसे बड़ी प्रतिभा शक्ति में गिने जाते हैं। तेजी से बढ़ते ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर भारत की तकनीकी दक्षता को और मजबूत करते हैं।
गोयल ने कहा कि सरकार का हाल ही में घोषित 1 लाख करोड़ रुपये का RDI फंड स्टार्टअप, शोध, नवाचार और उन्नत तकनीकी विकास को नई रफ्तार देगा।
उन्होंने जन विश्वास (प्रावधान संशोधन) अधिनियम का जिक्र करते हुए कहा कि यह कानून उद्योग पर अनावश्यक बोझ कम कर रहा है और शासन को “विश्वास आधारित” बनाकर कारोबारी माहौल को और सरल करता है। छोटे-छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करके इस अधिनियम ने उद्यमियों का आत्मविश्वास बढ़ाया है और आसान कारोबार संस्कृति (Ease of Doing Business) को मजबूत किया है।
उन्होंने वर्तमान वैश्विक परिदृश्य को “अनिश्चित और अस्थिर” बताते हुए कहा कि साइबर सुरक्षा, डिजिटल सुरक्षा और मजबूत तकनीकी अवसंरचना भारत की आर्थिक स्थिरता की रीढ़ हैं।
मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “विश्वास की राजनीति” के चलते भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। इसी विश्वास ने देश को 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की और भारत को 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से 4वीं पर पहुंचाया। उन्होंने कहा कि देश तेजी से 3वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और 30-35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में बढ़ रहा है।
फिक्की की भूमिका पर बात करते हुए गोयल ने कहा कि इसका निर्माण महात्मा गांधी की सोच से प्रेरित था, जिसने इसे वाणिज्य-उद्योग से आगे बढ़कर आर्थिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने वाला मंच बनाया। पिछले 98 वर्षों में फिक्की ने आत्मनिर्भरता, उद्योग सहयोग और साझेदारी को लगातार मजबूत किया है।
अंत में उन्होंने फिक्की के लिए सरकार के 5-सूत्री एजेंडे को रेखांकित किया
F – Fiscal Discipline (राजकोषीय अनुशासन)
I – Innovation (नवाचार)
C – Connectivity & Critical Infrastructure (कनेक्टिविटी व महत्वपूर्ण अवसंरचना)
C – Commerce (वाणिज्य)
I – Inclusive Growth (समावेशी विकास)
उन्होंने फिक्की से कहा कि उसकी पहुंच देश के सुदूरतम हिस्सों तक होनी चाहिए ताकि “फिक्की भारत 2047” का विज़न जमीन पर उतरे। उन्होंने MSMEs को हर जिले में मजबूत करने, निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ाने, गुणवत्ता और अनुपालन को प्राथमिकता बनाने और अगली पीढ़ी के नेतृत्व को तैयार करने का आग्रह किया।
अंत में गोयल ने कहा कि भारत आज अनिश्चित वैश्विक माहौल में स्थिरता और विकास का प्रकाश स्तंभ है और सामूहिक प्रयासों से भारत 2047 तक निश्चित रूप से एक विकसित, समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनकर उभरेगा।
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