खेलो भारत नीति 2025: नीडोनॉमिक्स दृष्टिकोण से विकसित भारत हेतु स्ट्रीट स्मार्ट खेल प्रशासन

अनुशासन, समानता और रोजगार को बढ़ावा देने वाली आवश्यकता-आधारित खेल प्रणाली

प्रो. मदन मोहन गोयल, पूर्व कुलपति, तीन विश्वविद्यालय

1 जुलाई 2025 को घोषित ‘खेलो भारत नीति 2025’ भारत की खेल नीति में एक परिवर्तनकारी कदम है, जिसका उद्देश्य 2047 तक भारत को शीर्ष पाँच वैश्विक खेल राष्ट्रों में शामिल करना है। इस दूरदर्शी पहल का स्वागत करते हुए, नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट (एनएसटी ) इसे केवल एक नीति नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अनुशासन, समग्र विकास और सामाजिक परिवर्तन के लिए एक मार्गदर्शक दर्शन मानता है। चाहतों के पीछे भागने के बजाय आवश्यकताओं को पूरा करने पर बल देने वाली नीडोनॉमिक्स, खेल नीति को राष्ट्रीय मूल्यों और प्राथमिकताओं के अनुरूप दिशा देने वाली नैतिक और आर्थिक दृष्टि प्रदान करती है।

खेलो भारत नीति 2025 के पाँच स्तंभ और एनएसटी की दृष्टि

खेलो भारत नीति 2025 के पाँच स्तंभ—वैश्विक स्तर पर उत्कृष्टता, आर्थिक विकास के लिए खेल, जन आंदोलन के रूप में खेल, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ( एनईपी) के साथ एकीकरण, और भारतीय खेल प्रतिभा का पोषण- एनएसटी के सिद्धांतों से गहराई से मेल खाते हैं। आइए इन्हें नीडोनॉमिक्स के दृष्टिकोण से समझते हैं:

1. वैश्विक मंच पर उत्कृष्टता:

दुनिया के शीर्ष पाँच खेल राष्ट्रों में शामिल होने की महत्वाकांक्षा उल्लेखनीय और यथार्थवादी है। एनएसटी इसे तभी समर्थन देता है जब यह उत्कृष्टता पदकों और ग्लैमर के बजाय नैतिकता, समावेशिता और अनुशासन पर आधारित हो। इसके लिए 2036 ओलंपिक को ध्यान में रखते हुए विश्व स्तरीय कोचिंग तंत्र और मजबूत प्रशासनिक ढांचा आवश्यक है जो पारदर्शी, उत्तरदायी और भागीदारीपूर्ण हो।

2. आर्थिक विकास के लिए खेल:

एनएसटी के अनुसार, खेल केवल मनोरंजन नहीं बल्कि उत्पादक आर्थिक क्षेत्र हैं। खेल अवसंरचना, खेल पर्यटन और आयोजन प्रबंधन में निवेश से रोज़गार, उद्यमिता और कौशल विकास को बढ़ावा मिल सकता है। लेकिन यह विकास आवश्यकता आधारित, न्यायसंगत और संतुलित होना चाहिए, न कि क्रिकेट जैसे बाज़ार-प्रेरित खेलों के पक्ष में झुका हुआ।

3. जन आंदोलन के रूप में खेल:

नीडोनॉमिक्स का मानना है कि खेलों का लोकतंत्रीकरण होना चाहिए—गांव से शहर, गरीब से अमीर, पुरुष से महिला और सामान्य से विशेष जरूरतों वाले हर नागरिक की भागीदारी होनी चाहिए। जब खेल जन आंदोलन बनते हैं, तो वे सामाजिक एकता, राष्ट्रीय गौरव और नागरिक अनुशासन को बढ़ावा देते हैं। यह आंदोलन युवाओं को नशाखोरी जैसी सामाजिक बुराइयों से बचाने में भी सहायक होगा।

4. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साथ एकीकरण:

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 समग्र विकास और बहुविषयक शिक्षा पर बल देती है।  एनएसटी खेलों को शिक्षा प्रणाली में शरीर, मन और आत्मा की एकता के रूप में जोड़ने का स्वागत करता है। यह एकीकरण औपचारिक नहीं बल्कि ठोस होना चाहिए, जिसमें पाठ्यक्रम संशोधन, अवसंरचना विकास और कोच की भर्ती शामिल हो।

5. भारतीय खेल प्रतिभा का पोषण:

प्रतिभा के पनपने के लिए केवल चयन और प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि प्रशिक्षण, रोजगार, मानसिक स्वास्थ्य और सेवानिवृत्ति के बाद की सुरक्षा आवश्यक है।  एनएसटी रोज़गार से जुड़ी योजनाओं, बीमा कवर और खेल को सम्मानित पेशा मानने की वकालत करता है।

स्ट्रीट  स्मार्ट खेल प्रशासन की आवश्यकता

एनएसटी स्ट्रीट  स्मार्ट प्रशासन की पैरवी करता है—Simple (सरल), Moral (नैतिक), Action-oriented (क्रियाशील), Responsive (उत्तरदायीऔर Transparent (पारदर्शी)। भारत का खेल प्रशासन निष्क्रिय नौकरशाहीभाईभतीजावाद और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होकर स्मार्ट  मॉडल अपनाए। आवश्यक कार्रवाइयाँ:

  • खेल प्रशासन का विकेन्द्रीकरण राज्यों और स्थानीय निकायों तक।
  • मेधा आधारित चयन—प्रशासकों, कोचों और खिलाड़ियों का।
  • डिजिटल प्लेटफार्मों द्वारा शिकायत निवारण और प्रदर्शन की निगरानी।
  • सभी खेल भूमिकाओं में लैंगिक समानता और विविधता सुनिश्चित करना।

2036 ओलंपिक केवल प्रदर्शन नहीं, बल्कि सुधारों का प्रेरक बनना चाहिए

क्रिकेटकेंद्रित असंतुलन को सुधारना

भले ही क्रिकेट प्रेमियों द्वारा गलत समझे जाने का खतरा हो,  एनएसटी एक महत्वपूर्ण चिंता जताता है—क्रिकेट का आर्थिक और सांस्कृतिक वर्चस्व अन्य खेलों के साथ गंभीर असमानता पैदा करता है। क्रिकेट ने प्रायोजन, मीडिया कवरेज और सरकारी समर्थन पर एकाधिकार कर लिया है, जिससे एथलेटिक्स, कुश्ती, तीरंदाजी, हॉकी और पैरा-खेल जैसे क्षेत्रों की उपेक्षा हुई है।

इस असंतुलन को ठीक करने के लिए  एनएसटी की सिफारिशें:

  • वित्तीय संसाधनों के वितरण में संतुलन और एक सीमा तय की जाए।
  • गैर-क्रिकेट खेलों के लिए समर्पित राष्ट्रीय खेल चैनल शुरू किए जाएं।
  • विभिन्न खेलों के बीच ज्ञान और अनुभव साझा करने के मंच बनाए जाएं।

ग्रामीण खेल और समावेशी अवसंरचप्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को ग्रामीण खेलों पर बल देने के लिए सराहना मिलनी चाहिए।  एनएसटी इसे शहरी पक्षपात का आवश्यकता-आधारित सुधार मानता है। ग्रामीण भारत में कच्ची प्रतिभा की भरमार है जिसे अवसर, संसाधन और मार्गदर्शन की आवश्यकता है।  एनएसटी अनुशंसा करता है:

  • ग्राम खेल केंद्रों की स्थापना बुनियादी ढांचे के साथ।
  • आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और स्कूल शिक्षकों को जमीनी स्तर के खेल प्रशिक्षकों के रूप में प्रशिक्षित करना।
  • परंपरागत भारतीय खेलों जैसे कबड्डी, खो-खो, मल्लखंभ को बढ़ावा देना।

 पीपीपी मॉडल और निजी क्षेत्र की भूमिका

एनएसटी खेल विकास में सार्वजनिक-निजी साझेदारी ( पीपीपी) की जोरदार वकालत करता है। निजी क्षेत्र ने बेहतरीन अवसंरचना बनाई है, लेकिन कोचों की नियुक्ति में लापरवाही बरती जाती है।

इसे सुधारने के लिए  एनएसटी की सिफारिशें:

  • निजी संस्थानों में प्रमाणित कोचों की नियुक्ति को टैक्स छूट से जोड़ा जाए।
  • भारतीय खेल प्राधिकरण  को निजी संस्थानों में साझा लागत पर कोच भेजने की अनुमति दी जाए।
  • राष्ट्रीय खेल कोच बैंक बनाया जाए जो मांग और आपूर्ति का समन्वय करे।

इससे न केवल प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुधरेगी बल्कि सेवानिवृत्त खिलाड़ियों को रोजगार भी मिलेगा।

खिलाड़ियों के लिए रोज़गार और कल्याण

एनएसटी मानता है कि खेल को व्यवसायिक विकल्प बनाना हो तो खिलाड़ी के बाद के जीवन की सुरक्षा आवश्यक है। सरकार को चाहिए:

  • रक्षा, रेलवे, बैंकिंग और सार्वजनिक सेवाओं में खिलाड़ियों के लिए आरक्षण व सीधी भर्ती।
  • प्रदर्शन के आधार पर छात्रवृत्तियाँ और पेंशन योजनाएँ।
  • पूर्व खिलाड़ियों को खेल स्टार्टअप्स और उद्यमिता में प्रोत्साहन।

निष्कर्ष:

भारत की यात्रा खेल के मैदान से पोडियम तक नैतिकता, न्याय और कार्यक्षमता पर आधारित होनी चाहिए। खेलो भारत नीति 2025, यदि नीडोनॉमिक्स के दृष्टिकोण से देखी जाए, तो यह केवल एक नीति नहीं, बल्कि चाहत से आवश्यकता की ओर, ग्लैमर से जड़ों की ओर, और विशेषाधिकार से समावेश की ओर दृष्टिकोण का परिवर्तन है।

अब समय है कि सरकार, संस्थाएँ, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र, सभी ज़िम्मेदारी और विवेक के साथ मिलकर काम करें, ताकि खेल का अनुशासन एक अनुशासित राष्ट्र का निर्माण करे।  एनएसटी एक ऐसे भविष्य की कल्पना करता है जहां खेल केवल पदक जीतने का माध्यम न हो, बल्कि नैतिक शक्ति, सामाजिक एकता और राष्ट्रीय अखंडता के निर्माण का मार्ग हो।

आइए खेलें—सिर्फ जीतने के लिए नहीं, बल्कि बढ़ने, जोड़ने और सेवा करने के लिए। यही है खेलो भारत नीति 2025 का नीडो-संदेश।

 

 

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