समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24दिसंबर।
आज यानि गुरुवार को बंगाल के बीरभूम जिले के शांतिनिकेतन में स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम में शामिल हुए
यहां पीएम मोदी ने संबोधन खत्म में कहा कि सबके साथ जीना सिखाने वाली शिक्षा का गुरुदेव ने दिया था मंत्र। टैगोर का गुजरात से बहुत ही खास संबंध रहा है। वह हमेशा गुजरात की यात्रा पर जाते थे। गुजरात प्रवास के दौरान गुरुदेव ने कालजई रचना की। कोरोना महामारी ने मानव मूल्य समझाए। देश के लोगों के परिश्रम से नया भारत बनेगा। विश्व भारती की आगे की यात्रा देश के लिए मील का पत्थर बने। लोगों के सपनों को पूरा करें। विश्व कल्याण के मार्ग को मजबूत करने के लिए आगे बढ़े यही शुभकामनाओं के साथ अब मैं वाणी को विराम देता हूं।
उन्होंने कहा कि गुरुदेव कहते थे कि हम एक ऐसी व्यवस्था खड़ी करें जो हमारे मन में कोई डर न हो, हमारा सर ऊंचा हो और हमारा ज्ञान बंधनों से मुक्त हो। आज देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से इस उद्देश्य को पूरा करने का प्रयास कर रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि विश्वविभारती के 100 वर्ष होना प्रत्येक भारतीय के गौरव की बात है। मेरी लिए भी ये सौभाग्य की बात है कि आज के दिन इस तपोभूमि का पुण्य स्मरण करने का अवसर मिल रहा है। विश्वभारती की सौ वर्ष यात्रा बहुत विशेष है। विश्वभारती, मां भारती के लिए गुरुदेव के चिंतन, दर्शन और परिश्रम का एक साकार अवतार है। भारत के लिए गुरुदेव ने जो स्वप्न देखा था, उस स्वप्न को मूर्त रूप देने के लिए देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला ये एक तरह से आराध्य स्थल है। हमारा देश, विश्व भारती से निकले संदेश को पूरे विश्व तक पहुंचा रहा है। भारत आज अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में विश्व का नेतृत्व कर रहा है। भारत आज इकलौता बड़ा देश है जो पेरिस समझौता के पर्यावरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के सही मार्ग पर है।
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