अर्थशास्त्रियों से मुलाकात पर पीएम मोदी बोले,आत्मनिर्भर भारत’ पर संवाद रहा बेहद सार्थक
नीति आयोग में हुई बैठक में प्रधानमंत्री ने 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य, मिशन-आधारित सुधारों और एआई व डिजिटल अवसंरचना की भूमिका पर दिया जोर
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 31 दिसंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ हुई बैठक को बेहद सार्थक बताते हुए कहा कि इस संवाद से ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को मजबूती मिली है। ‘आत्मनिर्भरता और संरचनात्मक परिवर्तन: विकसित भारत का एजेंडा’ विषय पर यह बैठक मंगलवार को नीति आयोग में आयोजित की गई थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा,
“मंगलवार को अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ एक बहुत सार्थक संवाद हुआ। उन्होंने ‘आत्मनिर्भरता और संरचनात्मक परिवर्तन: विकसित भारत के लिए कार्यसूची’ विषय पर अपने बहुमूल्य दृष्टिकोण साझा किए।”
मंगलवार को नीति आयोग में हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री ने वर्ष 2047 तक भारत की विकास यात्रा के मूल स्तंभों को रेखांकित किया। उन्होंने ‘विकसित भारत’ को केवल सरकारी नीति नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय आकांक्षा बताते हुए कहा कि यह सपना अब जन-आंदोलन का रूप ले चुका है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षा, उपभोग और वैश्विक गतिशीलता के बदलते स्वरूप यह दर्शाते हैं कि भारतीय समाज तेजी से अधिक महत्वाकांक्षी हो रहा है। ऐसे में इन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संस्थागत क्षमता में वृद्धि और सक्रिय अवसंरचना नियोजन अत्यंत आवश्यक है।
पीएम मोदी ने वैश्विक क्षमता निर्माण और वैश्विक एकीकरण को हासिल करने के लिए मिशन-आधारित सुधारों पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में लक्षित सुधार आवश्यक हैं और नीति निर्माण व बजट निर्धारण को वर्ष 2047 के दृष्टिकोण से जोड़ना होगा।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी बल दिया कि भारत को वैश्विक कार्यबल और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में बनाए रखना जरूरी है।
बैठक के दौरान उपस्थित अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों ने विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में उत्पादकता एवं प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए अहम सुझाव साझा किए। चर्चा का मुख्य फोकस घरेलू बचत बढ़ाने, मजबूत अवसंरचना विकास और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाने के माध्यम से संरचनात्मक परिवर्तन को गति देने पर रहा।
इसके अलावा, अंतर-क्षेत्रीय उत्पादकता बढ़ाने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की भूमिका, भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के विस्तार और डिजिटल नवाचारों पर भी गहन विचार-विमर्श हुआ।
प्रतिभागियों ने कहा कि वर्ष 2025 में हुए अभूतपूर्व अंतर-क्षेत्रीय सुधारों की गति और आने वाले वर्षों में उनके सुदृढ़ीकरण से भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में अपनी स्थिति को और मजबूत करेगा।
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