प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को समर्पित की तीन क्रांतिकारी नवाचार परियोजनाएँ

भारत का पहला क्वांटम कंप्यूटिंग चिप, क्वांटम सिक्योरिटी चिप और स्वदेशी CAR-T सेल थेरेपी

  • QSIP: भारत की अपनी Quantum Security Chip, सुरक्षित डेटा ट्रांसफर की दिशा में बड़ा कदम।
  • 25-qubit QPU: देश की पहली Quantum Computing Chip, जो भविष्य की कंप्यूटिंग शक्ति को बढ़ाएगी।
  • CAR-T Cell Therapy (NexCAR19): भारत की पहली स्वदेशी कैंसर सेल थेरेपी, भारतीय वैज्ञानिकों की अनूठी उपलब्धि।
  • परियोजनाओं को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, DBT और BIRAC का समर्थन प्राप्त।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 5 नवम्बर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को नई दिशा देते हुए तीन ऐतिहासिक और क्रांतिकारी नवाचारों को राष्ट्र को समर्पित किया। इनमें शामिल हैं,
क्यूएसआईपी (क्वांटम सिक्योरिटी इंटीग्रेटेड प्रोसेसर), 25-क्विबिट क्यूपीयू (क्वांटम प्रोसेसिंग यूनिट) और कार-टी सेल थेरेपी (नेक्सकार-19)।
इन तीनों परियोजनाओं का शुभारंभ प्रधानमंत्री ने उभरती विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सम्मेलन (ईस्टिक 2025) के दौरान किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये नवाचार भारत की वैज्ञानिक क्षमता और अनुसंधान की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। उन्होंने इसे “मेक इन इंडिया, फॉर द वर्ल्ड” के विज़न की सच्ची झलक बताया और कहा कि भारत अब विज्ञान, तकनीक और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की नई ऊंचाइयों को छू रहा है।

नेक्सकार-19: भारत की पहली स्वदेशी कार-टी सेल थेरेपी

भारत में विकसित नेक्सकार-19 देश की पहली स्वदेशी कार-टी सेल थेरेपी है, जिसे भारतीय स्टार्टअप इम्यूनोएक्ट (ImmunoACT) ने तैयार किया है।
यह कंपनी आईआईटी बॉम्बे से जुड़ी एक नवाचार इकाई है और इसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) तथा बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बायरेक) का सहयोग प्राप्त हुआ।

कार-टी सेल थेरेपी कैंसर के उपचार में एक नई क्रांतिकारी तकनीक के रूप में उभरी है। यह उन मरीजों के लिए आशा की किरण बनी है जिनके कैंसर के पारंपरिक इलाज विफल हो चुके हैं, विशेष रूप से तीव्र लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (Acute Lymphocytic Leukemia) से पीड़ित मरीजों के लिए।

वर्ष 2021 में टाटा मेमोरियल अस्पताल (ACTREC केंद्र) में इस थेरेपी का क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया गया था। इस दौरान टाटा मेमोरियल सेंटर–आईआईटी बॉम्बे टीम को डीबीटी और बायरेक के नेशनल बायोफार्मा मिशन के अंतर्गत वित्तीय सहायता मिली थी।
हाल ही में डीबीटी ने बायोई3 (BioE3) नीति के तहत इम्यूनोएक्ट को 200 लीटर क्षमता वाले जीएमपी लेंटिवायरल वेक्टर और प्लास्मिड निर्माण प्लेटफॉर्म स्थापित करने के लिए फंडिंग दी है। इससे उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और यह थेरेपी अधिक किफायती और सुलभ हो सकेगी। अनुमान है कि इस प्लेटफॉर्म से प्रति वर्ष लगभग 1000 मरीजों को जीन और सेल थेरेपी की सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी।

डीबीटी कैंसर की विभिन्न प्रकारों, जैसे मल्टीपल मायलोमा, ग्लियोब्लास्टोमा, रिफ्रैक्टरी या रिलेप्स बी-सेल एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया, के लिए भी स्वदेशी कार-टी आधारित उपचार विकसित करने हेतु अनुसंधान को प्रोत्साहित कर रहा है।

क्वांटम क्रांति की ओर भारत

भारत के वैज्ञानिकों ने क्यूएसआईपी (क्वांटम सिक्योरिटी इंटीग्रेटेड प्रोसेसर) और 25-क्विबिट क्यूपीयू (क्वांटम प्रोसेसिंग यूनिट) के रूप में क्वांटम प्रौद्योगिकी में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है।
क्यूएसआईपी सुरक्षित डेटा ट्रांसमिशन और साइबर सुरक्षा को नई मजबूती देगा, जबकि क्यूपीयू भारत को क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाएगा।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का कहना है कि यह उपलब्धि भारत के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाएगी और स्वदेशी उच्च तकनीकी विनिर्माण में नए अवसर खोलेगी।

स्वदेशी नवाचार की दिशा में आत्मनिर्भर भारत

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह तीनों नवाचार भारत के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स के सामूहिक प्रयासों का परिणाम हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार विज्ञान और नवाचार को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि “विज्ञान जनकल्याण का माध्यम बने।”

इन उपलब्धियों से भारत न केवल वैश्विक विज्ञान जगत में अपनी सशक्त पहचान बनाएगा, बल्कि भविष्य की तकनीकी और चिकित्सा चुनौतियों का स्वदेशी समाधान भी प्रस्तुत करेगा।

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