पीएम मोदी ने वाल्मीकि जयंती पर दी शुभकामनाएं, कहा—उनके आदर्श समाज को प्रेरित करते हैं

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को महर्षि वाल्मीकि जयंती के शुभ अवसर पर देशवासियों को हार्दिक बधाई दी। इस मौके पर उन्होंने महर्षि वाल्मीकि के आदर्शों और उनके समाज सुधारक विचारों को स्मरण करते हुए कहा कि उनके उपदेश और शिक्षाएं आज भी भारतीय समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर अपने संदेश में लिखा—
“सभी देशवासियों को महर्षि वाल्मीकि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। प्राचीनकाल से ही हमारे समाज और परिवार पर उनके सात्विक और आदर्श विचारों का गहरा प्रभाव रहा है। सामाजिक समरसता पर आधारित उनके वैचारिक प्रकाशपुंज देशवासियों को सदैव आलोकित करते रहेंगे।”

प्रधानमंत्री के इस संदेश ने न केवल श्रद्धा प्रकट की बल्कि समाज में समानता, न्याय और समरसता के महर्षि वाल्मीकि के संदेश को भी पुनः उजागर किया।

महर्षि वाल्मीकि: आदर्श जीवन और सामाजिक समरसता के प्रतीक

महर्षि वाल्मीकि को ‘आदि कवि’ कहा जाता है, जिन्होंने रामायण जैसे अमर ग्रंथ की रचना की। उन्होंने सत्य, धर्म, करुणा और समानता पर आधारित जीवन का आदर्श प्रस्तुत किया। उनके विचारों ने भारतीय संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया और समाज में सामाजिक समरसता और नैतिक मूल्यों की नींव रखी।

महर्षि वाल्मीकि की शिक्षाओं का सार है—
“कर्म ही धर्म है, और सच्चा धर्म वही है जो समाज के कल्याण से जुड़ा हो।”
उनकी यही भावना आज के भारत में ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ की अवधारणा में झलकती है.

प्रधानमंत्री का संदेश—‘सामाजिक समरसता की ज्योति को जलाए रखना है’

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में इस बात पर जोर दिया कि महर्षि वाल्मीकि के विचार सदियों से भारतीय समाज के लिए नैतिक दिशा-निर्देशक रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज जब भारत विकसित भारत (विकसित भारत) के लक्ष्य की ओर अग्रसर है, तब समाज को एकजुट रखने वाली शिक्षाएं और मानवीय मूल्य पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं।

प्रधानमंत्री के अनुसार, वाल्मीकि जी का जीवन यह सिखाता है कि परिवर्तन संभव है, यदि मनुष्य आत्मबल और सदाचार के मार्ग पर चलने का संकल्प ले।

देशभर में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जा रही जयंती

महर्षि वाल्मीकि जयंती पर देशभर में श्रद्धालुओं द्वारा शोभा यात्राएं, भजन-कीर्तन और समाज सेवा के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। मंदिरों और आश्रमों में विशेष पूजा-अर्चना के साथ उनके आदर्शों पर आधारित प्रवचन हो रहे हैं।

विभिन्न राज्यों में सरकारें और सामाजिक संस्थाएं वाल्मीकि समाज के योगदान को सम्मानित कर रही हैं। इस अवसर पर कई स्थानों पर स्वच्छता अभियान और सामाजिक एकता पर संगोष्ठियां भी आयोजित की जा रही हैं।

महर्षि वाल्मीकि के उपदेशों ने भारतीय संस्कृति को यह सिखाया कि हर व्यक्ति अपनी मेहनत, सच्चाई और आत्मबल से समाज में सम्मान प्राप्त कर सकता है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी का संदेश इस अवसर पर विशेष महत्व रखता है — एक ऐसा संदेश जो अतीत की शिक्षाओं को वर्तमान की प्रेरणा से जोड़ता है।

 

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