संविधान दिवस पर बोले पीएम मोदी, पारिवारिक पार्टियां लोकतंत्र में आस्था रखने वालों के लिए चिंता का सबब

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26नवंबर। आज देशभर में संविधान दिवस मनाया जा रहा है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित तमाम हस्तियां इस अवसर पर देशवासियों को शुभकामानाएं दे रहे हैं। साल 2015 से मनाए जा रहे संविधान दिवस का विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन यानी 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को स्वीकार किया था।‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के तहत संसद के केंद्रीय कक्ष में ‘संविधान दिवस’ पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को संबोधित किया।
राष्ट्रपति कोविंद के भाषण के बाद देश उनके साथ लाइव आया और संविधान की प्रस्तावना पढ़ी।

सभा को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि आज का दिन बाबासाहेब अंबेडकर, डॉ राजेंद्र प्रसाद, बापू जैसी दूरदर्शी महान हस्तियों और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बलिदान देने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि देने का दिन है। आज इस घर को प्रणाम करने का दिन है। उन्होंने कहा कि ऐसे दिग्गजों के नेतृत्व में काफी मंथन और विचार-विमर्श के बाद हमारे संविधान का अमृत उभरा है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आज लोकतंत्र के इस सदन को भी नमन करने का दिन है।

मोदी ने 26/11 के शहीदों को भी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, ‘आज 26/11 हमारे लिए ऐसा दुखद दिन है, जब देश के दुश्मनों ने देश के अंदर आकर मुंबई में आतंकी हमले को अंजाम दिया। देश के वीर जवानों ने आतंकियों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। आज मैं उनके बलिदान को नमन करता हूं।”

पीएम मोदी ने कहा कि हमारा संविधान केवल कई लेखों का संग्रह नहीं है, हमारा संविधान सहस्राब्दियों की एक महान परंपरा है। यह उस अखंड धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है।

मोदी ने जोर देकर कहा कि संविधान दिवस भी मनाया जाना चाहिए क्योंकि हमारे मार्ग का लगातार मूल्यांकन किया जाना चाहिए कि यह सही है या नहीं।

उन्होंने कहा कि यह बाबासाहेब अम्बेडकर की 125वीं जयंती के दौरान था, “हम सभी ने महसूस किया कि बाबासाहेब अम्बेडकर ने इस देश को जो उपहार दिया है, उससे बड़ा शुभ अवसर और क्या हो सकता है, हमें उनके योगदान को स्मृति के रूप में हमेशा याद रखना चाहिए। पुस्तक (स्मृति ग्रंथ)”।

उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परंपरा की स्थापना के साथ-साथ उसी समय 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ भी स्थापित कर दिया जाता।

कांग्रेस का नाम लिए बिना मोदी ने कहा कि परिवार आधारित दलों के रूप में भारत एक तरह के संकट की ओर बढ़ रहा है, जो संविधान के प्रति समर्पित लोगों के लिए चिंता का विषय है, जो उनके लिए चिंता का विषय है। लोकतंत्र में विश्वास।

उन्होंने कहा, “एक परिवार के एक से अधिक व्यक्ति योग्यता के आधार पर पार्टी में शामिल होने से पार्टी को वंशवादी नहीं बनाते हैं। समस्याएँ तब पैदा होती हैं जब कोई पार्टी एक ही परिवार, पीढ़ी दर पीढ़ी चलाती है।”

मोदी ने अफसोस जताया कि संविधान की भावना भी आहत हुई है, संविधान का हर वर्ग भी आहत हुआ है, जब राजनीतिक दल अपना लोकतांत्रिक चरित्र खुद खो देते हैं।

“मोदी ने पुछा कि जो दल अपना लोकतांत्रिक चरित्र खो चुके हैं, वे लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं?”
उन्होंने कहा, ‘देश की आजादी के बाद कर्तव्य पर जोर दिया जाता तो बेहतर होता। आजादी के अमृत महोत्सव में हमें कर्तव्य के पथ पर आगे बढ़ना जरूरी है ताकि हमारे अधिकारों की रक्षा हो सके।

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