प्रधानमंत्री ने साझा किया लेख – भारत का “Mission LiFE” प्राचीन संरक्षण परंपराओं को पुनर्जीवित कर रहा है

भूपेन्द्र यादव के लेख में बताया गया – तमिलनाडु के ‘एरी टैंक सिस्टम’ से लेकर राजस्थान के ‘जोहड़’ तक, भारत की परंपराएँ पर्यावरणीय जीवनशैली की मिसाल

  • Mission LiFE का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को व्यवहार और जीवनशैली से जोड़ना है।
  • यह अभियान भारतीय परंपरागत ज्ञान और आधुनिक तकनीक के संयोजन पर आधारित है।
  • एरी टैंक, जोहड़, बांधारा, खाल प्रणाली जैसी जल संरचनाओं का उल्लेख लेख में प्रमुख रूप से किया गया है।
  • प्रधानमंत्री ने इसे “पृथ्वी की सेवा का सचेतन कर्म” बताया।
  • यह पहल भारत को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक नेतृत्व की भूमिका में प्रस्तुत करती है।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 4 नवंबर: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव द्वारा लिखे गए एक विचारोत्तेजक लेख को साझा किया, जिसमें उन्होंने विस्तार से बताया है कि भारत का Mission LiFE (Lifestyle For Environment) न केवल एक सरकारी पहल है बल्कि यह भारत की उन प्राचीन परंपराओं को आधुनिक संदर्भ में पुनर्जीवित करने का अभियान है, जो सैकड़ों वर्षों से पर्यावरण के संरक्षण और संतुलन की सीख देती रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह लेख अवश्य पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि यह भारत की उस सोच को रेखांकित करता है कि “वास्तविक स्थिरता वार्ताओं से नहीं, बल्कि पोषण से आरंभ होती है।” उन्होंने ट्वीट में लिखा कि मिशन LiFE ने तमिलनाडु के एरी टैंक सिस्टम, राजस्थान के जोहड़, महाराष्ट्र के बांधारा, और उत्तराखंड की खाल प्रणाली जैसी पारंपरिक जल संरक्षण प्रणालियों को आधुनिक नीति के साथ जोड़कर एक नई पर्यावरणीय चेतना जगाई है।

प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO India) द्वारा साझा किए गए पोस्ट में कहा गया कि –

> “यह लेख दिखाता है कि भारत का दृष्टिकोण वैश्विक पर्यावरणीय विमर्श को धरातल से जोड़ता है। जब दुनिया टिकाऊ विकास पर केवल चर्चा कर रही है, भारत उसे जीवनशैली में उतार रहा है।”

Mission LiFE की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने अक्टूबर 2022 में गुजरात के केवडिया से की थी। इस पहल का उद्देश्य लोगों की जीवनशैली को ‘प्रकृति के साथ तालमेल’ पर आधारित बनाना है। यह मिशन ‘3R’ सिद्धांत, Reduce, Reuse, Recycle, पर आधारित है और इसका लक्ष्य है कि हर नागरिक अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलावों के माध्यम से पृथ्वी के संरक्षण में योगदान दे।

भूपेन्द्र यादव ने अपने लेख में बताया कि भारतीय परंपरा में जल, भूमि और वन संसाधनों का संरक्षण केवल नीति नहीं बल्कि संस्कृति का हिस्सा रहा है। दक्षिण भारत के एरी टैंक सिस्टम से लेकर उत्तर भारत की बावड़ियों तक, ये सभी प्रणालियाँ सामुदायिक भागीदारी से संचालित होती थीं, जो Mission LiFE के सामाजिक सहयोग के सिद्धांत को मजबूत बनाती हैं।

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