मुस्लिम वोटर्स पर ललन सिंह के बयान से बिहार में सियासी हलचल, अशोक चौधरी और शकील अहमद की प्रतिक्रिया

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,25 नवम्बर।
बिहार की राजनीति में एक बार फिर से गर्मी बढ़ गई है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। ललन सिंह ने कहा कि मुस्लिम वोटर्स नीतीश कुमार को वोट नहीं देते। इस बयान के बाद बिहार के सियासी गलियारों में बहस तेज हो गई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने इस बयान की तीखी आलोचना की है, जबकि जेडीयू नेताओं ने इसका बचाव किया है।

ललन सिंह का बयान

ललन सिंह ने एक बयान में कहा, “मुस्लिम समाज ने नीतीश कुमार को कभी वोट नहीं दिया, जबकि उन्होंने हमेशा समाज के हर वर्ग के हित में काम किया है।” उनका यह बयान जेडीयू और महागठबंधन में मतदाताओं के बीच बढ़ते प्रभाव को लेकर आया।

सियासी प्रतिक्रियाएं

ललन सिंह के इस बयान पर विपक्ष और सहयोगी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी।

अशोक चौधरी (कांग्रेस)

कांग्रेस नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने कहा, “ललन सिंह का बयान अल्पसंख्यकों के प्रति जेडीयू की असंवेदनशीलता को दर्शाता है। अगर नीतीश कुमार मुस्लिम समुदाय के लिए काम कर रहे हैं, तो उन्हें इस तरह के बयान की जरूरत क्यों पड़ी?”

शकील अहमद (आरजेडी)

आरजेडी नेता शकील अहमद ने इसे महागठबंधन की एकता के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा, “महागठबंधन के नेता को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए, जो समाज में गलत संदेश दे। नीतीश कुमार ने सभी वर्गों के लिए काम किया है, लेकिन इस तरह के बयानों से उनके काम पर सवाल खड़े हो सकते हैं।”

जेडीयू का बचाव

जेडीयू नेताओं ने ललन सिंह के बयान को सही ठहराते हुए कहा कि यह महागठबंधन के भीतर वोटबैंक की सच्चाई को उजागर करता है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, “ललन सिंह ने केवल यह बताया है कि जमीनी हकीकत क्या है। यह किसी समुदाय को निशाना बनाने का प्रयास नहीं है।”

मुस्लिम वोटबैंक और बिहार की राजनीति

बिहार की राजनीति में मुस्लिम वोटबैंक हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाता रहा है। महागठबंधन में आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस जैसे दल मुस्लिम और यादव वोटबैंक को साथ लेकर चलने की रणनीति अपनाते रहे हैं। ललन सिंह के बयान ने इस समीकरण पर सवाल खड़ा कर दिया है।

नीतीश कुमार की स्थिति

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अभी तक इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, उनके काम और नीतियों के आधार पर मुस्लिम समुदाय में उनकी अच्छी खासी छवि रही है। लेकिन ललन सिंह का यह बयान महागठबंधन के भीतर मतभेद का कारण बन सकता है।

निष्कर्ष

ललन सिंह के बयान ने बिहार की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। विपक्ष इसे महागठबंधन के भीतर कमजोरी के तौर पर देख रहा है, जबकि जेडीयू इसे सच्चाई बता रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार और महागठबंधन इस विवाद को कैसे संभालते हैं और क्या इससे आगामी चुनावों पर कोई असर पड़ेगा।

Comments are closed.