दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के बाद प्रदूषण का कहर: 21 दिनों बाद भी हालात गंभीर

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,21 नवम्बर।
दिल्ली-एनसीआर में इस साल दिवाली के बाद से वायु प्रदूषण के स्तर में ऐतिहासिक उछाल दर्ज किया गया है। 21 दिनों के बाद भी वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। सरकार और प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद हालात में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला है। प्रदूषण की यह समस्या दिल्ली और आसपास के इलाकों में आम जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।

वायु गुणवत्ता सूचकांक: स्थिति गंभीर

दिवाली के बाद से दिल्ली-एनसीआर में AQI लगातार 300 से ऊपर बना हुआ है, जो कि “बहुत खराब” और “गंभीर” श्रेणी में आता है।

  • कुछ इलाकों में AQI 400 से अधिक तक पहुंच गया, जो श्वसन और हृदय संबंधी रोगों के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है।
  • गुरुग्राम, नोएडा और फरीदाबाद जैसे इलाकों में भी हवा की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ है।

प्रदूषण के प्रमुख कारण

  1. पटाखों का धुआं:
    दिवाली के दौरान बड़े पैमाने पर पटाखे फोड़ने से हवा में हानिकारक गैसों और कणों की मात्रा बढ़ गई।
  2. पराली जलाने का प्रभाव:
    पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के कारण हवा में PM2.5 और PM10 कणों का स्तर बढ़ा है।
  3. वाहनों का धुआं:
    दिल्ली-एनसीआर में वाहनों की संख्या अधिक है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि होती है।
  4. निर्माण गतिविधियां:
    बड़े पैमाने पर निर्माण कार्यों और सड़कों की धूल ने भी प्रदूषण को बढ़ाने में योगदान दिया है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

इस गंभीर प्रदूषण ने बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा व हृदय रोग से पीड़ित लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

  • अस्पतालों में सांस संबंधी समस्याओं और एलर्जी के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
  • लंबे समय तक ऐसी हवा में रहने से फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है और अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  1. ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP):
    प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ग्रेप लागू किया गया है, जिसके तहत निर्माण कार्यों पर रोक, सड़कों पर पानी का छिड़काव और वाहनों के इस्तेमाल पर पाबंदियां लगाई गई हैं।
  2. सामाजिक जागरूकता:
    सरकार और एनजीओ द्वारा लोगों को प्रदूषण कम करने के उपायों के प्रति जागरूक किया जा रहा है, जैसे कि सार्वजनिक परिवहन का उपयोग और पराली जलाने से बचाव।
  3. पराली जलाने की रोकथाम:
    केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को पराली जलाने के विकल्प प्रदान करने के लिए काम कर रही हैं, लेकिन अब तक इसके ठोस परिणाम नहीं मिल पाए हैं।

नागरिकों की भूमिका

प्रदूषण की समस्या को हल करने में नागरिकों का योगदान भी बेहद जरूरी है।

  • वाहनों का कम उपयोग करें और कारपूलिंग को बढ़ावा दें।
  • खुले में कूड़ा या कचरा न जलाएं।
  • घरों में वायु शुद्ध करने वाले पौधे लगाएं।
  • ऊर्जा की खपत को कम करें और स्वच्छ ईंधन का उपयोग करें।

निष्कर्ष

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है और इसके समाधान के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। सरकार और नागरिकों को मिलकर काम करना होगा ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके और भविष्य में इस संकट से बचा जा सके। अगर प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया गया, तो इसका असर न केवल वर्तमान पीढ़ी पर पड़ेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी इसकी चपेट में आएंगी।

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