समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 28 जून: उत्तर प्रदेश में अब शोकाकुल परिवारों को पोस्टमार्टम के लिए घंटों लाइन में नहीं खड़ा रहना होगा। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने संवेदनशीलता दिखाते हुए प्रदेश भर के पोस्टमार्टम हाउस के लिए नई गाइडलाइन लागू कर दी है। अब किसी भी हाल में शव का पोस्टमार्टम अधिकतम चार घंटे के भीतर करना होगा।
दु:ख की घड़ी में राहत देने की पहल
स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने इस संबंध में नए निर्देश जारी किए हैं। जिलों में पोस्टमार्टम की संख्या ज्यादा होने पर सीएमओ को दो या अधिक डॉक्टरों की टीमें तैनात करने को कहा गया है ताकि परिवारों को अनावश्यक इंतजार न करना पड़े।
डिप्टी सीएम ने साफ कहा है कि सूर्यास्त के बाद भी नियमानुसार पोस्टमार्टम हो सके, इसके लिए 1000 वॉट की लाइट और अन्य संसाधनों की व्यवस्था की जाए। जरूरी कागजी कार्यवाही में कोई देर न हो, इसके लिए शव के साथ अभिलेख तुरंत भेजने के निर्देश हैं
रात के पोस्टमार्टम में खास इंतजाम
हत्या, आत्महत्या, यौन अपराध, संदिग्ध मौत जैसे मामलों में रात में पोस्टमार्टम तभी होगा जब जिला मजिस्ट्रेट या उनके अधिकृत अधिकारी अनुमति देंगे। कानून व्यवस्था से जुड़े मामलों जैसे एनकाउंटर, पुलिस अभिरक्षा या विवाह के पहले 10 वर्षों में महिला की मृत्यु के मामलों में रात में पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी।
खास बात यह है कि वीडियोग्राफी का पैसा अब पीड़ित परिवार से नहीं लिया जाएगा। यह खर्च रोगी कल्याण समिति या अन्य मदों से पूरा किया जाएगा
तकनीकी और मानव संसाधन भी होंगे दुरुस्त
डिप्टी सीएम ने निर्देश दिया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट को ऑनलाइन किया जाए और इसके लिए पोस्टमार्टम हाउस में कम्प्यूटर ऑपरेटर और डाटा इंट्री ऑपरेटर नियुक्त किए जाएं। शव को पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाने के लिए हर जिले में कम से कम दो शव वाहनों की व्यवस्था अनिवार्य होगी।
महिला अपराध और रेप जैसे मामलों में पोस्टमार्टम पैनल में महिला डॉक्टर को अनिवार्य रूप से शामिल करने का आदेश दिया गया है। अज्ञात शव की पहचान के लिए डीएनए सैम्पलिंग कराई जाएगी ताकि किसी परिवार को अनिश्चितता में न रहना पड़े।
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