समग्र समाचार सेवा
पटना, 22 अगस्त: भारत में क्रिकेट को खेल नहीं, बल्कि त्यौहार माना जाता है। लेकिन बिहार में क्रिकेट का हाल अक्सर विवादों और आरोपों से घिरा रहता है। ताज़ा मामला राजधानी पटना की सड़कों पर लगाए गए एक पोस्टर से जुड़ा है, जिसमें बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) अध्यक्ष राकेश तिवारी पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं।
पोस्टर में क्या लिखा है?
यह पोस्टर क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (CAB) की याचिका के तौर पर लगाया गया है। इसमें लिखा गया है कि “बिहारी क्रिकेटरों ने हुंकार भरी है और वे बीसीए में फैले भ्रष्टाचार को जड़ से मिटा देंगे।”
पोस्टर में आरोप लगाया गया है कि राकेश तिवारी बिहार क्रिकेट के सबसे बड़े भ्रष्ट व्यक्ति हैं। बड़े अक्षरों में लिखे संदेशों में कहा गया है कि उन्होंने दूसरे राज्यों के खिलाड़ियों को फ़र्ज़ी जन्म प्रमाण पत्र देकर बिहार टीम में शामिल कराया है। इसमें राजस्थान, कोलकाता, उत्तराखंड और हापुड़ के खिलाड़ियों के नामों का ज़िक्र किया गया है।
गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप
पोस्टर में यह भी दावा किया गया है कि राकेश तिवारी ने बीसीए कोषाध्यक्ष की मृत्यु की जानकारी छिपाकर बैंक से पैसे निकाले और किसी और के खाते में जमा कर दिए। साथ ही उन पर आरोप है कि उन्होंने बिहारी खिलाड़ियों को लगातार परेशान किया और उनकी प्रतिभा को दबा दिया।
खिलाड़ियों का गुस्सा और चोर का शोर
जहाँ पोस्टर लगाए गए हैं, वहाँ लिखा गया है कि “क्रिकेटरों में राकेश तिवारी को चोर कहने का शोर है।”
यह पहली बार नहीं है जब बीसीए अध्यक्ष पर आरोप लगे हों। पहले भी उन पर भ्रष्टाचार और खिलाड़ियों की उपेक्षा के आरोप लग चुके हैं।
भाजपा कोषाध्यक्ष का उल्लेख
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पोस्टर में राकेश तिवारी की तस्वीर के साथ-साथ भाजपा कोषाध्यक्ष का ज़िक्र भी किया गया है। इससे राजधानी में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या मामला केवल क्रिकेट का है, या फिर इसमें राजनीतिक परतें भी जुड़ी हुई हैं।
बिहार क्रिकेट की स्थिति पर सवाल
भारत जैसे देश में, जहाँ क्रिकेट एक उत्सव की तरह खेला जाता है, वहीं बिहार में इस तरह के आरोप क्रिकेट प्रशासन की सच्चाई को उजागर करते हैं। सवाल यह है कि क्या बिहार में खिलाड़ियों की प्रतिभा वास्तव में भ्रष्टाचार की वजह से दबाई जा रही है? और क्या इन आरोपों की निष्पक्ष जाँच होगी?
पटना में लगे इस पोस्टर ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि बिहार क्रिकेट की असली लड़ाई मैदान पर नहीं, बल्कि प्रशासनिक कुर्सियों और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच लड़ी जा रही है। अब सबकी नज़र इस बात पर है कि बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी इन आरोपों का क्या जवाब देते हैं और क्या बिहार सरकार इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाएगी।
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