राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उपराष्ट्रपति की जन्मदिन शुभकामनाएं

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 20 जून: भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के जन्मदिन के अवसर पर आज उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रपति को उनके अद्वितीय सार्वजनिक जीवन और लोकतंत्र में अनुकरणीय योगदान के लिए सम्मानित करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक विशेष संदेश साझा किया।

राष्ट्रपति मुर्मू की सादगी और सेवा भावना का किया गुणगान

श्री धनखड़ ने अपने संदेश में लिखा, “भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। विनम्रता, सादगी और गरिमा का प्रतीक उनका असाधारण सफर, भारत के लोकतंत्र की सच्ची आत्मा को दर्शाता है। उन्होंने विधायक, राज्यपाल और अब विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की राष्ट्रपति के रूप में जनसेवा में उच्चतम मानक स्थापित किए हैं—यह एक ऐसी विरासत है जो अनुकरणीय है।”

यह संदेश ना केवल उनके प्रति व्यक्तिगत सम्मान का प्रतीक था, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की उस भावना को भी रेखांकित करता है, जिसमें साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्ति भी सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकते हैं।

जनसेवा में राष्ट्रपति का प्रेरणादायक सफर

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन सामाजिक प्रतिबद्धता और जनसेवा का जीवंत उदाहरण रहा है। ओडिशा के सुदूर संथाल जनजातीय क्षेत्र से निकलकर विधायक, झारखंड की पहली महिला राज्यपाल और अब भारत की प्रथम नागरिक के रूप में उनका कार्यकाल देशभर के नागरिकों के लिए प्रेरणा बना हुआ है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने हमेशा अपने निर्णयों में संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को सर्वोपरि रखा है। उनकी विनम्रता, जीवनशैली की सादगी और जनसेवा की प्रतिबद्धता ने उन्हें देश के हर वर्ग में लोकप्रिय बनाया है।

देशभर से आ रहीं शुभकामनाएं

राष्ट्रपति मुर्मू को उपराष्ट्रपति के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद और आम नागरिकों ने भी शुभकामनाएं दी हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें प्रेरणास्रोत बताते हुए उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना की।

राष्ट्रपति भवन में उनके जन्मदिन पर एक सादा लेकिन गरिमामय आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों और बच्चों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं। यह दिन न केवल राष्ट्रपति मुर्मू के जीवन का उत्सव था, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की समावेशिता और आत्मीयता का प्रतीक भी।

 

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