वीर सुरेंद्र साई प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (वीएसएसयूटी) के 15वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22नवंबर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 21 नवंबर मंगलवार को ओडिशा के संबलपुर के बुर्ला में वीर सुरेंद्र साई प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 15वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में शामिल हुई और उन्होंने इस समारोह को संबोधित किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश का विकास युवाओं के योगदान पर निर्भर करता है। इस विश्वविद्यालय से स्नातक करने वाले छात्र नवीनतम तकनीकों का उपयोग करते हुए सड़कों, इमारतों, बांधों और कारखानों के निर्माण में भागीदारी बनेंगे, इंजीनियरों के रूप में, वे प्रगति के वास्तुकार बनेंगे और इनोवेटर्स के रूप में, वे कल्पना और वास्तविकता के बीच पुल का निर्माण करेंगे। उन्होंने कहा कि तेजी से प्रगति कर रही दुनिया में, यह संस्थान, जो कौशल और ज्ञान प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ रहा है, वह आधार बनने जा रहा है, जिस पर उनके भविष्य के साथ-साथ राष्ट्र के भविष्य का भी निर्माण होगा।
राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि वीर सुरेंद्र साई प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा विकसित एक विशेष उपग्रह प्रक्षेपण यान प्रायोगिक आधार पर सफल रहा है। इसे इसरो से सराहना प्राप्त हुई है और आगे के शोध के लिए विश्वविद्यालय और इसरो के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस विश्वविद्यालय के परिसर में एक नवाचार और इनक्यूबेशन केंद्र स्थापित किया गया है। उन्होंने रचनात्मक कार्य के लिए विश्वविद्यालय के छात्रों और संकाय की सराहना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमने 2047 से पहले भारत को विकसित देश बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है और कहा कि प्रौद्योगिकी एक माध्यम है जो विकास की गति को तेज कर सकती है और इसलिए भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ और इंजीनियर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
राष्ट्रपति ने छात्रों को सलाह दिया कि वे इस तथ्य का ध्यान में रखें कि उनकी सफलता केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियां नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इसका इस आधार पर भी आकलन किया जाएगा कि वे दूसरों के जीवन पर क्या सकारात्मक प्रभाव डालेंगे। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे उत्कृष्टता के लिए हर सभव प्रयास करें, न केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए, बल्कि राष्ट्र निर्माण के लिए भी। उन्होंने छात्रों से सकारात्मक परिवर्तन के एजेंट, विविधता के पैरोकार और अखंडता का चैंपियन बनने का भी आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि तकनीकी प्रगति करने के लिय हमें अपने पारंपरिक मूल्यों से समझौता नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 मातृभाषा, परंपरा और संस्कृति पर केंद्रित है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश का विकास समावेशी और मानवता को समर्पित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें विकास को मानवता के अनुकूल बनाने के लिए अपनी संस्कृति में निहित मूल्यों को हमेशा ध्यान में रखना पड़ेगा।
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