समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,09फरवरी। उत्तर पूर्वी क्षेत्र की बहु-विध सांस्कृतिक विरासत का ऐतिहासिक उत्सव ‘विविधता का अमृत महोत्सव’ 8 से 11 फरवरी, 2024 तक राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया है। संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित महोत्सव ने जीवंत सांस्कृतिक उत्सव के रूप में दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी।
कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किया और समारोह की अध्यक्षता उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री जी. किशन रेड्डी ने की।
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित किया और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास के लिए राष्ट्रपति के निरंतर समर्थन और प्रोत्साहन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के बाद से प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उत्तर पूर्वी क्षेत्र राष्ट्रीय प्राथमिकता बन गया है और तभी से इसका अभूतपूर्व विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि चाहे सड़क हो, रेल हो, वायुयान मार्ग हो या जल मार्ग उत्तर पूर्वी क्षेत्र के साथ दूरियां मिटी हैं और सांस्कृतिक, भावनात्मक और राजनीतिक कनेक्टिविटी हुई है। उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र की समृद्ध विरासत यहां के लोगों की असीमित समृद्धि की कुंजी है और सरकार इसे पूरी क्षमता से उजागर करने के लिए कई कदम उठा रही है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों में उत्तर पूर्वी क्षेत्र पूरी तरह से परिवर्तित हो गया है तथा क्षेत्र के लोगों में और अधिक आशा एवं अपेक्षाएं हैं। उत्तर पूर्वी क्षेत्र के सभी आठ राज्यों के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति ने इस अवसर की गरिमा बढ़ा दी।
विविधता का अमृत महोत्सव में 320 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं। प्रत्येक स्टॉल सांस्कृतिक रूप से समृद्ध उत्तर पूर्वी क्षेत्र के अष्टलक्ष्मी राज्यों के अद्वितीय हस्तशिल्प, हथकरघा और कृषि उत्पादों को प्रदर्शित कर रहे हैं। इस महोत्सव में आगंतुकों को क्षेत्र के उत्कृष्ट हस्तशिल्प उत्पादों, चिरस्थायी हस्तशिल्प और जैविक कृषि उत्पादों सहित उत्तर पूर्वी क्षेत्र की सर्वश्रेष्ठ परम्परा को देखने और सराहने का अवसर मिल रहा है।
महोत्सव में उत्तर पूर्वी क्षेत्र के जीआई टैग उत्पादों के साथ शानदार जीआई उत्पादों का मंडप लगाया गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध असम के मुगा सिल्क से लेकर, मणिपुर की खूबसूरती से बुनी गई वांगखेई फी, अरुणाचल प्रदेश के हस्तनिर्मित कालीन और त्रिपुरा का मनोरम क्वीन पाइनएप्पल तक यहां प्रदर्शित किया गया है। यह बहुत गर्व का विषय है कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र के इस उत्सव में अष्टलक्ष्मी राज्यों के 25 से अधिक कलात्मक वस्त्र और कृषि जीआई टैग उत्पादों को दर्शाया गया है।
20 से अधिक स्टॉलों पर आकर्षक लाइव प्रदर्शनों में उत्तर पूर्वी क्षेत्र के पारंपरिक शिल्प कौशल का प्रदर्शन किया गया, जिसमें माजुली मास्क बनाना, टोकरी बुनाई, लोटस सिल्क एक्सट्रैक्शन और बहुत कुछ शामिल है। दर्शकों को इस सांस्कृतिक समृद्धि, कौशल और विशेषज्ञता को प्रत्यक्ष रूप से देखने का दुर्लभ अवसर प्राप्त हुआ।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने अष्टलक्ष्मी रंगोली और फ्यूजन सांस्कृतिक प्रदर्शन का अवलोकन किया। महोत्सव के शुभारंभ के पहले दिन उत्तर पूर्वी क्षेत्र के सभी आठ राज्यों के कलाकारों ने स्थानीय पारंपरिक नृत्यों का प्रदर्शन कर समा बांध दिया। अगले चार दिनों में 350 से अधिक कलाकार ऐसी ही प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लेंगे।
आगंतुकों को विभिन्न खाद्य स्टालों पर क्षेत्र की समृद्ध विरासत की खोज करते हुए पाक कला को निहारते देखा गया। विभिन्न स्टॉलों पर पकवानों के माध्यम से उत्तर पूर्वी क्षेत्र से राजधानी तक विविध स्वाद और परंपराओं को देखा जा सकता है।
बाल क्रियाकलाप (किड्स एक्टिविटी ज़ोन) और युवा मनोरंजन क्षेत्र में उत्साही युवा और बच्चे विभिन्न गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। इसका आयोजन विशेष रूप से उत्तर पूर्वी क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक समृद्धि के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ने के लिए किया गया है।
उद्घाटन समारोह के समापन पर उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय ने संस्कृति मंत्रालय, सम्मानित गणमान्य व्यक्तियों और उत्साही प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। ‘विविधता का अमृत महोत्सव’ ने निस्संदेह विविधता में एकता के आनंदमय उत्सव के रूप में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह भारत की सामूहिक अस्मिता में उत्तर पूर्वी क्षेत्र के योगदान के लिए गहन समझ और सराहना को बढ़ावा देता है। विशिष्ट उद्घाटन अवसर के पश्चात अगले चार दिनों में विविधता का अमृत महोत्सव में बड़ी संख्या में आगंतुकों के पहुंचने की आशा है।
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