राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सभा के आठवें सत्र का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति ने कहा – सौर ऊर्जा केवल विद्युत उत्पादन नहीं, बल्कि सशक्तिकरण और समावेशी विकास का माध्यम है

  • राष्ट्रपति ने नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के आठवें सत्र का उद्घाटन किया।
  • कहा कि सौर ऊर्जा मानवता की साझा आकांक्षा और सामूहिक समृद्धि का प्रतीक है।
  • सभी सदस्य देशों से आग्रह किया कि सौर ऊर्जा को रोजगार, महिला नेतृत्व और ग्रामीण आजीविका से जोड़ा जाए।
  • बड़े पैमाने पर सौर संयंत्रों के साथ पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने पर दिया जोर।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर:भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance – ISA) की आठवीं महासभा के उद्घाटन सत्र का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि आईएसए मानवता की उस साझा आकांक्षा का प्रतीक है, जो सौर ऊर्जा को समावेशन, गरिमा और सामूहिक समृद्धि के स्रोत के रूप में देखती है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है और इससे निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। भारत इस दिशा में प्रतिबद्ध है और सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देकर वैश्विक स्तर पर योगदान दे रहा है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत की विकास यात्रा “समावेशन” की विचारधारा पर आधारित है। देश के सुदूर क्षेत्रों में घर-घर रोशनी पहुँचाने के अनुभव से यह सिद्ध हुआ है कि ऊर्जा समानता, सामाजिक समानता की नींव है। स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा तक पहुँच समुदायों को सशक्त करती है, स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देती है और अवसरों के नए द्वार खोलती है।

उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा केवल बिजली उत्पादन का माध्यम नहीं, बल्कि सशक्तिकरण और समावेशी विकास का प्रतीक है। उन्होंने सभी सदस्य देशों से अपील की कि वे केवल बुनियादी ढाँचे तक सीमित न रहें, बल्कि लोगों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाने पर ध्यान केंद्रित करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि इस सभा को ऐसा सामूहिक कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए जो सौर ऊर्जा को रोजगार सृजन, महिला नेतृत्व, ग्रामीण आजीविका और डिजिटल समावेशन से जोड़े। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि प्रगति को केवल मेगावाट में नहीं, बल्कि “कितने जीवन रोशन हुए, कितने परिवार सशक्त बने और कितने समुदाय परिवर्तित हुए” – इन मानकों से आंका जाना चाहिए।

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बड़े पैमाने पर सौर संयंत्रों के विस्तार के दौरान पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि हरित ऊर्जा की दिशा में यह कदम पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से ही उठाया गया है।

राष्ट्रपति ने सभी देशों से आग्रह किया कि वे न केवल अपने राष्ट्रों के लिए बल्कि पूरी मानवता और आने वाली पीढ़ियों के लिए मिलकर काम करें। उन्होंने विश्वास जताया कि इस सभा की चर्चाएँ और निर्णय सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होंगे और एक समावेशी एवं समानता आधारित विश्व के निर्माण में योगदान देंगे।

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