राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कुमाऊँ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सम्मिलित हुईं।
शिक्षा हमें आत्मनिर्भर ही नहीं, विनम्र और समाजसेवी भी बनाती है: राष्ट्रपति
समग्र समाचार सेवा
उत्तराखंड,नैनीताल| 4 नवम्बर: राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज उत्तराखंड के नैनीताल स्थित कुमाऊँ विश्वविद्यालय के 20वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र की प्रगति की आधारशिला है। शिक्षा का उद्देश्य केवल बौद्धिक विकास नहीं, बल्कि नैतिक मूल्यों और चरित्र का निर्माण भी होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा हमें आत्मनिर्भर बनाती है और साथ ही विनम्रता और समाज-देश सेवा का भाव सिखाती है। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे अपनी शिक्षा को वंचितों की सेवा और राष्ट्र निर्माण में समर्पित करें, यही सच्चा धर्म है जो उन्हें सच्चा सुख और संतोष देगा।

उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और सरकार युवाओं के लिए अनेक नीतिगत पहल कर रही है। ऐसे में उच्च शिक्षण संस्थानों को चाहिए कि वे छात्रों को इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करें।
राष्ट्रपति ने अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया और यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि कुमाऊँ विश्वविद्यालय इस दिशा में सक्रिय है। उन्होंने कहा कि बहुविषयक दृष्टिकोण (Multidisciplinary Approach) से शिक्षा और अनुसंधान का वास्तविक लाभ समाज तक पहुँच सकता है।

उन्होंने हिमालय को “जीवनदायिनी संपदा का केंद्र” बताते हुए उसके संरक्षण और संवर्धन की जिम्मेदारी सभी नागरिकों की बताई। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियाँ निभाते हुए आस-पास के गाँवों में जाकर लोगों की समस्याएँ समझनी चाहिए और समाधान के प्रयास करने चाहिए।
अंत में उन्होंने कहा कि भारत ने वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य तय किया है, और इस लक्ष्य को प्राप्त करने में युवा पीढ़ी की अहम भूमिका होगी। उन्होंने विश्वास जताया कि कुमाऊँ विश्वविद्यालय के विद्यार्थी अपनी प्रतिभा और समर्पण से इस लक्ष्य में योगदान देंगे।

कार्यक्रम से पूर्व राष्ट्रपति ने नैना देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की और श्री नीम करौली बाबा आश्रम (कैची धाम) में दर्शन किए।
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