राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के सम्मेलन का उद्घाटन किया, पीएम मोदी और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी रहे शामिल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2अगस्त। नई दिल्ली में आज राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राज्यपालों के सम्मेलन का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन केंद्र-राज्य संबंधों को मजबूती प्रदान करने और जनकल्याणकारी योजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श करेगा।

राष्ट्रपति का उद्घाटन भाषण
अपने उद्घाटन भाषण में राष्ट्रपति ने कहा कि इस सम्मेलन के एजेंडे में सावधानीपूर्वक चुने गए विषय शामिल हैं, जो हमारे राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन में होने वाले विचार-विमर्श सभी प्रतिभागियों के लिए एक समृद्ध अनुभव होंगे और उनके कामकाज में सहायक होंगे।

उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और गृह मंत्री का संबोधन
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राज्यपालों की शपथ का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें पिछले दशक के दौरान हुई सामाजिक कल्याण योजनाओं और विकास के बारे में लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यपालों से आग्रह किया कि वे केंद्र और राज्य के बीच एक सेतु की भूमिका निभाएं और वंचित वर्गों तक पहुंचने के लिए संवाद करें। उन्होंने विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में राज्यपालों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने सम्मेलन की चर्चाओं की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए राज्यपालों से कहा कि वे लोगों में विश्वास पैदा करने और विकास कार्यों को गति देने के लिए जीवंत गांवों और आकांक्षी जिलों का दौरा करें।

नए कानूनों का परिचय
राष्ट्रपति ने सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान कहा कि आपराधिक न्याय से संबंधित तीन नए कानूनों के लागू होने से देश में न्याय व्यवस्था का एक नया युग शुरू हुआ है। उन्होंने इन कानूनों के नामों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम हमारी सोच में बदलाव का प्रतीक हैं।

समन्वय का महत्व
राष्ट्रपति ने विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने राज्यपालों को सलाह दी कि वे अपने संबंधित राज्यों में इस समन्वय को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं, इस पर विचार करें।

शिक्षा और विकास पर जोर
राष्ट्रपति ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा एक अमूर्त संपत्ति है, जो व्यक्तिगत विकास, सामाजिक परिवर्तन, नवाचार, और आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देती है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शैक्षणिक संस्थानों की मान्यता और मूल्यांकन प्रणाली में सुधार पर जोर दिया और राज्यपालों से इस सुधार प्रक्रिया में भाग लेने का आग्रह किया।

वंचित वर्गों का विकास
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार गरीबों, सीमावर्ती क्षेत्रों, वंचित वर्गों, और विकास यात्रा में पीछे छूट गए लोगों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने राज्यपालों से इन क्षेत्रों के लोगों के समावेशी विकास के सुझाव देने का आग्रह किया।

युवा और पर्यावरण पर फोकस
राष्ट्रपति ने कहा कि यदि युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों में लगाया जाए, तो ‘युवा विकास’ और ‘युवा-नेतृत्व विकास’ को और गति मिलेगी। ‘मेरा भारत’ अभियान इस उद्देश्य के लिए एक सुविचारित प्रणाली प्रदान करता है। उन्होंने राज्यपालों को इस अभियान से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ अभियान का भी उल्लेख किया और कहा कि इससे विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लोगों को एक-दूसरे को समझने और जुड़ने का मौका मिला है। उन्होंने राज्यपालों से एकता की भावना को मजबूत करने में योगदान देने का आग्रह किया।

जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक खेती
राष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों से निपटने के प्रयासों पर बात की। उन्होंने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को बड़े पैमाने पर जन आंदोलन बनाकर इसमें योगदान देने का आह्वान किया।

उन्होंने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर मिट्टी की उर्वरता और किसानों की आय बढ़ाने की संभावना पर जोर दिया और कहा कि राजभवन इस क्षेत्र में मिसाल कायम कर सकते हैं।

सम्मेलन की संरचना और निष्कर्ष
राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि सभी राज्यपाल अपनी शपथ के अनुरूप जनता की सेवा और कल्याण में योगदान देते रहेंगे। सम्मेलन में विभिन्न सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिसमें राज्यपालों के उप-समूह प्रत्येक एजेंडा आइटम पर विचार-विमर्श करेंगे। राज्यपालों के अलावा, केंद्रीय मंत्री और संबंधित मंत्रालयों के अधिकारी भी इन सत्रों में शामिल होंगे। उप-समूहों की टिप्पणियों और सुझावों को समापन सत्र के दौरान राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और अन्य प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

इस प्रकार, इस सम्मेलन का उद्देश्य विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा के माध्यम से नीति-निर्माण और समन्वय को मजबूत करना है, ताकि राज्यों और केंद्र के बीच संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ बनाया जा सके।

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