राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों और उपराज्यपालों का 51वां सम्मेलन आयोजित, राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने की अध्यक्षता
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11 नवंबर। आज 11 नवंबर को राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों और उपराज्यपालों का 51वां सम्मेलन आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने की। सम्मेलन में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी हिस्सा ले रहे हैं।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने उद्घाटन भाषण में सभी राज्यपालों, उप-राज्यपालों और प्रशासकों की सराहना की और कहा कि आशा करता हूं कि यह विचार-विमर्श आप सभी के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
कोविंद ने राज्यपाल सम्मेलन को आयोजित करने के लिए मैं गृह मंत्री और उनके मंत्रालय के सभी अधिकारियों की विशेष रूप से प्रशंसा करना चाहूंगा जिन्होंने बड़े परिश्रम से इस सम्मेलन को सफल बनाया। साथ ही राष्ट्रपति भवन के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की भी मैं सराहना करता हूं।
आज यहां दोनों सत्रों में व्यापक चर्चा हुई। कुछ राज्यपालों ने अपने राज्य में अपनाई गई best practices के बारे में विस्तार से अवगत भी कराया। मैं यह चाहूंगा कि यहां पर उपस्थित सभी राज्यपाल और उप-राज्यपाल उत्तम और अनुकरणीय प्रयोगों का समुचित उपयोग करें। इस मंच पर पहले हमने cooperative federalism और competitive federalism की भी चर्चा की है। सहयोग और प्रतिस्पर्धा का सामाजिक जीवन में प्रमुख स्थान होता है। इससे जीवन को गति मिलती है। पर यह युग collaboration का है। जिन best practices की चर्चा हुई है, उन्हें अन्य राज्यों में अपनाया जा सकता है। अगर किसी राज्य के नए प्रयोग से जनता लाभान्वित होती है, तो उस प्रयोग को दूसरे राज्य में भी अपनाया जाना चाहिए। आप सभी अपने गृह-राज्य से दूर किसी दूसरे राज्य में संवैधानिक दायित्व निभा रहे हैं। आप सभी राष्ट्र के प्रति सेवा भाव और निष्ठा से अपने-अपने राज्यों में कार्य कर रहे हैं। यही भारत के federalism और राष्ट्रीय एकता का उदाहरण है।
आज हम सब इतिहास के एक निर्णायक मोड़ पर हैं। इसमें संदेह नहीं है कि हमारा देश समुचित नीति और मार्गदर्शन से विश्व के अग्रणी देशों में अपनी जगह बना रहा है। यह आवश्यक है कि हम सब ऐसे कदम उठाएं जो देश के उत्थान में सहायक सिद्ध हो।
गुजरात, असम, उत्तर प्रदेश, झारखंड, तेलंगाना और लद्दाख के राज्यपालों द्वारा अलग-अलग महत्वपूर्ण विषयों पर केन्द्रित best practices पर प्रस्तुति करने के लिए मैं उनकी सराहना करता हूं।
शिक्षा के महत्वपूर्ण विषय की तरफ मैं आप सब का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। आज के युवा विद्यार्थी हमारे देश का भविष्य हैं। इसलिए आप सब का यह दायित्व है कि राज्यों के विश्वविद्यालयों के चांसलर के रूप में आप उनका मार्गदर्शन करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की सिफ़ारिशों को लागू करने पर विशेष ज़ोर देना चाहिए। मैं मानता हूं कि इस संदर्भ में आप सबने अपने-अपने राज्यों में वाइस चांसलर्स के साथ बैठक कर ली होगी। यदि ऐसी बैठक नहीं हुई है तो उसका शीघ्र आयोजन करना चाहिए।
आपका प्रोत्साहन राज्य के विश्वविद्यालयों को विश्वस्तरीय बनाने में महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगा। मुझे संतोष है कि मेरे सुझाव पर आप में से कुछ राज्यपालों ने ‘यूनिवर्सिटीज़ सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी’ के विषय को गंभीरता से लिया है।
राष्ट्र-निर्माण की इस आकांक्षा को पूरा करने के लिए हम सब का ध्येय होना चाहिए – देश को सशक्त, सुशिक्षित, समृद्ध, स्वच्छ और विकसित बनाना। आप सभी राज्यपालों को इन लक्ष्यों से सम्बन्धित नीतियों को प्रोत्साहन देना चाहिए और राज्य सरकारों का मार्गदर्शन करना चाहिए। इन्हीं स्तम्भों पर हमारे राष्ट्र का विकास निर्भर करता है। यदि हमें आत्मनिर्भर और सशक्त देश बनना है तो हमें अभी से ही सही दिशा में कार्य करने होंगे। ताकि 2047 में जब हम आज़ादी का शताब्दी वर्ष मना रहे हो, तब हमारा देश एक मज़बूत आधारशिला पर स्थित शक्तिशाली देश हो जिसकी कल्पना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी।
हम सभी ने अपने-अपने दायित्वों के समुचित निर्वहन हेतु शपथ ली है। इस संदर्भ में मुझे स्मरण होता है कि शहीदों की स्मृति में, कश्मीर के बारामूला में निर्मित ‘डैगर वॉर मेमोरियल’ में, एक आदर्श वाक्य अंकित है। मात्र 6 शब्दों का वह सरल वाक्य है ‘मेरा हर काम, देश के नाम’। इस छोटे से वाक्य में हम सभी की शपथ का सार-तत्व निहित है।
राष्ट्रपति ने अंत कहा कि मुझे विश्वास है कि आप सब संविधान की मर्यादा तथा राज भवन की गरिमा को बनाए रखते हुए अपने राज्यों का मार्गदर्शन करते रहेंगे और 2022 में जब यह सम्मेलन आयोजित होगा तब आपके पास सफल प्रयोगों अर्थात best practices की लम्बी सूची होगी जिनसे आपके राज्य लाभान्वित हुए होंगे। मैं आपको और आपके राज्य के सभी निवासियों के उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामना करता हूं।
राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यपाल के रूप में, हम सबके सहयोगी रह चुके, श्री कल्याण सिंह, श्री लालजी टंडन और श्रीमती मृदुला सिन्हा जैसे मूर्धन्य जन-सेवक अब हमारे बीच नहीं रहे। सार्वजनिक जीवन में अपने योगदान और व्यक्तित्व से राज्यपाल के पद को विशेष गौरव प्रदान करने वाली उन सभी विभूतियों का मैं सादर स्मरण करता हूं।
कोविड की महामारी का सामना करने में, विश्व का सबसे व्यापक और प्रभावी अभियान भारत में, प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में चलाया गया है। हमारे सभी कोरोना योद्धाओं ने असाधारण त्याग और निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है। सरकार की अभूतपूर्व पहल तथा हमारे वैज्ञानिकों और उद्यमियों के प्रयासों के बल पर, देश में वैक्सीन का विकास और विशाल पैमाने पर उत्पादन संभव हो सका है। आज 108 करोड़ से अधिक वैक्सीनेशन करके, देशवासियों को महामारी से बचाने के अभियान में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही, हम विश्व समुदाय की सहायता भी कर रहे हैं। भारत की ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल की सराहना विश्व स्तर पर हो रही है।
इस सम्मेलन के प्रतिभागियों के लिए यह संतोष का विषय है कि कोविड की आपदा का सामना करने में राज्यपालों ने सक्रिय योगदान किया। लॉकडाउन के आरंभ होने के दो दिन बाद ही 27 मार्च, 2020, और उसके बाद, 3 अप्रैल को मैंने और उप-राष्ट्रपति जी ने राज्यपालों के साथ राज्य स्तर पर किए जा रहे उपायों पर चर्चा की। विभिन्न राज्यों द्वारा जन-सामान्य की कठिनाइयों को कम करने के उद्देश्य से अलग-अलग राज्यों में अपनाई जा रही ‘best practices’ को साझा किया गया। अनेक राज्यों ने, दूसरे राज्यों के अच्छे प्रयासों को अपनाया। इन समग्र प्रयासों के परिणामस्वरूप, हमारे देश ने, अनेक विकसित देशों की तुलना में, कोविड की आपदा का सामना बेहतर ढंग से किया है।
अनेक वैश्विक मुद्दों पर, भारत की संकल्पबद्धता और क्षमता की सराहना विश्व समुदाय द्वारा की जा रही है। हाल ही में, ग्लासगो मैं आयोजित ‘कॉप 26 शिखर सम्मेलन’ में विश्व समुदाय के सम्मुख यह स्पष्ट किया गया कि भारत एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसने ‘पेरिस कमिटमेंट’ के तहत ठोस प्रगति की है और नियत समय पर लक्ष्यों को प्राप्त करने की स्थिति में हैं। साथ ही, क्लाइमेट चेंज की वैश्विक समस्या से निपटने की दिशा में, भारत ने, विश्व समुदाय के हित में, अपना योगदान देने के लिए, पांच प्रमुख लक्ष्य तय किये हैं:
वर्ष 2030 तक देश की
• नॉन-फॉसिल ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 500 गीगावाट तक पहुंचाना,
• आधी ऊर्जा आवश्यकताओं को रिन्युएबल एनर्जी से पूरा करना,
• प्रोजेक्टेड कार्बन एमिशन में एक बिलियन टन की कमी करना, और
• अर्थ-व्यवस्था की कार्बन इन्टेन्सिटी 45 प्रतिशत से भी कम करना।
और वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो एमिशन का लक्ष्य हासिल करना।
विश्व पटल पर व्यक्त किए गए इन राष्ट्रीय लक्ष्यों को कार्यरूप देने में आप सभी अपनी प्रेरक भूमिका निभा सकते हैं। राज्य सरकार तथा सभी जनप्रतिनिधियों के बीच जागरूकता बढ़ाकर आप इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं। कुलाधिपति के रूप में आप राज्य के विश्वविद्यालयों में टास्क फोर्स गठित करके युवा पीढ़ी को क्लाइमेट एक्शन से सीधे जोड़ सकते हैं।
जैसा कि हम जानते हैं कि सन 2019 में आरंभ किए गए ‘जल जीवन मिशन’ के तहत सन 2024 तक ‘हर घर, नल से जल’ उपलब्ध कराने का राष्ट्रीय अभियान हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। यह उल्लेखनीय है कि जल जीवन मिशन के आरंभ होने तक पिछले 7 दशकों में जितना काम हुआ था उससे अधिक काम मिशन के तहत केवल 2 वर्षों में पूरा कर लिया गया है। संवेदनशील केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि शुद्ध पेयजल की सुविधा से कोई भी वंचित न रहे और पानी की कमी किसी भी क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में बाधा न बने। स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता के जरिए Aspirational districts, आदिवासी बहुल क्षेत्रों, कमजोर वर्ग के लोगों, बच्चों और महिलाओं सहित हमारे देशवासियों का अनेक रोगों से बचाव हो सकेगा। जल का संचय व संरक्षण करने और गुणवत्ता बनाए रखने के प्रति गांव-गांव में लोगों को जागरूक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सबकी भागीदारी और सबकी ज़िम्मेदारी के जरिए सभी ग्रामवासियों को ‘सेनिटेशन–हाइजीन–वाटर–एनलाइटेन्ड’ यानि स्वच्छता, साफ-सफाई तथा जल के प्रति जागरूक बनाना आवश्यक है। ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की तरह ‘जल जीवन मिशन’ भी एक जन-आंदोलन का रूप ले रहा है। शिक्षण संस्थानों तथा सरकारी और गैर सरकारी संगठनों की ‘जल जीवन मिशन’ में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करके आप सभी इस जन-आंदोलन को और मजबूत बना सकते हैं।
हमारे देश में अनुसूचित जनजातियों के विकास पर विशेष ध्यान देने के उद्देश्य से कुछ क्षेत्र संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची में उल्लिखित हैं। इन क्षेत्रों के विकास में राज्यपालों की विशेष संवैधानिक भूमिका है। इन जनजातियों की प्रगति में योगदान देकर आप सब देश के समावेशी विकास में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
पिछले वर्ष ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ पर आयोजित वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में मैंने और उप-राष्ट्रपति ने राज्यपालों के साथ विचार-विमर्श किया था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की अनुशंसाओं को कार्यरूप देने में आप सभी राज्यपालों की महत्वपूर्ण भूमिका है। कुलाधिपति के रूप में आप सब लोग, युवा भारत के निर्माण की प्रक्रिया से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। राष्ट्र-निर्माण की दृष्टि से यह बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। मुझे विश्वास है कि शिक्षा के क्षेत्र में आपके योगदान के बल पर भारत को ‘नॉलेज सुपर पावर’ बनाने का हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य अवश्य सिद्ध होगा।
आज के सम्मेलन में चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय है ‘Best Practices at Raj Bhavan’. इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि टीबी के उन्मूलन, रेड क्रॉस संस्था से सम्बद्ध गतिविधियों तथा ‘सैनिक वेलफेयर बोर्ड’ की जिम्मेदारियों से आप सभी सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। मैं आशा करता हूं कि अपनी रिपोर्ट तथा प्रस्तुतियों में आप सब इन विषयों पर विशेष प्रकाश डालेंगे तथा अपनी best practices साझा करेंगे। साथ ही कोरोना की आपदा का सामना करने के दौरान जन-कल्याण कार्यों तथा वैक्सीनेशन में तेजी लाने के प्रयासों को भी आप रेखांकित करें। व्यापक स्तर पर मनाए जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में राज्य स्तर पर हो रहे कार्यक्रमों की भी जानकारी आप सब साझा करें। इसके अलावा आपके मार्ग-निर्देशन में संचालित शिक्षण संस्थानों की नई पहलों तथा विशिष्ट उपलब्धियों पर भी जानकारी प्रदान करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अपनाए गए ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स’ के तहत वर्ष 2030 तक ट्यूबरक्यूलोसिस यानि टीबी के उन्मूलन का वैश्विक लक्ष्य तय किया गया है। परंतु भारत ने यह तय किया है कि इस लक्ष्य को हम पांच वर्ष पहले ही अर्थात वर्ष 2025 तक हासिल कर लेंगे। इसके लिए ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ चलाया जा रहा है। राज्य स्तर पर इस जन-कल्याणकारी अभियान के संरक्षक के रूप में, टीबी का शीघ्रता से उन्मूलन करने के प्रयासों को आप प्रभावी नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं।
राज्यपालों के दायित्व पर चर्चा करते हुए हमारे सुविज्ञ संविधान निर्माताओं ने यह मत व्यक्त किया था कि राज्यपाल, जन-सामान्य और सरकार के ‘Friend, philosopher and guide’ की भूमिका भी निभायेंगे। राष्ट्रीय लक्ष्यों के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने तथा जन भागीदारी सुनिश्चित करने में आप सबकी यह भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
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